धनबाद के ऐतिहासिक गोल्फ मैदान में विगत 9 सितंबर को भाकपा-माले में मासस के विलय की औपचारिक घोषणा के साथ ही झारखंड में वामपंथी आंदोलन के एक नए अध्याय की शुरूआत हो गई. मासस के कार्यकारी अध्यक्ष सह निरसा के पूर्व विधयक अरूप चटर्जी ने इस विलय की घोषणा की. दोनों दलों के हजारों समर्थक इस ऐतिहासिक विलय के गवाह बने. सभा में उमड़ा जनसैलाब करतल ध्वनियों और नाच-गानों के साथ इस एकता का स्वागत कर रहा था. निरसा, सिंदरी, झरिया समेत गिरीडीह, बगोदर, हजारीबाग समेत बिहार के समर्थक भारी संख्या में जनसभा में पहुंचे थे. शाम साढ़े चार बजे तक सभा चलती रही जिसकी अध्यक्षता मासस के अध्यक्ष का. आनंद महतो ने की, जबकि संचालन भाकपा-माले के जनार्दन प्रसाद व मासस के हलधर महतो ने संयुक्त रूप से की.
प्रभात खबर ने इस एकता रैली पर टिप्पणी करते हुए लिखा – कभी लाल गढ़ के रूप में पहचान रखने वाला धनबाद फिलहाल भाजपा के कब्जे वाला इलाका माना जाता रहा है, लेकिन 9 सितंबर को पूरा धनबाद लाल रंग में नजर आ रहा था. हर चौक-चौराहे पर लाल झंडे लहरा रहे थे और का. एके राय के जमाने की याद दिला रहे थे. माले व मासस के विलय के मौके पर आयोजित एकता रैली में वाम समर्थकों का भारी जुटान हुआ. लंबे अंतराल के बाद लाल झंडे की धमक दिखी. संयुक्त रैली को लेकर गोल्फ मैदान में बड़ा पंडाल व मंच बनाया गया था. पंडाल भी पूरा भरा हुआ था. समर्थक लगातार मैदान में आते दिखे, अपने परंपरागत नृत्य के साथ. महिलाओं की उत्साहवर्द्धक भागीदारी दिखी. मैदान में कभी धूप थी तो कभी छांव, लेकिन सबकुछ झेलते हुए लोग मैदान में डटे रहे. जितने लोग मैदान में थे, उससे कहीं अधिक सड़कों पर. हर तरफ लाल सलाम की गूंज और भाजपा को झारखंड से बाहर कर देने का संकल्प. शहर का लगभग हर इलाका रैली में आए वाहनों से पटा हुआ था. पैदल चलने की भी स्थिति नहीं थी. इस तरह की रैली हाल के दिनों में कोई भी वाम दल झारखंड में नहीं कर सका था. माले व मासस के नेताओं ने बड़ा संदेश देने की कोशिश की. निश्चित रूप से यह विलय झारखंड की वाम राजनीति में बड़ा बदलाव करेगी.
एकता रैली शुरू होने के पहले दोनों दलों के नेता नुनूडीड स्थित का. एके राय स्मृति भवन पहुंचे. माले महासचिव कादीपंकर भट्टाचार्य सहित सभी नेताओं ने उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण किया और श्रद्धांजलि दी और उनके सपनों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया. वहीं से सभी नेता गोल्फ मैदान पहुंचे. जहां सबसे पहले झारखंड व मजदूर आंदोलन के शहीद 250 से अधिक लोगों को श्रद्धांजलि दी गई और उसके बाद एकता रैली की विधिवत् शुरूआत हुई.
सभा की शुरूआत करते हुए पूर्व विधायक का. अरूप चटर्जी ने कहा कि आज से 50 साल पहले झारखंड आंदोलन को एक नई धार देने के उद्देश्य से मासस का उदय हुआ था. इसी मैदान में झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की गई थी. आज एक बार फिर उसी इतिहास को दुहराया गया है. मासस व माले का विलय पूरे देश में एक नई चर्चा का सबब बनेगा. आज दो वामपंथी दल एक मंच पर आए हैं तो निश्चित रूप से मेहतकशों के आंदोलन की धार को एक नई गति मिलेगी. भाजपा के फासीवादी हमले के खिलाफ ऐसी तमाम ताकतों को एक मंच पर लाना ही हमारा मकसद है. उन्होंने कहा कि इस रैली की तैयारी में पूरे कोयलांचल में एक-गांव का दौरा किया गया, जिसे जबरदस्त समर्थन हासिल हुआ. आज वह समर्थन इस मैदान में दिख भी रहा है. माले व मासस का विलय समय की मांग है. सन् 2000 से सिंदरी से मासस का प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है. नतीजा क्या है? बेरोजगारी बढ़ रही है. युवाओं का पलायन हो रहा है. हमें इस स्थिति के बदलना है.
