कागज पर कुछ रेखाएं खिंची, उनमें कुछ रंग भरा, रंग भरने से कुछ आकृतियां उभरी, आकृतियां उभरने से कार्टून बना और कार्टून के बनने से भावनाएं आहत हो गयीं. जिनकी नर्म-मुलायम-नाजुक-कोमल भावनाएं आहत हुईं, वे लपक कर मुकदमा दर्ज करवाने चल पड़े. आहत भावनाओं वाला तो कुछ भी कर सकता है पर डियर मित्र पुलिस जी, आपके पास तो और भी काम होंगे, आप क्यूं आहत भावनाओं पर मरहम लगाने के लिए मुकदमा दर्ज करने निकल पड़े?
यह सिद्ध करने का जिम्मा आहत भावना वालों का होगा या मित्र पुलिस का कि जिनसे भावनाएं जुड़ी हैं, कार्टून में दिखने वाले वही हैं? आहत भावनाओं वालों की मित्र पुलिस, आपने किस आधार पर जाना कि जो कार्टून में दिखाई दे रहे हैं, ये वही हैं, जिनसे आहत भावना वालों की भावना जुड़ी हुई है? और ऐसा मुकदमा तो पहली बार लिखा हुआ देखा महाराज, जिसमें जिसमें मुख्य भावना आहतकर्ता का पता ‘नामालूम’ लिखा गया हो!
किस्सा यूं है कि शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण की फिल्म पठान के गीत ‘बेशर्म रंग’ में दीपिका पादुकोण के कपड़ों के रंग को देख कर कुछ की भावनाएं आहत हो गयीं. लेकिन शाहरुख-दीपिका के डांस स्टेप देख, कुछ के दिमाग में आइडियाओं के बादल उमड़े-घुमड़े कि ऐसी अंतरंगता तो और भी कई जगह दिखती है और उसमें बेशर्मी का ऐलीमेंट भी शामिल होता है. आइडियाओं की उमड़-घुमड़ जिनके दिमाग में हुई, उसमें कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय भी शामिल थे.
हेमंत मालवीय ने एक कार्टून बनाया, जिसमें दीपिका-शाहरुख की मुद्रा में दो दाढ़ीधारी पुरुष हैं और लिखा है – बेशर्म संग. उन्होंने उस पर काल्पनिक होने का डिस्क्लेमर भी लगा दिया.
लेकिन लगता है कि वो पोज और वो रंग संयोजन, है ही भावना आहत करने वाला! कुछ की भावना दीपिका-शाहरुख के गाने को देख कर आहत हुई और एक हजरत की भावना, उसी मुद्रा में दो दाढ़ीधारी अधेड़ों के कार्टून से, आहत हो गयी! जैसा कि पहले लिखा जा चुका है कि उनकी न केवल भावना आहत हुई बल्कि उन्होंने काल्पनिक बताए गए कार्टून में एक वास्तविक जीवन के पात्र को न केवल पहचान लिया बल्कि कार्टून को उन महाशय का अपमान भी करार दिया. हैरत यह कि हरिद्वार की पुलिस ने भी आहत भावना वाले सज्जन की बात मानते हुए, स्वीकार कर लिया कि कार्टून में दिखने वाले व्यक्ति, आहत भावना वाले सज्जन के आराध्य ही हैं! और तो और पुलिस ने भी स्वीकार कर लिया कि उक्त कार्टून से धार्मिक भावनाएं भड़क सकती हैं!
आईपीसी की जिस धारा – 153 ए में मुकदमा दर्ज किया गया है, वह तो दो धर्मों या समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने से संबन्धित है, हरिद्वार पुलिस ने आहत भावना वाले सज्जन और हेमंत मालवीय में दो समुदाय देखे या कि जिनको चमत्कारिक रूप से पुलिस ने भी कार्टून में पहचान लिया, उनमें और कार्टून बनाने वाले में दो समुदाय देख लिए, यह तो हरिद्वार जिले के कनखल की पुलिस ही बेहतर बता सकती है!
