कोंकण तटरेखा, जो गुजरात की सीमा से लगे दहानू से गोवा की सीमा तक फैली हुई है, नैसर्गिक सौंदर्य तथा वैविध्यपूर्ण नैसर्गिक पर्यावरण से भरपूर है, विनाशकारी परियोजनाओं के लगातार हमले का शिकार है. विकास के नाम पर राजमार्गों, बंदरगाहों, बुलेट ट्रेनों, रासायनिक संयंत्रों, परमाणु संयंत्रों, खदानों के प्रकल्प और अमीरों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्यटन की योजना बनाई जा रही है. यह अभियान प्राकृतिक वनों के विनाश, आदिवासियों के जल और जमीन पर कब्जा करने के साथ चल रहा है. पूरे कोंकण में भूमि अधिग्रहण एक लुटेरा व्यवसाय बन गया है. संपत्तिवान और उनके दलाल सरकारी एजेंसियों के सक्रिय सहयोग से पेसा और ग्राम सभा से लोगों को मिले लोकतांत्रिक अधिकारों को नष्ट कर विनाश का बुलडोजर चला रहे हैं. बड़ौदा हाईवे का विरोध कर रहे आदिवासियों को उनके घरों से उठा कर उनके कपड़े उतारे जाने की खबर फोटो के साथ सोशल मीडिया में प्रकाशित हुई है.
कोंकण के आदिवासियों की यह लड़ाई काॅरपोरेेट परस्त विनाशकारी विकास नीतियों के खिलाफ है. यह देश की प्राकृतिक संपदा को विकास के नाम पर काॅरपोरेटों को सौंपने की नीति के खिलाफ लोगों के व्यापक संघर्ष का हिस्सा है.
भाकपा(माले) के महाराष्ट्र राज्य सचिव का. श्याम गोहिल ने कोंकण वासियों की संघर्ष समिति को अपना पूर्ण समर्थन देते हुए महाराष्ट्र में अन्य जगहों पर चल रहे जन संघर्षों को एकजुट करने, समानधर्मी राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनो से इस का समर्थन करने और विनाशकारी कोरपोरेट परस्त परियोजनाओ का विरोध करने के लिए एक संयुक्त मोर्चा बनाने का आह्नान किया है.
भाकपा(माले) ने बारसू-सोलगांव पंचक्रोशी रिफाइनरी परियोजना तथा बड़ौदा-मुंबई राजमार्ग परियोजना के तहत दहानू-धनिवारी में आदिवासियों के विस्थापन और भूमि अधिग्रहण पर रोक लगाने की मांग की है.