सीमांचल में भाजपाई उन्माद-उत्पात की साजिश को नाकाम बनाने और पलायन, गरीबी और पिछड़ेपन का दंश झेल रहे सीमांचल के समग्र विकास और दलितों, मुस्लिमों, महिलाओं और आदिवासियों के अधिकार के लिए 1 से 5 फरवरी 2025 के बीच सीमांचल में ‘बदलो बिहार यात्रा’ संपन्न हुई. भाकपा(माले) महासचिव का दीपंकर भट्टाचार्य ने इस यात्रा का नेतृत्व किया.
पहले दिन 1 फरवरी को यात्रा की शुरूआत से पहले का. दीपंकर भट्टाचार्य ने सिमराहा (रेणु ग्राम) स्थित फणीश्वरनाथ रेणु की मूर्ति पर माल्यार्पण किया. उनके साथ खेग्रामस महासचिव का. धीरेन्द्र झा, भाकपा(माले) विधायक दल के नेता का. महबूब आलम और उपनेता का. सत्यदेव राम, विधान पार्षद व स्कीम वर्कर्स की नेता का. शशि यादव, ऐपवा महासचिव का. मीना तिवारी, आरवाइए के राष्ट्रीय महासचिव नीरज कुमार और राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम भी शामिल रहे. कई स्थानीय नेताओं-कार्यकर्ताओं ने भी रेणु प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.
वहां से फारबिसगंज लौटने के बाद संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद यात्रा शुरू हुई. इस मौके पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा सरकार संविधान पर चौतरफा हमले कर रही है. हमारे सामने संविधान व लोकतंत्र को बचाने का बड़ा कार्यभार है और इसे हम सबको मिलकर पूरा करना है.
उन्होंने सीमांचल के पिछड़ेपन की चर्चा करते हुए कहा कि यहां की जूट मिल बिहार की सबसे पुरानी जूट मिल है लेकिन वह आज बंद क्यों है? बनमंखी के चीनी मिल का क्या हुआ? यहां अलीगढ़ सेंट्रल यूनिवर्सिटी का ब्रांच भी पूरी तरह से चालू नहीं हुआ. यहां से बड़ी तादाद में पलायन होता है पर सरकार ने चुप्पी साध रखी है. यहां की माफिया-अपराधी ताकतों को सरकार का संरक्षण मिल रहा है और दलित-आदिवासियों की जमीन से बेदखली हो रही है. यह यात्रा इन तमाम सवालों को जानने-उठाने के लिए आयोजित हो रही है.
फारबिसगंज रेलवे स्टेशन पर स्कीम वर्कर्स – आशा, रसोइया व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा फूल-माला पहनाकर पदयात्रियों का जोरदार स्वागत किया गया. वहां से सुभाष चौक, जुम्मन चौक, रामपुर चौक होते हुए लक्ष्मीपुर की ओर प्रस्थान किया गया.
दूसरे दिन लक्ष्मपीपुर से रानीगंज की ओर पदयात्रा आगे बढ़े. रानीगंज के कलावती नगर में भी स्कीम वर्कर्स ने फूल-मालाओं से पदयात्रियों का स्वागत किया. रानीगंज चौक में आयोजित जनसभा को का. दीपंकर भट्टाचार्य समेत अन्य नेताओं ने संबोधित किया.
अगले दिन रानीगंज में अंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा, ‘आज संविधान को बदलने की खतरनाक साजिश रची जा रही है. यह देश विरोधी-संविधान विरोधी साजिश है. संविधान का कस्टोडियन होने के नाते सुप्रीम कोर्ट को इस पर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए.’
सिंघिया चौक पर सैकड़ों महिला-पुरुषों ने चाय, पानी और बिस्किट की व्यवस्था के साथ भाकपा(माले) की बदलो बिहार पदयात्रा का स्वागत किया. यह स्वतंत्रता सेनानी कलानाथ मंडल का गांव है. सिंघिया पंचायत के मुखिया प्रेम प्रकाश मंडल की अध्यक्षता और युवा साथी राजेश शर्मा के संचालन में यहां सभा आयोजित हुई. यहां ततमा समाज की ओर से भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य को मांगपत्र सौंपा गया.
