इतिहास में बड़े-बड़े सवाल हमेशा सड़कों की लड़ाइयों से हल होते हैं. यह बात कामरेड विनोद मिश्र ने दिसंबर 1998 में पार्टी की सेंट्रल कमिटी को अपने अंतिम नोट में याद दिलाई थी. उन्होंने युवा कम्युनिस्टों से अपील की थी कि वे चौतरफा पहल करें और उस फासीवादी खतरे के खिलाफ लड़ाई तेज करें, जो तब अपना सिर उठाना शुरू कर चुका था. क्रांतिकारी मार्क्सवाद के लाल झंडे को मजबूती से बुलंद करने वाली एक मजबूत कम्युनिस्ट पार्टी, ग्रामीण गरीबों का शक्तिशाली आंदोलन, और भगवा साजिश के खिलाफ हर क्षेत्र में पहल – इन तीन प्रमुख चुनौतियों को कामरेड वीएम ने अपने अंतिम नोट में रेखांकित किया था. आज, जब हम कामरेड वीएम की 26वां स्मृति दिवस मना रहे हैं, तो उनकी बातें पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक लगती हैं.
मोदी सरकार को सत्ता में आए अब एक दशक से अधिक समय हो चुका है. सरकार के फासीवादी एजेंडे का पर्दाफाश हो चुका है और विभिन्न मोर्चों पर प्रतिरोध भी बढ़ रहा है. कभी-कभी यह प्रतिरोध चुनावों में फासीवादी अभियान को झटका देने में सफल रहा है, लेकिन हाल के हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों ने दिखाया है कि फासीवादी सत्ता पर बने रहने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है.
यह स्पष्ट है कि फासीवादी हमले को रोकने के लिए हमें लंबे समय तक चलने वाले और मजबूत जन-आंदोलनों की जरूरत है. फासीवादी अपनी ताकत साम्प्रदायिक नफरत और ध्रुवीकरण, जाति और लैंगिक उत्पीड़न, और कारपोरेट ताकत के पूर्ण समर्थन से हासिल करते हैं. इसलिए, फासीवाद का मुकाबला करने के लिए हमें सांप्रदायिकता, जातिवाद और कॉरपोरेट ताकत के खिलाफ प्रतिरोध को और भी व्यापक और धारदार बनाना होगा.
कामरेड वीएम के मार्गदर्शन में, पार्टी ने जनसंगठनों का एक व्यापक नेटवर्क बनाने और संघर्ष के विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त मोर्चों को विकसित करने की दिशा में शुरुआत की थी. आज हम इन नीतियों को अतीत की किसी भी अवधि की तुलना में कहीं अधिक व्यापक रूप से लागू कर रहे हैं. विभिन्न वर्गों, समुदायों और पेशेवर समूहों के लिए जनसंगठनों और अभियान मंचों के अलावा, हम अब अखिल भारतीय विपक्षी गठबंधन और बिहार तथा झारखंड में प्रभावी चुनावी मोर्चे का हिस्सा हैं. पश्चिम बंगाल में एक व्यापक वामपंथी एकता के आकार लेने के कुछ शुरुआती संकेत भी दिखाई दे रहे हैं.
इस 26 दिसंबर को हम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की स्थापना की शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं. विडंबना यह है कि 2025 आरएसएस का भी शताब्दी वर्ष है. इस अवसर पर कम्युनिस्ट आंदोलन के गौरवशाली इतिहास और विरासत को स्मरण करने के साथ-साथ फासीवाद को पराजित करने और आधुनिक भारत को समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य के संवैधानिक लक्ष्य की ओर ले चलने के संकल्प लेंगे.
कामरेड वीएम की 26वें स्मृति दिवस पर, आइए यह संकल्प लेते है कि उनकी प्रिय पार्टी को हर तरह से मजबूत करेंगे ताकि आज की चुनौतियों का सामना किया जा सके. कुछ महीनों पहले झारखंड में मार्क्सवादी कॉर्डिनेशन कमेटी का भाकपा(माले) में विलय होने से पार्टी को बड़ा बढ़ावा मिला. इस विलय ने झारखंड में भाजपा को हराने और धनबाद-बोकारो के महत्वपूर्ण श्रमिक क्षेत्र से दो विधानसभा सीटें जीतने के लिए हमें जरूरी ताकत दी है.
भाकपा(माले) की केन्द्रीय कमेटी भारतीय गणराज्य के इस ऐतिहासिक मोड़ पर आंदोलन और पार्टी संगठन में शामिल होने वाले सभी साथियों को हार्दिक क्रांतिकारी अभिवादन करती है. आइए हम पूरी मेहनत से भाकपा(माले) को अपने प्यारे देश के हर कोने में गहराई तक ले जाएं और इसे और अधिक मजबूत, जीवंत और गतिशील बनाएं ताकि आधुनिक भारत की क्रांतिकारी यात्रा को आगे बढ़ाया जा सके. यही कामरेड वीएम और भाकपा(माले) तथा भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के दिवंगत नेताओं और शहीदों को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
केंद्रीय कमेटी
भाकपा(माले) (लिबरेशन)