पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बढे़ साम्प्रदायिक विभाजन का सबसे ज्यादा फायदा निजी चीनी मिल मालिकों ने उठाया. साल-साल भर किसानों का पैसा दाब कर मिल मालिकों ने करोड़ों रूपये तो किसानों के पैसे पर ब्याज मे ही कमा लिये और किसानों के पैसे का अन्यत्र इस्तेमाल कर अपना नफा व कारोबार बढा़ लिया. एक चीनी मिल औसतन सवा करोड कुन्टल गन्ना एक सीजन मे पेरती है और अभी के रेट के हिसाब से यह 450 करोड रूपये के लगभग बनता है. एक मिल के एरिया मे लगभग 60 से 80 हजार के करीब गन्ना किसान रजिस्टर्ड होते है, जो सहकारी समिति के माध्यम से मिल को गन्ना सप्लाई करते है. किसी भी मिल को गन्ना देने के लिए प्रदेश गन्ना विभाग द्वारा एरिया/गन्ना सेन्टर एलॉट किये जाते है और समिति के माध्यम से सरकार किसान को मिल द्वारा लिए गये गन्ने का रेट व भुगतान की गारंटी दी जाती है. उत्तर प्रदेश में 100 करोड से लेकर 250 करोड रूपये तक किसानों का चीनी मिल मालिकों पर भुगतान बकाया है जो कि एक मिल द्वारा एक सीजन की कुल खरीद का 30% से 50% तक ही है. तो इसमे उस क्षेत्र के गन्ना किसानों की हालत का अंदाजा लगाईये, जो एक साल मे फसल तैयार करते हैं मिल मे गन्ना देने के बाद एक साल तक भुगतान का इंतजार करते हैं. इन दो सालों मे बीमारी मे दवा बगैर कितने ही किसानों की मृत्यु हो जाती है, उनके बच्चों की स्कूल फीस न दे पाने से पढाई छूट जाती है, लड़कियों के शादी के रिश्ते टूट जा रहे हैं और इन दो सालों मे खर्च के लिए साहूकारों से कर्ज लेकर ऐसे जाल मे किसान फंस जा रहा है जिस कर्ज के जाल से वह मर कर ही बाहर निकल पाता है.
ऐसी ही स्थिति में बरेली जिले की बहेड़ी तहसील की केसर चीनी मिल को गन्ना सप्लाई करने वाले बहेड़ी के गन्ना किसानों की थी. केसर चीनी मिल ने पिछले साल लगभग 415 करोड़ रूपये का गन्ना किसानों से खरीदा था जिसमें से इस साल मिल शुरू होने तक भी 92 करोड़ रूपये का बकाया था, बिना बकाया दिये मिल ने इस साल पेराई शुरू कर गन्ना खरीद शुरू कर दी. किसानों के गन्ना से कमा कर पिछले साल का भुगतान मिल ने दो माह में किया और इस साल 119 दिन मिल चलने के बाद सिर्फ 19 दिन का भुगतान ही दिया गया, किसानों को गन्ना कटाई/सप्लाई के लिए, गेहूं बोवाई के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा था.
अखिल भारतीय किसान महासभा के द्वारा गन्ना के बकाया हो गये 187 करोड़ रूपये भुगतान के लिए कई बार धरना-प्रदर्शन किया गया, तब जाकर 10 फरवरी को उप जिलाधिकारी बहेड़ी के कार्यालय पर किसानों व मिल प्रबंधतंत्र के बीच वार्ता हुई. किन्तु मिल प्रबंधतंत्र बकाया भुगतान को देने मे असमर्थता बता कर चला गया, ऐसे में अखिल भारतीय किसान महासभा के द्वारा बहेड़ी गन्ना सहकारी समिति पर गन्ना बकाया भुगतान की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन धरने की 13 फरवरी को शुरूआत कर दी गई, और धरना स्थल पर 17 फरवरी को किसान पंचायत बुलाई गयी. और मिल प्रबंधतंत्र को किसानों के बीच आने को कहा गया. 17 फरवरी की किसान पंचायत में 400 किसान जुटे. मिल प्रबंधतंत्र ने दबाव में 5 दिन में 12 करोड़ रूपये भुगतान करके पंचायत मे आया. किसानों ने कम से कम एकमुश्त 50 करोड़ रूपये भुगतान की मांग रखी. मगर मिल प्रबंधतंत्र नहीं माना और वार्ता विफल रही. किसानों ने धरने को जारी रखने व 23 फरवरी को पुनः किसान पंचायत बुलाने का ऐलान किया. धरने के प्रचार के लिए माईक से प्रचार किया गया और किसानों से पंचायत में आने की अपील की गयी. 23 फरवरी की किसान पंचायत मे अखिल भारतीय किसान महासभा के उत्तखण्ड अध्यक्ष कामरेड आन्नद नेगी, बहादुर सिंह जंगी, तराई किसान संगठन के तेजिन्दर विर्क, अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव अफरोज आलम सहित लगभग एक हजार किसान शामिल हुए. किसानों के बढते आक्रोश को देखते हुए धरना स्थल पर भारी पुलिस लगाई गयी, मिल प्रबंधतंत्र 7 दिन का लगभग 16 करोड रूपये भुगतान कर के पंचायत मे आया. किसानों ने दिसम्बर तक का पूर्ण भुगतान करने व माह में कम से कम 20 दिन का भुगतान करने की शर्त रखी. पंचायत मे किसानों की मांग पर जिला प्रशासन ने मिल पर कोई दबाव नही बनाया. बढ़े मनोबल के कारण मिल प्रबंधतंत्र ने किसानों की मांग नहीं मानी. वार्ता विफल रही. किसानों ने आगामी 28 फरवरी को पुनः किसान पंचायत बुलाने का ऐलान किया और कहा कि उस दिन भुगतान नहीं मिला तो किसान चीनी मिल तक मार्च करेगें और मिल को गन्ना सप्लाई रोक देंगे.
