वर्ष - 32
अंक - 2
07-01-2023

पंजाब के सात वामपंथी और क्रांतिकारी दलों ने ‘फासीवादी हमला विरोधी मोर्चा’ (फ्रंट अगेंस्ट फासिस्ट अटैक्स’) बनाया और जालंधर में राज्य स्तरीय संयुक्त सम्मेलन आयोजित किया. इस मोर्चे ने अगले साल मार्च में चंडीगढ़ में एक विशाल रैली आयोजित करने की घोषणा की है.

मोदी सरकार की कारपारेेट परस्त साम्प्रदायिक फासीवादी नीतियों के खिलाफ क्रांतिकारी और वामपंथी पार्टियों व संगठनों पर अधारत ‘फासीवादी हमला विरोधी मोर्चा’ के बैनर तहत 29 दिसंबर 2022 को जालंधर के देश भक्त यादगार हाॅल में एक विशाल राज्य स्तरीय कनवेंशन का आयोजन किया गया. कन्वेंशन की समाप्ति पर शहर में एक जोशीला प्रदर्शन भी किया गया.

कन्वेशन की अध्यक्षता कामरेड राजविंदर सिंह राणा, बंत सिंह बराड़, अजमेर सिंह, रतन सिंह रंधावा, मंगत राम लोंगोवाल, मुख्तियार सिंह पूहला और गुरमीत सिंह महिमा ने की.

कन्वेंशन में पारित प्रस्ताव के अनुसार केंद्र की भाजपा सरकार की कारपोरेट परस्त साम्प्रदायिक फासीवादी नीतियों के तहत देश के संविधान और संघीय ढांचे सहित सभी संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है, लोगों के मूल लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है. मोदी सरकार द्वारा देश के प्राकृतिक संसाधनों और सार्वजनिक धन से विकसित हुए सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्र के सभी संस्थानों को बड़ी बेशर्मी से मोदी जी के कुछ चहेते कारपोरेट घरानों के हवाले किया जा रहा है. कन्वेंशन ने इन नीतियों की कड़ी निंदा की. वक्ताओं ने मांग किया कि लंबे समय से झूठे आरोपों में कैद सभी जनपक्षीय बुद्धिजीवियों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, विचारकों और पत्रकारों को तुरंत रिहा किया जाए, और पंजाब के सिख कैदियों सहित देश भर के उन सभी कैदियों को तुरंत रिहा किया जाए, जिन्होंने अपनी सजा काट ली है. वामपंथी नेताओं ने पंजाब की उर्वर भूमि को बंजर होने से बचाने के लिए पंजाब की नदियों के पानी के मनमाने बंटवारे को रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि पंजाब व हरियाणा के बीच नदी जल के बंटवारे को तर्क संगत बनाया जाए. गैर-नदी राज्यों को पानी पंजाब की आवश्यकता को पूरा करने के बाद ही  दिया जाए व पंजाब को उस की रायल्टी मिले. नेताओं ने वर्षा जल के संरक्षण की व्यवस्था करने और कम पानी से उगाई जा सकने वाली फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए  एमएसपी पर उनकी खरीद की गारंटी करने की भी मांग की.

कन्वेंशन के दौरान राजधानी चंडीगढ़ पंजाब को सौंपे जाने की मांग करते हुए भाखड़ा-ब्यास परियोजना से पंजाब का हक खत्म करने और सरहद से 50 किमी अंदर तक का क्षेत्र सीमा सुरक्षा बल को सौंपने जैसे मोदी सरकार के मनमाने फैसलों को रद्द करने की मांग की गई. नेताओं ने कहा कि अब यह साबित हो चुका है कि घातक ड्रग्स और हथियारों की तस्करी मुख्य रूप से पंजाब सीमा के बजाय गुजरात में अडानी के स्वामित्व वाले मुंद्रा बंदरगाह के माध्यम से हो रही है.

वक्ताओं ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर का पुराना दर्जा बहाल करने, सेना को वापस बुलाने, सभी निर्दाेष कश्मीरी लोगों को जेलों से रिहा करने और नागरिकता संशोधन अधिनियम सहित यूएपीए, अफस्पा, धारा 295ए जैसे सभी काले कानूनों को रद्द करने की मांग की.

कम्युनिस्ट नेताओं ने जीरा (जिला-फिरोजपुर) शहर के पास चल रहे शराब और रासायनिक कारखानों – जो आसपास के 40 गांवों के भूजल को गंभीर रूप से प्रदूषित कर रहा है – को बंद करने के लिए लंबे समय से चल रहे संयुक्त जन आंदोलन का पुरजोर समर्थन किया और पंजाब सरकार से इसकी फैक्ट्री को तुरंत बंद कर देने मांग की.

कन्वेंशन को आरएमपीआई के अखिल भारतीय महासचिव कामरेड मंगत राम पासला, भाकपा ;मालेद्ध लिबरेशन के राज्य सचिव गुरमीत सिंह बख्तपुर, भाकपा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य पृथ्वीपाल सिंह, भाकपा(माले) न्यू डेमोक्रेसी के दर्शन सिंह खटकड़, क्रांतिकारी केंद्र पंजाब के कंवलजीत खन्ना, एमसीपीआई(यू) के किरणजीत सेखो और पंजाब जम्हूरी मोर्चा के जगराज सिंह ऋलेवाल ने  संबोधित किया. कन्वेंशन का मंच संचालन भाकपा(माले) लिबरेशन के केंद्रीय कमेटी सदस्य सुखदर्शन सिंह नत्त ने किया.

कन्वेंशन ने एक विशेष प्रस्ताव के माध्यम से लड़कियों के स्कूल और विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा के अधिकार को प्रतिबंधित करने और महिलाओं को काम करने से रोकने के लिए अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के घोर प्रतिगामी निर्णय की भी कड़ी निंदा की.

– सुखदर्शन सिंह नत्त