- बी. शिवरामन
सिलिकाॅन वैली बैंक (एसवीबी) का पतन अब दुनिया भर में हलचल मचा रहा है. सितंबर 2022 तक अमेरिका में 4157 वाणिज्यिक बैंक थे. 212 बिलियन डाॅलर की संपत्ति (एसेट्स) और 175.4 बिलियन डाॅलर जमा पूंजी (डिपाॅजिट) के साथ, सिलिकाॅन वैली बैंक उनमें 16वें स्थान पर था. हालांकि सबसे बड़े अमेरिकी बैंक, जेपी माॅर्गन चेज जिसकी कुल संपत्ति 3665 बिलियन डाॅलर है, की तुलना में इसकी संपत्ति का मूल्य काफी कम है, क्योंकि एसवीबी का पतन अमेरिका में 2008 की वित्तीय मंदी के बाद से सबसे बड़ा बैंक पतन है, इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ रहा है. कुछ ही दिनों में, शेयर बाजारों में अमेरिकी बैंकों के शेयर मूल्य गिर गए.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को स्वयं एसवीबी के अमेरिकी जमाकर्ताओं को आश्वस्त करना पड़ा कि उनका पैसा सुरक्षित रहेगा. हैरानी की बात यह है कि दूसरी चरम छोर पर जाते हुए, उन्होंने करदाताओं को भी आश्वस्त किया कि उनके कर का पैसा बेलआउट पर खर्च नहीं किया जाएगा. फिर, वह जमाकर्ताओं के पैसे कैसे बचाएंगे? उनके प्रशासन ने एक समाधान योजना तैयार की, जिसके तहत अन्य सभी बैंकों द्वारा भुगतान किए गए जमा बीमा प्रीमियम का उपयोग जमाकर्ताओं को उनके पैसे चुकाने के लिए किया जाएगा. उन्होंने राष्ट्र को यह भी आश्वस्त किया कि एसवीबी का पतन एक इकलौती ऐसी घटना थी, और यह अमेरिकी बैंकिंग उद्योग में ‘डोमिनोज प्रभाव’ की शुरुआत को चिह्नित नहीं करेगा, क्योंकि, उनके अनुसार, वह उसके अच्छे वित्तीय स्वास्थ्य के बारे में आश्वस्त थे.
अमेरिकी मीडिया ने भी जनता को आश्वस्त करने के लिए समयोपरि काम किया कि एसवीबी लेहमन ब्रदर्स नहीं है और 2008 की तरह 2023 नहीं है. 15 सितंबर 2008 को लेहमन ब्रदर्स निवेश बैंक का पतन हुआ था, जिसने वित्तीय मंदी को ट्रिगर किया था. यहां तक कि फेडरल रिजर्व (अमेरिकी रिज़र्व बैंक) को भी दुनिया को अमेरिकी वित्तीय प्रणाली की स्थिरता के बारे में आश्वस्त करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी.
आधुनिक पूंजीवाद में, शेयर बाजार के जरिये संकट प्रकट होता है. एसवीबी की मूल कंपनी एसवीबी फायनेंसियल है. एसवीबी फायनेंसियल के शेयरों में लेन-देन यूएस बैंकिंग नियामकों द्वारा 10 मार्च 2023 को रोक दिया गया था, जब एसवीबी फायनेंसियल के शेयरों का मूल्य 9 मार्च को 60% और 10 मार्च को 64% गिर गया था. इसके बाद एसवीबी ने घोषणा की कि वह 1.8 अरब डाॅलर के घाटे पर 21 अरब डाॅलर मूल्य की प्रतिभूतियां (सेक्यूरिटीज) बेच रहा है. इससे पहले 2.5 अरब डाॅलर मूल्य के शेयरों की बहुत कम दाम पर बिक्री हुई थी. यह सभी को स्पष्ट हो गया था कि एसवीबी डूब रहा था. एसवीबी के डिपाॅजिट्स के लिए दौड़ मच गई और एसवीबी में जमाकर्ता और निवेशक पैसे निकालने के लिए हाथ-पांव मारने लगे. अमेरिकी राज्य के वित्तीय संरक्षण और नवाचार विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ फायनेंसियल प्रोटेक्शन एंड इनोवेशन) ने एसवीबी को दिवालिया घोषित कर दिया और उसे अपने कब्जे में ले लिया.