23 की पंचायत मे भुगतान नही होने से क्षेत्रा में व्यापक जन आक्रोश था और यह आन्दोलन जिले में एक प्रमुख मुद्दा बन गया था जिसमें उत्तर प्रदेश विधान सभा के चल रहे सत्र मे बहेडद्यी के सपा विधायक अताउर्रहमान ने इस आन्दोलन व गन्ना बकाया भुगतान के सवाल को उठाकर सरकार से भुगतान कराने की मांग की. अब इसको लेकर राजनीति तेज हो गयी, पूर्व मंत्री व बहेडी के पूर्व विधायक भाजपा नेता छत्रपाल गंगवार ने तुरन्त अपने घर पर कुछ भाजपा नेताओं को व मिल प्रबंधतंत्र को बुलाया और मिल प्रबंधतंत्र के उस प्रस्ताव पर जिसे किसानों ने 23 की पंचायत मे खारिज कर दिया था, समझौता कर मिल प्रबंधतंत्र को अपने बगल में बिठा कर एक वीडियो के जरिये किसानों के साथ समझौते का ऐलान कर दिया. यह वीडियो सार्वजनिक होने के बाद पूर्व भाजपा विधायक के खिलाफ व्यापक जन आक्रोश फैल गया और किसानों ने उनके द्वारा इस फर्जी समझौते के द्वारा किसानों के साथ खड़े होने के बजाय मिल प्रबंधतंत्र के साथ खडे होने की निन्दा की और 28 की किसान पंचायत में किसानों के गन्ना बकाया भुगतान के सवाल को विधान सभा मे उठाने पर स्थानीय सपा विधायक अताउर्रहमान को धन्यवाद दिया.
28 की किसान पंचायत मे बडीं संख्या मे किसान शामिल हुए और किसानों के इस आन्दोलन को समर्थन देने अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेम सिंह गहलावत पंचायत मे शामिल हुए और उन्होनें कहा कि किसान मिल मालिकों व भाजपा के बीच मौजूद सांठगांठ को समझ गये हैं इसलिए एकजुट होकर इससे संघर्ष करने उतरे है. भाजपा के राज मे मिल मालिक मालामाल हो रहे है और किसान बर्बाद, इसलिए किसान महासभा को मजबूत करें क्योंकि अभी और बडी लड़ाई लड़नी है. किसान पंचायत को तराई किसान संगठन के तेजिन्दर विर्क, अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव अफरोज आलम, जिला सचिव जावेद अख्तर आदि ने सम्बोधित किया.
28 की किसान पंचायत मे मिल प्रबंधतंत्र के साथ किसानों का लिखित समझौता हुआ जिसके जरिये मिल 6 मार्च तक 15 करोड़ रूपये, 15 मार्च तक 60 करोड़ रूपये व अप्रैल मे 60 करोड़ रूपये और किसानों को भुगतान करेगी. इस समझौते के बाद किसान महासभा के द्वारा शुरू किया गया अनिश्चित कालीन धरना स्थगित कर दिया गया. इस आन्दोलन की अगुवाई अखिल भारतीय किसान महासभा के तहसील बहेडी के अध्यक्ष कामरेड हरदीप सिंह, जिला सचिव जावेद अख्तर, सुरेन्द्र सिंह, प्रमोद मौर्य, कुलवीर सिंह आदि ने किया.
इस सफल आन्दोलन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसान राजनीति में अखिल भारतीय किसान महासभा ने सही हस्तक्षेप किया और संगठन व उसके नेतृत्व की साख भी बढ़ी है. उम्मीद है इससे बरेली जिले मे संगठन को और मजबूत करने के मदद मिलेगी.
– अफरोज आलम