जगह-जगह पर जनसंवाद करते हुए और महिलाओं, स्कीम वर्कर्स और गरीबों द्वारा फूल-मालाओं से किए गये स्वागत और उनके मांग पत्र स्वीकार करते हुए यात्रा आगे बढ़ी. किसानों ने बताया कि मक्का खरीद के लिए सरकारी व्यवस्था नहीं है और यूरिया की कालाबाजारी चरम पर है.
ऋषिदेव टोलों और संथाल बस्तियों की दुर्दशा तो द्रवित करने वाली थी. महिलाओं ने बताया कि उन्हें मात्र 100 रूपये की मजदूरी पर खेतों में काम करना पड़ता है. इन टोलों के गरीब लोगों का बिजली कनेक्शन इसलिए काट दिया गया क्योंकि वे बिल का भुगतान नहीं कर पाए. प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं मिला है क्योंकि उनके पास जमीन के कागजात नहीं हैं.
पदयात्रा को देखकर कुलवंती गांव की विमला, रासो और उर्मिला देवी ने बताया कि गरीबों पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. ‘सरकार हम लोगों को जमीन से बेदखल करने की लगातार साजिश कर रही है. पेंशन और राशन को भी लूटा लिया जाता है. दो महीनों में मुश्किल से एक बार राशन मिलता है.’ उन्होंने कहा.
हांसा (कमलपुर) के डाक बंगला चौक पर भी एक जनसभा का आयोजन किया गया जिसे का. दीपंकर भट्टाचार्य और ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव का. मीना तिवारी ने संबोधित किया. यहीं पर शिक्षकों व कर्मचारियों ने पदयात्रियों का फूल-मालाओं से स्वागत किया और उनको अपना मांगपत्र दिया. रात्रि विश्राम बसैठी में हुआ.
सीमांचल पदयात्रा के चौथे दिन श्रीनगर हाई स्कूल के मैदान में ‘संविधान बचाओ, जनाधिकार बचाओ’ जनसभा को संबोधित करते हुए का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आरएसएस द्वारा मनुवादी संविधान का प्रारूप बनान और उसका प्रचार करना डॉ. अंबेडकर द्वारा रचित संविधान और देश के संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ एक गंभीर षड्यंत्र है.. सुप्रीम कोर्ट को संविधान का संरक्षक होने के नाते इस पर स्वतः संज्ञान लेकर ऐसी कोशिश करने वाली ताकतों के खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए.
उन्होंने नीतीश-मोदी सरकार पर ततमा और लोहार समुदाय के साथ विश्वासघात का आरोप लगाते हुए कहा कि इन समुदायों को उनके वाजिब हक मिलने चाहिए. इन समुदायों को उनका न्यायसंगत अधिकार मिलना चाहिए. ‘बदलो बिहार महाजुटान’ में इन सभी समुदायों को एकजुट कर संघर्ष किया जाएगा.
उन्होंने सीमांचल में आदिवासियों व ऋषिदेव समुदाय के लोगों की स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि इन समुदायों के वास-आवास और जोत की भूमि पर बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है. भू-माफियाओं के पक्ष में पूरा प्रशासनिक तंत्र खड़ा है. उन्होंने राज्य सरकार से इन समुदायों की सुरक्षा के लिए एक विशेष टास्क फोर्स गठित करने की मांग की.
चौथे दिन हाई स्कूल मैदान, श्रीनगर में ‘संविधान बचाओ, जनाधिकार बचाओ’ समागम के बाद यह पदयात्रा कठगमा चौक पहुंची जहां लोगों ने जोरदार स्वागत किया. वहां आयोजित जनसभा को का. दीपंकर भट्टाचार्य ने भी संबोधित किया. शाम को गढ़िया बलुआ पहुंचकर, जहां मुखिया सुनील पासवान की अगुआई में पदयात्रियों का जोरदार स्वागत किया गया, रात्रि विश्राम हुआ.
अंतिम दिन, 5 फरवरी को गढ़िया बलुआ से पूर्णियां शहर की ओर पदयात्रा शुरू हुई. दोपहर 12 बजे अंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद कला भावन के मुक्ताकाश मंच में ‘बदलो बिहार पदयात्रा’ का समापन हुआ.