लगता है इसमें कुछ बेईमानी भी है. अमेरिका में, डिपाॅजिट इंश्योरेंस व्यवस्था के तहत, केवल उन्हीं जमाकर्ताओं को अपना पैसा वापस मिलने वाला जिन्होंने 2,50,000 डाॅलर तक जमा किए थे, पर उनको नहीं जिन्होंने इस राशि से अधिक निवेश किया था. दुर्घटना की पूर्व संध्या पर, एक ही दिन के भीतर, केवल 10 खाताधारकों ने कुल 42 बिलियन डाॅलर निकाल लिये थे. शायद इसने ही पतन को तेज कर दिया था. यह निकासी पूरी तरह कानूनी लेकिन अनैतिक थी.
वैसे भी, क्या बाइडेन का यह दावा करना सही था कि एसवीबी का पतन स्वस्थ अमेरिकी बैंकिंग के सामान्य नियम का अपवाद था?
एसवीबी किसी अन्य बैंक की तरह नहीं है. इसका पतन किसी अन्य नियमित बैंक पतन जैसा नहीं था. एसवीबी आईटी और जीव-विज्ञान क्षेत्रों में तकनीकी स्टार्ट-अप्स को ट्टण देने के लिये विशिष्ट है. वित्तीय संस्थानों में, इसने तकनीकी क्षेत्रपा के फर्मों को बढ़ावा देने वाली एक उद्यम-पूंजी सेलेब्रिटी के रूप में काम किया. स्वाभाविक रूप से, इसके संकट को समग्र तकनीकी संकट से अलग करके नहीं देखा जा सकता. निरंतर हो रही तकनीकी छंटनी उसी सर्वांगीण तकनीकी संकट की एक और अभिव्यक्ति ही है. जब बढ़ते डिजिटलीकरण के साथ टेक कंपनियां तेजी से बढ़ने वाली ब्लू-चिप कंपनियां बन गईं, तो, स्वाभाविक रूप से निवेशकों ने झुंड मानसिकता से काम किया, जैसा कि पूंजीवाद में प्रचलन है. स्पष्ट रूप से, बड़े पैमाने पर अधिक निवेश हुआ और अतिरिक्त क्षमताएं सृजित की गई. फिर, अनिवार्य रूप से एक ‘सुधार’ किया गया और तकनीकी क्रांति अपने ‘अधीनों’ में से एक, एसवीबी को निगल गई.
निवेश बैंकर के रूप में एसवीबी अकेला नहीं है. नाॅर्वे जैसे कुछ देशों के साॅवरेन वेल्थ फंड्स को एसवीबी में रखा गया है. कई कंपनियों ने एसवीबी में अपने भंडार और अधिशेष का भी निवेश किया है. एयरबंब, उबेर, फिट्बिट्, मोबाइल भुगतान कंपनी स्क्वायर और निवेश कंपनी राॅबिनहुड कुछ ऐसे बड़े काॅर्पाेरेट नाम हैं जिन्होंने एसवीबी में अपना पैसा लगाया था.
एसवीबी अपने निवेश योग्य धन को कैसे जुटाता था? वास्तव में, एसवीबी एक वृहद निवेशक (मेगा इन्वेस्टर) था जिसमें प्रमुख निवेश कंपनियों ने स्वयं निवेश किया था. कैपिटल रिसर्च एंड मैनेजमेंट कंपनी के पास एसवीबी के 10% शेयर थे. दुनिया की सबसे बड़ी निवेश कंपनियों में से एक द वैनगार्ड ग्रुप के पास एसवीबी के 7% शेयर थे. एक अन्य परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी ब्लैकराॅक एसवीबी के 6% शेयरों को नियंत्रित करती थी. स्टेट स्ट्रीट काॅर्पाेरेशन के पास एसवीबी के 5% शेयर थे. एसवीबी के अन्य 5% शेयर फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट्स के पास थे. अब इन सभी निवेश कंपनियों के बड़े निवेश चले गये हैं. बाइडेन पहले ही कह चुके हैं कि केवल खुदरा जमाकर्ताओं को उनका पैसा वापस मिलेगा, निवेशकों को नहीं. ‘उन्होंने एक जुआ खेला था और हार गए, आखिर यही तो पूंजीवाद है,’ उन्होंने कहा.