मासस के पूर्व विधायक व अध्यक्ष आनंद महतो ने दो आंदोलनकारी संगठनों के एकीकरण पर खुशी जाहिर कीकहा कि क्रांति का सृजन करना है इसलिए दोनों पार्टियां एक साथ हुई हैं. हमारी राजनीतिक व सैद्धांतिक दृष्टि एक ही रही है. इस एकता से मजदूर आंदोलन को नई धार मिलेगी. बगोदर से माले विधायक विनोद सिंह ने इस विलय को झारखंड की राजनीति में एक नए आगाज की संज्ञा दी. कहा कि जिस प्रकार से सांप्रदायिक ताकतों ने झारखंड में हाल के दिनों में अपने पांव फैलाए हैं, उसमें यह एकता भाजपा जैसी ताकतों को पीछे धकेलने का काम करेगी. धनबाद, हजारीबाग और कोडरमा में अब हमारी ताकत गुणात्मक रूप से बढ़ गई है.
सभा को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि माले के संस्थापक नेता का. चारू मजूमदार व मासस के संस्थापक नेता का. एके राय की सोच व विचारधारा एक जैसी थी. उन्होंने कहा कि मासस के पास झारखंड आंदोलन और कोयला मजदूरों का एक जबदस्त इतिहास है. उसी तरह माले के पास भी संघर्षों का लंबा इतिहास है. दोनों अपने इतिहास के साथ एक नया इतिहास लिखने के लिए एक हुए हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को करारा झटका लगा है. मोदी सरकार की मनमानी अब नहीं चलेगी. इस वर्ष झारखंड सहित चार राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. भाजपा जोड़-तोड़ की राजनीति कर रही है. झारखंड में कब्जा जमाने के लिए भारतीय जनता पार्टी की पूरी साजिश हो रही है. भाजपा झारखंड को कॉरपोरेट लूट का अड्डा बनाने की साजिश कर रही है. इसीलिए, हमलोगों ने नारा दिया – भाजपा हटाओ लूट मिटाओ. यह बिल्कुल सही नारा है. इस एकता से उत्तरी छोटानगपुर के इलाके में इंडिया गठबंधन को नई ताकत मिलेगी. वामपंथ जितना मजबूत होगा उतना ही इंडिया गठबंधन को फायदा होगा. बीजेपी की तोड़फोड़ की राजनीति के बीच हम जोड़ने का काम कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि जब कोयला सहित सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को खतरों का सामना करना पड़ रहा है और मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का लक्ष्य झारखंड को अडानी और अंबानी का केंद्र बनाना है – यह एकता उसका मुंहतोड़ जवाब देगी. उन्होंने झारखंड सरकार की मंईयां सम्मान योजना पर भाजपा द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर कहा कि जिन योजनाओं ने महिलाओं को लाभ हो रहा है उसपर सवाल खड़ा करने का कोई भी अधिकार भाजपा को नहीं है.
एकता रैली को भाकपा-माले के दोनों सांसद का. राजाराम सिंह, का. सुदामा प्रसाद, ऐपवा की महासचिव का. मीना तिवारी, स्कीम वर्करों की नेता का. शशि यादव, पूर्व विधायक का. राजकुमार यादव ने भी संबोधित किया. मंच पर भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता का. स्वदेश भट्टाचार्य, बिहार के राज्य सचिव कुणाल, खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा सहित केंद्रीय कमिटी के सभी सदस्य, सभी विधायक, मासस के मिथलेश सिंह, चंद्रदेव महतो, निताई महतो, सोबूर गोराई, जगदीश रवानी, हरि प्रसाद पप्पू, बिंदा पासवान, कार्तिक प्रसाद, दिलीप राम, दिलीप तिवारी, आनंदमहि पाल, अगम राम, उस्मान अंसारी, संदीप जायसवाल, आर डी मांडी, राणा चट्टराज, शेखर, कल्याण चक्रवर्ती, कल्याण घोषाल आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे.
प्रगतिशील बुद्धिजीवी मंच, धनबाद ने भाकपा माले-मासस के विलय का स्वागत किया. कहा कि एकता रैली कोयलांचल की धरती पर एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना है. यह रैली न केवल कोयलांचल बल्कि पूरे झारखंड में नए जोश-खरोश के साथ मजदूर-किसान, छात्र-नौजवानों व महिलाओं के अधिकारों को लेकर जन संघर्षों को नयी धार देकर उन्हें अपने मुकाम तक पहुंचायेगी.
रैली में धनबाद बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव स्वसत्यनारायण भट्टाचार्य के पुत्र दीप नारायण भट्टाचार्य के नेतृत्व में कई अधिवक्ताओं ने माले की सदस्यता भी ग्रहण की. मंच पर सभी नए सदस्यों का स्वागत लाल झंडा देकर किया गया. सहारा जमाकर्ताओं की भी एक अच्छी संख्या अपने पैसे की वापसी की मांग को लेकर अपने बैनर के साथ रैली के हिस्सेदार बने.
12 सितंबर 2024 को महेन्द्र सिंह भवन, रांची में प्रेस को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने मासस के भाकपा(माले) में पूर्ण विलय की जानकारी देते हुए बताया कि मासस के 5 नेताओं – आनंद महतो, हलधर महतो, अरूप चटर्जी, आरडी मांझी और निताई महतो (विशेष आमंत्रित) – को भाकपा(माले) की केंद्रीय कमिटी में शामिल किया गया है. यह विलय प्रक्रिया ऐतिहासिक महत्व की है और जो झारखंड के साथ-साथ देश की राजनीति को प्रभावित करेगी.
– कुमार परवेज