बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अधीन एएचएम के अंतर्गत संविदा-मानदेय आधारित 20,851 कर्मचारी कार्यरत हैं जिनमे 90% महिला स्वास्थ्य कर्मी हैं. इनमें 2005 से लेकर 2015 तक नियुक्त एएनएम की संख्या करीब 3000 है जबकि शेष की नियुक्ति उसके बाद के वर्षों में (अंतिम समूह 2022 में) हुई है. उनका कार्य स्थल ग्रामीण क्षेत्रों के पंचायतों और दुर्गम ग्रामीण-पहाड़ी स्थानों पर अवस्थित स्वास्थ्य उपकेंद्रों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर है. उनको अपने-अपने कार्य स्थलों पर जाने-आने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. उत्तर बिहार के अधिकांश जिलों में सालों भर बहने वाली नदियों को नाव से पार करने के बाद कई किलोमीटर तक पैदल भी चलना पड़ता है. बरसात और बाढ़ के दिनों में तो भारी परेशानियों और खतरों को झेलना पड़ता है.
ज्ञातव्य है कि बिहार के दक्षिणी भाग में जमुई जिला से शुरू होकर गया, रोहतास, कैमूर जिले तक का बड़ा हिस्सा दुर्गम, पहाड़ी और सुरक्षा के दृष्टिकोण से अशांत व असुरक्षित क्षेत्र है. इन क्षेत्रों में सुलभ सार्वजनिक परिवहन-यातायात के साधन उपलब्ध ही नहीं हैं. फलतः पैदल यात्रा के सिवाय कोई विकल्प ही नहीं है. उन्हें सेवा की अवधि के अनुसार 15 हजार से लेकर 24 हजार रूपये तक का मासिक मानदेय अनुमान्य है लेकिन ईपीएफ की कटौती के बाद सिर्फ 13 हजार से लेकर 22 हजार रूपये भुगतान मिलता है. यह 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन द्वारा अनुमोदित डॉ. एकराइड फार्मूला आधारित न्यूनतम वेतन के समतुल्य नहीं है. दूसरी तरफ बिहार सरकार द्वारा संविदा कर्मियों के न्यूनतम मानदेय राशि के बारे में जारी सरकारी संकल्प संख्या 12534 दिनांक 17.9.2018 तथा अन्य अनुवर्त्ती संकल्पों में निरूपित फार्मूला के भी अनुकूल नहीं है. फार्मूला में प्रबंध है कि सरकारी विभागों में नियुक्त संविदा कर्मियों को सरकार में मौजूद समरूप स्थाई पद के सकल परिलब्धि – मूल वेतन + मंहगाई भत्ता + मकान भाड़ा भत्ता + चिकित्सा भत्ता + सनी भत्ता – के समतुल्य राशि का मासिक मानदेय के बतौर भुगतान होगा. लेकिन इसका पूर्णतः कार्यान्वयन अभी भी लम्बित है.
इन संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के सेवा संबंधी अनेक मुद्दे थे जिनके समाधान की आकांक्षा लिए वे काम करते आ रहे थे. लेकिन जून,2024 के अंतिम सप्ताह में स्वास्थ्य विभाग/राज्य स्वास्थ्य समिति ने हाजिरी बनाने के चले आ रहे ऑफलाइन प्रणाली को बिहार की भौगोलिक-भौतिक स्थिति अथवा ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्रों की यातायात-सार्वजनिक परिवहन की वास्तविक स्थिति का जमीनी सर्वे कराए अथवा कर्मियों के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श किये बिना मनमाने रूप से बदलकर ऑनलाइन चेहरा पहचान हाजिरी प्रणाली (Face Recognition Attendance System - FRAS) लागू करने का उत्पीड़नकारी फरमान जारी कर दिया, वह भी दिनभर में तीन बार (सुबह 9 बजे, दिन 2 बजे और शाम 5 बजे).
इस फरमान ने पहले से ही विभिन्न समस्याओं से जूझते संविदा कर्मियों को उद्वेलित कर दिया और सभी लोग इस एफआरएएस की वापसी सहित अन्य 7 सूत्री मांगों को लेकर 8 जूलाई से अनिश्चितकालीन कार्य-वहिष्कार आंदोलन पर उतर गए. यह सरकार के विद्वेषात्मक और उदासीनतापूर्ण नजरिये के कारण अभी भी जारी है .
