ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) का 11वां उत्तर प्रदेश राज्य सम्मेलन 5 मार्च 2025 को इलाहाबाद में संपन्न हुआ. इस सम्मेलन में 37 सदस्यीय राज्य परिषद तथा 23 सदस्यीय राज्य कार्यकारिणी चुनी गई. इस राज्य परिषद द्वारा शिवम सफीर को प्रदेश सचिव तथा मनीष कुमार को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चुना गया. सम्मेलन में विभिन्न विश्वविद्यालयों और प्रदेश भर से सैकड़ों छात्र-छात्राएं प्रतिनिधि के बतौर शामिल हुए.
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की शुरुआत महाकुंभ व दुनिया भर में चल रहे युद्ध में मारे गए लोगों और बेरोजगारी के कारण हुई आत्महत्याओं पर शोक व्यक्त कर हुई. सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए आइसा की राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड नेहा ने शिक्षा पर लगातार बढ़ते हमले, नई शिक्षा नीति द्वारा सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों के निजीकरण और समाज में बढ़ती लगातार सांप्रदायिक प्रवृत्तियों के खिलाफ एकजुट होने और छात्र-युवा आंदोलन को मजबूत बनाने को कहा.
डॉ. अंकित ने कहा कि शिक्षा का निजीकरण किए जाने के कारण भारी संख्या में छात्रों को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ रही है. इसके प्रति सरकार की कोई चिंता दिखाई नहीं देती बल्कि वह धार्मिक क्रियाकलापों में जनता के पैसों को अनावश्यक रूप से खर्च करती हुई नजर आती है. डॉ. मेडुसा ने कहा कि मौजूदा सरकार की शिक्षा नीति में लैंगिक और सामाजिक भेदभाव को रोकने को लेकर कोई ठोस नीति नहीं है और न ही सरकार इसके लिए सचेत है. इसकी वजह से सामाजिक उत्पीड़न और बहिष्करण लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐक्टू के राज्य सचिव अनिल वर्मा ने कहा कि श्रम कानून को कमजोर कर न्यूनतम वेतन देने की लड़ाई को खत्म करने की कोशिश की जा रही है ताकि कामगारों की फौज तैयार की जा सक, पूंजीपतियों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हासिल हो और वे देश के संसाधनों पर कब्जा कर लें. उन्होंने छात्र-छात्राओं से एकजुट होकर रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने के लिए लड़ने की अपील की. सम्मेलन को एसएफआई के राज्य पार्षद पार्थ और आरवाईए के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य ने भी संबोधित किया.
सम्मेलन में ऑनलाइन कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमडिया ने कहा कि आधुनिकता का संदर्भ तकनीक से नहीं, विचारधारा से होता है. पूरे देश में अल्पसंख्यकों और दलितों पर जिसतरह का दमन हो रहा है, उसके लिए जोरदार व एकजुट प्रतिरोध ही सही विकल्प है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भाकपा(माले) के राज्य कमेटी सदस्य ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि युवाओं के हक और अधिकार पर बढ़ते हमले के इस दौर में सबको एकजुट होकर संघर्ष में अपने आप को झोंक देना होगा.
कार्यक्रम के अंत में नई राज्य परिषद् ने राजनीतिक प्रस्ताव के माध्यम से नई शिक्षा नीति 2020 वापस कराने, विश्वविद्यालयों में लोकतंत्र बहाल करने, छात्रसंघ चुनाव बहाल कराने, दलितों, महिलाओं व मुसलमानों पर बढ़ते हमलों पर रोक लगाने और युवाओं के लिए रोजगार के लिए संघर्ष को और मजबूत करने आह्वान किया गया.