नई शिक्षक नियमावली 2023 का विरोध कर रहे आंदोलित शिक्षकों के साथ वार्ता करने के बजाय बिहार सरकार आंदोलन करने पर कार्रवाई की धमकी दे रही है. यह बेहद निंदनीय व अलोकतांत्रिक कदम है. भाकपा(माले) राज्य सचिव कुणाल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दीपक कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के उक्त आदेश को तत्काल वापस लेने मांग की है जिसमें शिक्षकों पर कार्रवाई की बात कही गई है. उन्होंने विगत 17 मई को एक बयान जारी कर कहा है कि सरकार को शिक्षकों की बातें सहानुभूतिपूर्वक सुननी चाहिए और उसका समुचित हल भी निकालना चाहिए. दमन की भाषा का इस्तेमाल करना केाई समाधान नहीं है.
उन्होंने कहा कि सरकार जो नई शिक्षक नियमावली 2023 लेकर आई है, उसमें परीक्षा के प्रावधान को लेकर शिक्षकों में आक्रोश है और वे लगातार आंदोलनरत भी हैं. भाकपा(माले) ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया है. इस देश में हर किसी को लोकतांत्रिक तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन दर्ज करने का अधिकार है. ऐसे में महागठबंधन की सरकार ऐसा फरमान कैसे ला सकती है?
उन्होंने आगे कहा कि नई शिक्षक नियमावली में संशोधन को लेकर बिहार की तीन प्रमुख वाम पार्टियां एकजुट हैं और उन्होंने राजद, कांग्रेस, जदयू व हम (सेक्यूलर) के नेताओं से भी मुलाकात की थी. उनको उम्मीद थी कि सरकार इस गतिरोध का कोई सकारात्मक हल निकालेगी, लेकिन हो उलटा रहा है. महागठबंधन के घोषणापत्र 2020 के अनुसार भी सभी नियोजित शिक्षकों को बिना शर्त नियोजित शिक्षक का दर्जा मिलना चाहिए.