विगत 4 मई, 2023 को गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में वरिष्ठ कम्युनिस्ट तथा ट्रेड यूनियन नेता कामरेड लक्ष्मणभाई पाटनवाडिया के दूसरी स्मृति दिवस पर भाकपा(माले) की गुजरात राज्य कमेटी द्वारा एक श्रद्धांजलि तथा विमर्श सभा की आयोजन किया गया. अहमदाबाद की मणिनगर की शारदा बेन निवाड़ी सभागृह में आयोजित इस सभा में गुजरात के विभिन्न जिलों से आये हुए भाकपा(माले) के नेताओं व कार्यकर्ताओं के अलावा अलग-अलग बामपंथी, समाजवादी तथा लोकतांत्रिक पार्टियों व संगठनों के नेता उपस्थित रहे.
का. प्रभात कुमार, का. रंजन गांगुली, का. सुमित्रा बेन केंग, का. कमलेश गुरव, का. हरेश वाडिया, का. दसरथ सिंहाली तथा का. रजनी गोहिल की अध्यक्षता में हुई श्रद्धांजलि व विमर्श सभा की शुरुआत कामरेड लक्ष्मणभाई पाटनवाडिया को ‘एक मिनिट का मौन’ के जरिये दी गई.
सभी उपस्थित लोगों ने गुजरात में बामपंथी धारा को आगे बढ़ाने में कामरेड लक्ष्मण भाई के झुझारू व बहुमूल्य योगदान को याद किया तथा नम आंखों से अपने प्रिय साथी को श्रद्धांजलि अर्पित किया.
‘मौजूदा साम्प्रदायिक फासीवादी दौर का मुकावला करने के लिए व्यापकतम लोकतांत्रिक विकल्प का निर्माण’ विषय पर विमर्श को शुरुआत भाकपा(माले) के गुजरात राज्य प्रभारी का. रंजन गांगुली ने की.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई में साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों के पिछले 9 वर्षों के शासन ने संविधान समेत तमाम संवैधानिक तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं व मूल्यों को बेशुमार नुकसान पहुंचाया है तथा आम मेहनतकश जनता के जीवन को कठिन बना दिया है. भारत में ऐतिहासिक मई दिवस की 100वीं वर्षगांठ को मनाते हुए हम देख रहे हैं कि मोदी शासन देश के मजदूरों व मेहनतकशों को एकबार पुनः गुलामी की स्थिति में ढकेल रहा हैं.
उन्होंने कहा कि संघ परिवार बेलगाम होकर सदियों की भारतीय सामाजिक समरसता व तहजीब के तानाबाना को हिन्दू-मुसलमान, जात-पात, प्रांतीयता-क्षेत्रवाद की आग में झोंकता जा रहा है. आज हिन्दू राष्ट्रवाद के एजेंडा को सत्ता के शिखर पर बैठे लोग बेशर्मी के साथ हवा दे रहे हैं. हर लोकतांत्रिक असहमति की आवाज को बंद करने के लिए फासीवादी सत्ता लाठी, जेल और हत्या के हथियार को धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही है.
सभा में उपस्थित तमाम वक्ताओं ने कहा कि ऐसी स्थिति में देश में फासीवाद विरोधी व्यापकतम मोर्चा ही एक मात्र सशक्त विकल्प हो सकता हैं. नागरिक जीवन की हर क्षेत्र में मिलकर संघर्ष करना हो अथवा महागठबंधन निर्माण के ‘बिहार माॅडल’ को पूरा देश के पैमाने पर स्थापित करना हो, इसके लिए तमाम पार्टियों को अपने दायरे, सीमाओं तथा संकीर्णता को तोड़कर फासीवाद विरोधी मोर्चा निर्माण में आगे आना होगा. यही आज के समय की मांग है.
सभा में, सीपीएम के का. आनंद परमार व का. सतीश परमार, सीपीआई के का. रामसागर परिहार, समाजवादी नेता का. जयंतीभाई पांचाल, वामपंथी ट्रेड यूनियन नेता का. असीम राॅय, वरिष्ट पत्रकार का. रजनी गोहिल, ऐक्टू नेता का. दशरथ सिंहाली, आदिवासी संघर्ष मोर्चा, गुजरात के नेता का. कमलेश गुरव, ऐपवा की नेता का. सुमित्रा बेन केंग, एएमसी के भूतपूर्व कारपोरेटर जाॅर्ज डायस आदि वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये.
अंत में तमाम विमर्शाे का समाहार करते हुए कार्यक्रम की मुख्य अतिथि भाकपा(माले) केंद्रीय कमिटी के सदस्य का. प्रभात कुमार ने कहा कि हमें देश के तमाम इलाकों में फासीवाद विरोधी जनसंघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए केा. लक्ष्मण भाई जैसे झुझारू कामरेडों के जीवन से प्रेरणा लेना चाहिए और साथ ही ‘एक के मुकाबले एक’ की तर्ज पर संसदीय संघर्ष में भी भाजपा को शिकस्त देने के लिए पूरी तैयारी करनी चाहिए. सभा संचालन भाकपा(माले) के राज्य कार्यालय सचिव का. अमित पाटनवाडिया ने किया.