6 दिसंबर 2022 को डॉ आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस तथा बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर लखनऊ के सरोजिनी नगर क्षेत्र के दारोगाखेड़ा , हुल्लीखेड़ा व रानीपुर में इंसाफ मंच व ऐपवा द्वारा संयुक्त रूप से कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
इस मौके पर भाकपा माले की लखनऊ इकाई की ओर से हजरतगंज चौराहा स्थित अंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया और साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया. शाम को बीकेटी क्षेत्र के मोहिबुल्लापुर में सभा का आयोजन भी किया गया.
सरोजिनी नगर में सभा को ऐपवा राज्य सहसचिव मीना ने संबोधित करते हुए कहा कि आज 6 दिसंबर 22 को सिर्फ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का परिनिर्वाण दिवस ही नहीं मनाया जा रहा है बल्कि इसी दिन संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए बाबरी मस्जिद का विध्वंस भी किया गया था जो कि आज़ाद भारत के माथे पर एक कलंक है, साथ ही इस देश के साझी शहादत साझी विरासत का अपमान भी है. उन्होंने कहा कि अगर आज़ाद भारत में संविधान सुरक्षित नहीं तो दलित, गरीब, महिलाएं व अल्पसंख्यक कैसे सुरक्षित होंगे? आज़ादी के 75 साल बाद भी समता, स्वतंत्रता, इंसाफ और भाईचारा पर आधारित समाज का निर्माण तो नहीं ही हुआ, लेकिन संविधान निर्माता बाबा साहब की मूर्तियां गांव – तोड़ी जा रही हैं. जब इस देश में बाबरी मस्जिद व बाबा साहब की मूर्ति सुरक्षित नहीं है तो गरीब, दलित, महिलाएं व अल्पसंख्यक कैसे सुरक्षित रहेंगे?
मीना ने कहा कि यह त्रासदी है कि जहाँ हम पहले संविधान में मिले अधिकारों को हासिल करने के लिए लड़ रहे थे, वहीं अब उस संविधान को ही बचाने के लिए लड़ना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि यह अनचाही लड़ाई हमारे ऊपर थोप दी गई है, जिसे हमें हर हाल में लड़ना ही होगा. आज हमें साम्प्रदायिक-फासीवादी व सामंती शक्तियों को शिकस्त देने तथा संविधान व लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प लेना होगा.
सभा को सम्बोधित करते हुए इंसाफ मंच के संयोजक आर बी सिंह ने कहा कि महिला और दलित हिंसा में उत्तरप्रदेश अव्वल है. वहीं शिक्षा को इतना महंगा कर दिया गया है, वह गरीबों दलितों की पहुंच से दूर होती जा रही है. जरूरत है कि इस समय डॉ0 अंबेडकर को पूजने की बजाय उनके ‘शिक्षित हो, संगठित हो, संघर्ष करो’ का जो सूत्र है, उस पर अमल किया जाय.यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी. सभा का संचालन करते हुए इंसाफ मंच के सह संयोजक ओम प्रकाश राज ने कहा कि हर साल 2 करोड़ रोजगार देने के नाम पर सत्ता में आई भाजपा सरकार के राज में शहर से लेकर गांव तक बेरोजगारों की लंबी कतार लग गयी है. हालत यह है कि मनरेगा को भी सुचारू रूप से चलाने में सरकार नाकाम हो गयी है.
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख लोगों में यू एम सिद्दीकी, मीना, नूर मोहम्मद, विनीत, नीलम, प्रद्युम्न, सुरेश, राम खेलावन, राजेश अंबेडकर आदि शामिल थे.
इलाहाबाद के नैनी, सीतापुर के हरगांव, जालौन के उरई, गोरखपुर, फैजाबाद, अम्बेडकर नगर आदि जिलों में भी परिनिर्वाण दिवस पर कार्यक्रम हुए. उधर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आइसा के नेतृत्व में सांप्रदायिकता विरोधी मार्च निकालकर डॉ अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर उनकी विरासत को याद किया गया.
लखनऊ विश्वविद्यालय में भी बाबरी विध्वंस के दिन साम्प्रदायिकता विरोधी मार्च निकाल कर अम्बेडकर प्रतिमा पर सभा का आयोजन किया गया. साथ ही डॉ अम्बेडकर की विरासत को भी याद किया गया.