वर्ष - 34
अंक - 1
01-01-2025

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में 17 साल के नाबालिग बच्चे को जो कक्षा दसवीं का छात्र था, बेरहमी से मारने पीटने, नंगा कर वीडियो बनाने तथा थूक चटवाने के मामले में पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज न किये जाने के कारण नाबालिग ने आत्महत्या कर ली. यह न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि वर्तमान योगी सरकार के दलित विरोधी चरित्र को उजागर करता है.

वर्तमान सरकार द्वारा कानून व्यवस्था को बनाए रखने के बजाय सामंती ताकतों और दबंगो को संरक्षण दिया जा रहा है. इसकी वजह से ही दलित-गरीबों के साथ मारपीट और हत्या जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. दलितों पर बढ़ते अपराध अमानवीयता की हदें पार कर रहे हैं. बस्ती जिले में हुई घटना में दलित छात्रा को न सिर्फ मारा पीटा गया बल्कि कपड़े उतारकर वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी गई और थूककर चटवाने जैसे नृशंस कृत्य को भी अंजाम दिया गया. इससे भी अधिक शर्मनाक बात यह है कि उक्त प्रकरण में पुलिस द्वारा ना तो कोई कार्यवाही की गई और ना ही मानवीय संवेदना युक्त व्यवहार किया गया. मानसिक रूप से आहत नाबालिग मासूम ने आत्महत्या कर ली.

देश में बढ़ रही इस जातिवादी तथा अमानवीय मानसिकता को हम अपने संसद में भी बिना किसी संवैधानिक संकोच के प्रदर्शित होते देख रहे है. देश के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहेब अंबेडकर के नाम को अपमानित कर अंबेडकरवादी प्रतिरोध को फैशन कहकर खारिज करने की कोशिश की गई. हमारे संसद में वैध कर दी गई यह जातिवादी मानसिकता सड़कों पर दलितों के साथ खुलेआम हिंसा के रूप में प्रतिबिंबित हो रही है. उत्तर प्रदेश की यह घटना भी इस डबल इंजन सरकार की दलित विरोधी मानसिकता का ही परिचायक है.

आइसा, योगी सरकार की पुलिस द्वारा दलितों के साथ अपनाई जा रही भेदभाव की नीति व कानूनी नाकामी को इस नृशंस हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराता है. साथ ही न्यायालय से इस घटना से संबंधित दोषियों और पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही की मांग करता है.

आइसा, पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा तथा परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग करता है. आइसा, प्रदेश के न्यायिक संस्थानों से योगी सरकार के राज में ध्वस्त होती कानूनी एवं न्याय व्यवस्था को दुरुस्त करने की भी मांग करता है.

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा)
उत्तर प्रदेश