समापन सभा को संबोधित करते हुए का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा, ‘यात्रा के दौरान यह पता चला कि बिहार में हर तबका परेशान है. किसान खेती के सवाल पर, छात्र-नौजवान शिक्षा रोजगार को लेकर, स्कीम वर्कर्स कम मानदेय और मजदूर कम. मजदूरी को लेकर परेशान हैं. ऊपर से एक तानाशाही भी थोप दी गयी है.’
उन्होंने कहा, ‘नीतीश की प्रगति यात्रा आतंक यात्रा का पर्याय बन गयी और उससे पहले भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने जो हिन्दू स्वाभिमान यात्रा की वह नफरत फैलाने की मुहिम.भाजपा बिहार में अपनी सरकार बनाकर बिहार पर बुलडोजर राज थोपना चाहती है. लेकिन, हमें ऐसा हरगिज नहीं होने देना है.’
उन्होंने कहा कि नीतीश-भाजपा की डबल इंजन सरकार जनता पर जो डबल हमला कर रही है उसका हमलोगों अपनी एकता के जरिये डबल ताकत से मुकाबला करना है.
उन्होंने हालिया बजट को लोगों के साथ धोखाधड़ी करार देते हुए कहा कि उसमें न मनरेगा की राशि बढ़ी, गरीबों को कोई राहत मिली. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग भी ठुकरा दी गई.
उन्होंने कहा कि मोहन भागवत कह रहे हैं कि राम मंदिर बनने के बाद देश को आजादी मिली. यह देश की आजादी के लिए लड़नेवालों हमारे सीमांचल के कलानाथ मंडल जैसे शहीदों का घोर अपमान नहीं तो क्या है? हम सबको मिल-जुलकर और सड़क से लेकर संसद तक अपनी लड़ाई तेज करनी होगी और कारपोरेट-फासीवादी ताकतों को पीछे धकेलना होगा. आज जब संविधान के 75 वर्ष पूरे होने को हैं, संविधान के तमाम मूल्यों पर जोरदार हमला हो रहा है, देश के गृह मंत्री अमित शाह संविधान निर्माता बाबा साहब की खिल्ली उड़ा रहे हैं. उनको यह हिम्मत कहां से मिल रही है?
का. दीपंकर ने कहा कि बिहार के लोग पूरे देश को चलाते हैं. 1857 का स्वंतत्रता सन्दोलन हो, गांधी जी का सत्याग्रह हो या 74 का आंदोलन , सब इसकी मिसाल हैं. बिहार से बदलाव की शुरुआत होगी तो पूरा देश भी बदल जायेगा. हम सबको मजबूती से इस काम में लग जाना होगा.
उन्होंने कहा कि बदलो बिहार महजुटान हम सबके सवालों पर होगा. इसमें बिहार के आरक्षण बृद्ध और विशेष दर्जा के सवाल को भी मजबूती से उठाया जाएगा. हमें सामाजिक न्याय और साम्प्रदायिक सद्भाव और सुशासन के साथ विकास के लिए नए सिरे से लडन्स होगा और इसको सजमुच में हासिल करना होगा.
सभा को ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, विधन पार्षद शशि यादव, का. धीरेन्द्र झा, विधायक रामबलि सिंह यादव और आफताब आलम ने भी संबोधित किया.
समापन सभा में किशनगंज की आशा नेत्री अनबरा खातून की अगुआई में आशा कार्यकर्ताओ और रानीगंज के मदनपुर से सोनेलाल मरांडी के नेतृत्व में आदिवासियों ने मांदरऔर डिगा बजाते हुए कार्यक्रम में उत्साहपूर्ण भागीदारी की.
कार्यक्रम में जन जागरण शक्ति संगठन और अम्बेडकर सेवा सदन समेत दर्जनों अन्य संगठनों के प्रतिनिधि दल भी शामिल थे. समापन समारोह में महिला नेत्री सीता देवी और शैली खातून ने जनगीत प्रस्तुत किये.
इसका संचालन भाकपा(माले) नेता मो. इस्लामुद्दीन और युवा माले नेता मो. मोख्तार द्वारा हुआ. लोकयुद्ध के सम्पादक सन्तोष सहर, पूर्णिया जिला सचिव विजय कुमार अररिया जिला सचिव रामविलास सिंह, इनौस के महासचिव नीरज कुमार समेत कई माले नेता मंच पर मौजूद रहे.