इस तरह के नुकसान का असर अन्य कंपनियों में उनके निवेश परिमाण पर दिखना तय है, जो घटने के लिए बाध्य है.एसवीबी के हाई-प्रोफाइल संकट की वजह से, अन्य कंपनियों में निवेश, जो बदले में टेक फर्मों में निवेश कर रहे हैं, में भी कमी आएगी. पहले से ही मंदी से जूझ रही टेक कंपनियों पर इसका असर पड़ेगा. बाइडेन और अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट एलेन निश्चित रूप से मतदाताओं को आश्वस्त करेंगे क्योंकि यह उनका कर्तव्य है. लेकिन कोई भी सख्त व योग्य निवेशक इस तरह के आश्वासनों को अपने निवेश के फैसले के लिये आधार नहीं बनाएगा. जब एसवीबी जैसा हाई-प्रोफाइल निवेश बैंक लुढ़क सकता है, तो ज़ाहिर है, पूरा निवेश समुदाय दोगुना सतर्क हो जाएगा.
एसवीबी टेक स्टार्ट-अप्स और लाइफ-साइंस स्टार्ट-अप्स में प्रमुख निवेशकों में से एक है. एसवीबी की उल्कापिंड जैसी वृद्धि इसलिए हुई क्योंकि एक मीडिया बिल्ड-अप था कि एसवीबी के पास उन्नत इन्फोटेक क्षेत्रों के साथ-साथ जीवन-विज्ञान में खासी विशेषज्ञता थी. स्टार्ट-अप्स को वित्तीय सहायता के अलावा इसने तकनीकी सहायता भी प्रदान की थी. उन्हें शैक्षिक सामग्री और तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करके, एसवीबी ने एक गौरवशाली इनक्यूबेटर के रूप में भी काम किया. पर उसकी सारी विशेषज्ञता और ज्ञान का क्या हुआ? वह स्टार्ट-अप्स के सामान्य संकट का आकलन नहीं कर सका. शायद, यह स्टार्ट-अप्स के ‘शमपीटेरियन इनोवेशन मिरेकल’ और मौजूदा दिग्गजों के विध्वंस के माध्यम से उनकी कथित विशाल विकास क्षमता के हाइप द्वारा भ्रमित था. विडंबना यह है कि संकटग्रस्त स्टार्ट-अप्स ने अपने ही प्रमुख प्रमोटरों में से एक को खत्म कर दिया. यही पूंजीवादी तर्क है.
बाइडेन के आश्वासन के बावजूद, एसवीबी के पतन के ठीक दो दिन बाद, न्यूयाॅर्क स्थित सिग्नेचर बैंक को नियामकों द्वारा दिवालिएपन के कारण बंद कर दिया गया था. चार दिनों के बाद, एक क्रिप्टोकरंसी बैंक सिल्वरगेट भी डूब गया. जबकि हम केवल इन तीन बैंकों के पतन के आधार पर यह तर्क नहीं दे सकते हैं कि एक डोमिनोज प्रभाव पहले से ही चल रहा है और 2023 में 2008 दोहराया जाना शुरू हो चुका है, हम इतना जरूर कह सकते हैं कि 2008 के रंग पहले से ही क्षितिज पर दिखाई देने लगे हैं. यूक्रेन युद्ध से शुरू हुई मुद्रास्फीति, पूरे अमेरिका में पहले ही आ चुकी मंदी और यूरोप में मंदी केवल धीरे-धीरे आ रही है एक पूर्ण मंदी की ओर इशारा करते हैं. इसने पहले ही तकनीकी क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया है. वित्तीय क्षेत्र में तनाव के शुरुआती संकेत भी दिखाई दे रहे हैं. यहां तक कि कुछ और ‘छोटे पतन’ भी 2008 की तरह एक वित्तीय मंदी को ट्रिगर कर सकते हैं.