आहत भावना वाले सज्जन की भावना न केवल कार्टून बनाने वाले हेमंत मालवीय से आहत हुई बल्कि पत्रकार गजेन्द्र रावत से भी आहत हो गयी. हेमंत मालवीय ने तो कार्टून बनाया पर गजेन्द्र रावत ने क्या किया? पता चला कि गजेंद्र रावत ने कार्टून शेयर किया! पर महाराज कार्टून शेयर तो 500 से अधिक लोगों ने किया है तो फिर कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय के अलावा केवल गजेन्द्र रावत के ही शेयर करने से भावनाएं आहत क्यूं हुई और दो समुदायों में वैमनस्य फैलने की स्थिति कैसे पैदा हुई? लगता है गजेन्द्र रावत से तो भावनाएं हेमंत मालवीय से भी अधिक आहत हुई क्यूंकि उनका तो एफ़आईआर में पता भी लिखवाया गया है! या मुमकिन है कि गजेन्द्र रावत से भावना आहत होने का सिलसिला पहले से रहा हो! पर प्रश्न फिर पुलिस जी से है कि पुलिस महाराज, आपने 500 शेयर करने वालों में से सिर्फ एक पर ही मुकदमा क्यूं दर्ज किया? आपकी भी भावनाएं पहले से आहत थीं क्या?
बहरहाल, हमारे जैसे भोले-भाले पाठकों के लिए बड़ी समस्या है. हेमंत मालवीय ने कार्टून में डिस्क्लेमर लिख दिया कि यह काल्पनिक है तो हमने मान लिया कि काल्पनिक ही होगा.
फिर आहत भावना वाले सज्जन और कनखल पुलिस ने लिख दिया कि कार्टून काल्पनिक नहीं बल्कि योग गुरु रामदेव का अपमान करने वाला है तो हमें मानना ही पड़ेगा कि कार्टून योगगुरु रामदेव का है! कोई अन्य आहत भावना वाला सज्जन या पुलिस यह भी बता दें कि कार्टून में दूसरा शख्स कौन है तो हम हेमंत मालवीय के डिस्क्लेमर वाले चक्रव्यूह से थोड़ा और बाहर निकल सकें!
चूंकि आहत भावना वाले सज्जन और पुलिस कह रहे हैं कि कार्टून में दिखने वाले महापुरुष बाबा रामदेव हैं तो सहसा याद आया कि उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से भाजपा के सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने बाबा रामदेव के घी को नकली कहा था.
बल्कि उन्होंने कई बार, बार-बार उस बात से आगे बढ़ कर बाबा रामदेव पर आरोप लगाए.
तब भी किसी की भावनाएं आहत हुई थी क्या? जहां तक मेरी जानकारी है, उन्हें सिर्फ कानूनी नोटिस भर दिया गया. यह गजब है, जिसने नाम लेकर बाबा रामदेव के घी को नकली कहा, उससे भावना आहत होने की कोई रिपोर्ट नहीं दर्ज हुई और जिसने कार्टून बनाया और कहा कि यह काल्पनिक है, उससे भावना आहत हो गयी और मुकदमा भी दर्ज करवा दिया, क्यूं भई क्यूं? इसलिए कि हेमंत मालवीय सिर्फ कलम-कूची से लड़ सकते हैं, उन्हें कानूनी दांवपेंच में फंसा कर हलकान किया जा सकता है? और बृजभूषण शरण सिंह बाहुबली किस्म के व्यक्ति हैं, वे भावना ही नहीं शरीर को भी आहत कर सकते हैं. इसलिए उनसे उचित दूरी बना कर चल रहे हैं आहत भावना वाली जमात के लोग?
और कार्टून से आहत भावना वाले यह भी बता दें कि जब खुले मंच से आपके आराध्य पुरुष महिलाओं से साड़ी, सलवार-सूट पहनने की बात के बाद कहते हैं कि कोई ना भी पहने तो भी अच्छी लगती हैं तो इससे उनकी भावनाओं पर कोई शिकन आई या नहीं?
कार्टून से आहत होने वाले भावनाएं यदि महिलाओं पर ऐसी बेहूदा टिप्पणी के बाद भी आहत न हो तो शर्म-ओ-हया की कमजोरी तो उन भावनाओं के आहत होने में भी पायी जा रही है.
- इन्द्रेश मैखुरी