बिहार सरकार की वादाखिलाफी से आक्रोशित सैकडों आशा कर्मियों ने बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट), पटना के बॅनर तले विगत 22 अक्टूबर 2019 को राजधानी पटना के गर्दनीबाग में धरना-पद्रर्शन दिया. धरना का नेतृत्व संघ की बिहार राज्य अध्यक्ष शशि यादव, पटना जिला सचिव पूनम कुमारी, रामबलि प्रसाद, सुरेश प्रसाद, रणविजय कुमार, सुधीर बोस चौधरी और अनीता कुमारी, विभा कुमारी, सीमा कुमारी, गीता देवी आदि आशा नेताओं ने किया. आशा नेत्री रीना कुमारी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. विक्रम से आईं आशा कार्यकर्ता किया.
धरना को संबोधित करते हुए शशि यादव ने कहा कि राज्य सरकार पिछले वर्ष आशा संघों की38 दिनों की लंबी संयुक्त हड़ताल के दौरान हुए समझौते के बिन्दुओं को तोड़-मरोड़कर पेश करने में लगी हुई है. हड़ताल के क्रम में संपन्न वार्ता में यह स्पष्ट किया गया था कि आशाओं को 1000 रु. की जो राशि दी जाएगी, वह मानदेय होगी. लेकिन सरकार बाद में उसे पारितोषिक बताने लगी. मानदेय की जगह यह पारितोषिक शब्द नहीं चलेगा. यदि सरकार हमारी मांगों पर अविलंब कार्रवाई नहीं करती तो और भी बड़े आंदोलनों की शुरूआत की जाएगी. धरना में केंद्र सरकार द्वारा घोषित 200 रु. की मासिक सहायता राशि सहित अन्य सभी लंबित बकायों का यथाशीघ्र भुगतान, आशाओं को विभिन्न कार्यों के लिए मिल रहे पारिश्रमिक में संस्थाबद्ध कमीशनखोरी पर कठोरता से रोक, मानदेय के निर्धारण में न्यूनतम मजदूरी का पालन, नौबतपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 2014-15 और 2017-18 का जेबीएसआई और फैमिली प्लानिंग के बकाया राशि का अविलंब भुगतान, बाढ़ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कुष्ठ, फाइलेरिया व गृह भ्रमण के बड़े पैमाने पर बकाए राशि का भुगतान, बैंक द्वारा आशाओं को नाहक परेशान करने पर रोक, आशा को मिलने वाली राशि का मद वार चार्ट को कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चिपकाने, मासिक भुगतान की गारंटी करने की मांगें शािमल थीं आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों से संबंधित 5 सूत्री ज्ञापन असैनिक शल्य चिकित्सा सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी पटना को सौंपा.