अमेरिकी बैंकिंग क्षेत्र की वास्तविकताएं पहले से ही इसके पर्याप्त संकेत दे रही हैं. महामारी के दौरान अमेरिकी बैंकिंग क्षेत्र की लाभ दर कुल मिलाकर 4% तक गिर गई. महामारी से रिकवरी काफी प्रभावशाली थी क्योंकि 2021 में मुनाफा 12% तक बढ़ गया था. 2022 में, लाभ फिर से 5% तक गिर गया. अगले वित्त वर्ष में उनके महामारी के स्तर से नीचे जाने की उम्मीद है. इसका मतलब है कि अमेरिकी बैंक अपने जमाकर्ताओं को जितना भुगतान करते हैं, उससे कम कमा रहे होंगे. लेकिन यह आंकड़ा समग्र बैंकिंग क्षेत्र के लिए औसत है. कई बैंक 1% भी लाभ नहीं कमा रहे हैं और घाटे में जाने के कगार पर हैं.
इसके अतिरिक्त, यूक्रेन युद्ध ने दृढ़ मुद्रास्फीति को जन्म दिया जिससे ब्याज दरें बढ़ रही हैं. परिणामस्वरूप बाॅन्ड की कीमतें गिरती हैं. यह सिलिकाॅन वैली बैंक के बाॅन्ड पोर्टफोलियो को खंडित कर रहा है. एसवीबी का अन्यथा विशाल बाॅन्ड पोटर्फोलियो दस दिन पहले मात्र 1.79% प्रतिफल दे रहा था, जो 10 वर्षीय ट्रेजरी बाॅन्ड प्रतिफल 3.9% से काफी कम था. एसवीबी बाॅन्ड्स का कोई खरीदार नहीं है.
दूसरे 2008 को रोकने के लिए, बाइडेन जमाकर्ताओं के बचाव में आ सकते हैं. लेकिन बैंक के पतन में केवल जमाकर्ता ही घाटे में नहीं हैं. जैसा कि हमने देखा है, एसवीबी पतन का तरंग प्रभाव बहुत व्यापक होगा और बाइडेन उनके खिलाफ शक्तिहीन होंगे. उदाहरण के लिए, एसवीबी के पतन से एक निश्चित मनोदशा पैदा होगी जिसमें तकनीकी क्षेत्रा के विस्तार और आधुनिकीकरण में निवेश का ताजा प्रवाह कम हो जाएगा, और यह जारी तकनीकी छंटनी को और तेज करेगा. यदि नौकरी का नुकसान वित्त क्षेत्र में भी फैल गया, तो अमेरिका भी कुछ यूरोपीय देशों की भांति उच्च बेरोजगारी की सूचना देना शुरू कर देगा. अन्य क्षेत्रों की तुलना में वित्त क्षेत्र में विश्वास एक मजबूत परिचालन आधार है और जब खुदरा निवेशकों का विश्वास डगमगा गया है, अर्थव्यवस्था पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ना तय है.
