बिहार जीविका मिशन द्वारा 2 सितंबर 24 को एक आदेश जारी कर 1.5 लाख जीविका कैडरों को सरकार/जीविका मिशन द्वारा मिल रहे तुच्छ मानदेय को भी क्रमशः 2028 तक पूरी तरह बंद कर देने तथा जीविका समूहों द्वारा कंट्रीब्यूशन आधारित कैडरों का मानदेय निर्धारण का आदेश निर्गत किया है. सरकार के इस निर्णय से आहत व आक्रोशित 1.5 लाख जीविका कैडर व 10 लाख से अधिक जीविका समूह में संगठित 1.5 करोड़ जीविका दीदियां 2 सितम्बर के बाद से ही पूरे राज्य में हड़ताल पर है और राज्य के सभी प्रखंडो-ग्राम अंचलों में जगह जगह धारावाहिक धरना, प्रदर्शन कर सरकार के विधायक-मंत्री तथा सांसदों को अपना 10 सूत्री मांग पत्र सौंप 2 सितम्बर को जारी काला आदेश की वापसी, 25 हजार रु. मासिक मानदेय निर्धारित करते हुए 1.5 लाख जीविका कैडरों को मानदेय भुगतान करने, सभी कैडरों को पहचान पत्र निर्गत करने, लगभग 1.63 लाख एनपीए व प्री एनपीए खाता सहित 1.5 करोड़ जीविका दीदियों व 10 लाख से अधिक जीविका समूहों का सारा ऋण माफ करने, सभी तरह के सामीजिक सुरक्षा लाभ से वंचित कैडरों के लिए मातृत्व लाभ-छुट्टी सहित सामाजिक सुरक्षा का लाभ देने सहित 10 सूत्री मांग की पूर्ति को लेकर बिहार प्रदेश जीविका कैडर संघ (ऐक्टू) के आह्वान पर आंदोलनरत है.
यह कड़वा सच है कि डबल इंजन की नीतीश-मोदी सरकार ने सत्ता सुरक्षा के लिए जीविका कर्मियों का जमकर इस्तेमाल व दोहन किया है लेकिन अब जीविका कर्मियों को कुछ देने की बारी आई तो जदयू-भाजपा वाली डबल इंजन सरकार न सिर्फ मानदेय भुगतान के अपने संवैधानिक दायित्व से भाग रही है बल्कि बिहार के ग्रामीण अंचलों में कामकाजी महिलाओं के आर्थिक स्वालम्बन व सशक्तिकरण के इस पूरी प्रक्रिया को खुले बाजार के हवाले कर ग्रामीण कामकाजी महिलाओं को प्राइवेट लोन कम्पनियों, निजी महाजनों, प्राइवेट बैंको, चिट फंड कम्पनियों का महाजनी कर्जदार बना देने के लिए जीविका योजना को ही शिथिल व समाप्त कर देने की घृणित चाल चल रही है.
सरकार के निर्णय से स्पष्ट है कि 1.5 लाख जीविका कैडरों व जीविका दीदियों को बैंकों का कर्जदार तो दूसरी ओर कैडरों को भीखमंगा बना देने की साजिश रचा गया है. वहीं जीविका प्रबंधन को सिर्फ पैसे बांटने से मतलब है, पैसे का जीविकोपार्जन में सदुपयोग से कोई मतलब नहीं है.
नीतीश-मोदी सरकार जीविका कैडरों-दीदियों की 10 सूत्री मांगों पर असंवेदनशील व निष्ठुर रवैया अपनाए हुए है. हड़ताल के 2 महीना से अधिक समय गुजरने के बावजूद सरकार द्वारा समाधान हेतु कोई पहल नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. इससे समस्त जीविका कर्मी क्षुब्ध व आक्रोशित है. इस आक्रोश को व्यक्त करने, जीविका से जुड़ी ग्रामीण कामकाजी महिलाओं के आवाज को और अधिक आवेग देने, आधी आबादी की आजीविका को लोन कमानियों व निजी महाजनी कर्ज के मकड़जाल में फंसाने की नीतीश-भाजपा सरकार की कुत्सित योजना के खिलाफ बिहार प्रदेश जीविका कैडर संघ (ऐक्टू) ने बिहार विधान सभा के शीतकालीन सत्र के दौरान पटना में 26 नवंवर 24 को जीविका कैडरों व जीविका दीदियों के महाजुटान प्रदर्शन का निर्णय लिया है.