विश्वास डगमगा गया है क्योंकि 2008 के बाद के नियामक उपाय एसवीबी के पतन को नहीं रोक सके. उदाहरण के लिए, 2008 की वित्तीय मंदी के बाद, अमेरिका में डोड-फ्रैंक वाॅल स्ट्रीट रिफाॅर्म एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया गया था. यह दावा किया गया था कि इस अधिनियम ने कड़े नियामक उपायों की शुरुआत की है जो एक और लेहमन ब्रदर्स जैसे पतन को असंभव बना देगा. डोड-फ्रैंक अधिनियम जमाकर्ताओं के धन के सट्टा निवेश पर प्रतिबंधों के माध्यम से अटकलों पर अंकुश लगाएगा. इसके अलावा, विश्व स्तर पर, बेसल III मानदंड भी तैयार किए गए थे, जो कथित तौर पर पारदर्शिता में वृद्धि, जोखिम-प्रबंधन प्रथाओं में सुधार और प्रकटीकरण मानदंडों में वृद्धि, और सबसे बढ़कर, तरलता आवश्यकताओं में वृद्धि कर पाए. इनके अलावा, समय-समय पर तनाव परीक्षण भी अनिवार्य कर दिये गए. इन विनियामक उपायों को नई वित्तीय संरचना के रूप में प्रचारित किया गया. इनके बावजूद, एसवीबी ढह गया. फिर इन नियामक उपायों का क्या मूल्य है? सोचने की बात है!
कुछ नए नीतिगत जोखिम भी आने वाले हैं जो बैंकिंग संकट को और गहरा कर सकते हैं और इसे सामान्य बना सकते हैं.
राजकोषीय जोखिम: यूएस में, जमा बीमा राशि का भुगतान एक सरकारी एजेंसी द्वारा किया जाता है और इसलिए ऐसे भुगतानों को अंततः संघीय बजट द्वारा अंडरराइट करना पड़ता है (इसलिए यह एक बड़ा राजकोषीय बोझ है). रूस के विरुद्ध यूक्रेन के लोगों के मुक्ति संग्राम को रूस के विरुद्ध अमेरिकी साम्राज्यवाद के छद्म युद्ध में बदलने हेतु अमेरिका ने पहले ही भारी वित्तीय बोझ उठाया है. भारी तोपखाने और टैंकों की आपूर्ति के अलावा, यूएस-नाटो शक्तियां भी यूक्रेन को मिसाइलों की आपूर्ति कर रही हैं. जब एक संभावित बातचीत के समाधान के शुरुआती संकेत हैं, तो इसे रोकने के लिए, बाइडेन सक्रिय रूप से यूक्रेन को लड़ाकू जेट की आपूर्ति पर विचार कर रहे हैं, जो युद्ध को एक उच्च स्तर तक ले जाएगा. यह अमेरिका के लिए एक बड़ा वित्तीय बोझ होगा.
मौद्रिक जोखिम: क्योंकि मुद्रास्फीति स्थिर रहती है, फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में बढ़ोतरी पर कोई रोक नहीं रहती है. बैंक एक निश्चित दर पर उधार देते हैं और दरों में इस तरह की बढ़ोतरी के कारण वे जो वास्तविक ब्याज आय एकत्र करते हैं, वह समाप्त हो जाता है. इसके अलावा, अमेरिकी डाॅलर पहले से ही अस्थिर है. अस्थिर शेयर बाजारों की तरह, यदि डाॅलर की विनिमय दर में भी तेजी से उछाल आता है, तो यह बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता के लिए एक बड़ा मौद्रिक झटका होगा. ये संभावित राजकोषीय और मौद्रिक चुनौतियां, जो अमेरिकी बैंकों के सेहत के लिए गंभीर जोखिम पैदा करती हैं, और साथ में, बढ़ती मंदी वास्तव में चिक-एंड-एग स्टोरी है. किसी भी तरह से, अमेरिकी बैंक एक प्रमुख उछाल-भंग वित्तीय चक्र से बच नहीं सकते हैं.
पूंजीवाद में चक्रीय आवधिक संकट कानून के दम पर संचालित होता है. स्वाभाविक रूप से, पूंजीवाद और इसे नियंत्रित करने वाले राज्य हर संभव नियामक और प्रतिकारी उपाय करते हैं. 19वीं शताब्दी में, कार्ल मार्क्स ने दिखाया कि कैसे आवधिक संकटों की प्रवृत्ति विनियामक और प्रतिकारी उपायों पर हावी हो जाती है. कोई भी विनियमन वित्तीय पूंजीवाद को संकट मुक्त नहीं बना सकता. दो, तीन, कई और... एसवीबी का होना तय है.