उल्लेखनीय है कि एफआरएएस लागू होने के कारण स्वतःस्फूर्त रूप से कार्य-वहिष्कार आन्दोलन शुरू हुआ लेकिन तुरन्त पहलकदमी लेते हुए बिहार के चर्चित कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) और इसके साथ सम्बद्ध बिहार संविदा एएनएम संघर्ष मोर्चा (अब बिहार संविदा एएनएम-एनएचएम कर्मी संघर्ष मोर्चा) द्वारा दिशाबद्ध और एकताबद्ध किया गया. सरकारी कामकाजी महिला प्रधान इस आंदोलन में संगठन के निर्देशानुसार जुझारुपन के नए आयाम भी देखे गए जिनमें प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य केंद्रों एवं टीकाकरण कोल्ड चेन रूम का रात-दिन घेराव व तालाबंदी, जिला स्तरीय स्वास्थ्य समिति कार्यालयों पर लगातार धरना व घेराव, क्षेत्र भ्रमण के दौरान मंत्रियों के घेराव व ज्ञापन के क्रम में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, स्वास्थय मंत्री मंगल पांडेय, मंत्री व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप कुमार जायसवाल सहित कई मंत्रियों का जोरदार घेराव, सांसदों व विधायकों से सामुहिक साक्षात्कार व ज्ञापन तामिल किये जाने के कार्यक्रम में स्पष्ट हुआ है.
जुझारूपन की कड़ी में सर्वाधिक उल्लेखनीय है 23 जुलाई को बिहार विधान सभा और मुख्य मंत्री के समक्ष राज्यस्तरीय प्रदर्शन में करीब दो-ढाई हजार महिला कर्मियों की आक्रोशपूर्ण भागीदारी और तीन घंटों तक चली रैली में अटूट एकजुटता. फिर 23 अगस्त को राज्य स्वास्थ्य समिति मुख्यालय का 5 घंटों तक मुक्कमल घेराव जिसमें गुरिल्ला ढंग से एकत्रित करीब 1000 महिला कर्मियों की जुझारू-आक्रोशपूर्ण भागीदारी थी.
आंदोलन के दरम्यान अलग-अलग कई तिथियों में स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव, राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक के स्तर पर संघर्ष मोर्चा-महासंघ (गोप गुट) के प्रतिनिधियों अर्चना कुमारी, रामबली प्रसाद, प्रेमचन्द कुमार सिन्हा, ऐक्टू नेता रणविजय कुमार सहित भाकपा(माले) विधायक दल के उपनेता विधायक का. सत्यदेव राम और ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय माहासचिव व विधान परिषद सदस्य का. शशि यादव की समझौता वार्त्ता हुई है और संघर्ष मोर्चा के कई मांगों पर सहमति जाहिर की गई है जिसमें सहमत बिंदुओं पर लिखित सरकारी पत्र जारी करना भी शामिल है. अंतिम वार्त्ता 3 सितम्बर 2024 को हुई है. लेकिन सरकार के उदासीन और दुर्भावनापूर्ण दृष्टिकोण के कारण इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक उक्त सरकारी पत्र जारी नहीं किया गया है. आंदोलन अब भी जारी है.
व्यवहारिक कठिनाइयों एवं भौगोलिक-भौतिक स्थिति के मद्देनजर एफआरएएस की टाइमिंग में ढील देते हुए सुबह 9 बजे और दिन 3 बजे किया जाएगा. एफआरएएस हाजिरी दर्ज करने का दायरा 2-3 किलोमीटर तक बढ़ाया जाएगा. इसके लिए एफआरएस एप्प में जरूरी सुधार किया जाएगा .
सभी एएनएम-एएचएम कर्मियों से अभ्यावेदन प्राप्त कर उनका स्थांतरण यथासंभव गृह जिला अथवा निकटवर्ती जिला में करने की कार्रवाई की जाएगी जिसमें महिला कर्मियों को दिये जाने वाले विकल्प के अनुरूप उनके मायके या ससुराल के नजदीक पदस्थापन किया जाएगा.
जिनका मानदेय अभी भी बकाया होगा, उनको जल्दी से जल्दी भुगतान कर दिया जायेगा.
हर एएनएम-एनएचएम कर्मी को सरकार की तरफ से स्मार्ट मोबाइल फोन/टैबलेट के अलावा मासिक नेट रिचार्ज की राशि दी जायेगी.
सभी एचएससी और एचडब्ल्यूसी पर बुनियादी सुविधाएं, यथा – उपस्कर, शौचालय, पेयजल, बिजली इत्यादि की जल्द से जल्द व्यवस्था की जायेगी.
कार्य वहिष्कार अवधि को देय/अग्रिम अवकाश में सामंजित कर मानदेय का भुगतान किया जाएगा.
सहमति के बिंदुओं को लिखित रूप से जारी किये जाने पर कार्य वहिष्कार आंदोलन स्थगित किया जाएगा .
संघर्ष मोर्चा के निर्णयानुसार लिखित सरकारी पत्र जारी कराने के लिए प्रयासों के बावजूद 21 सितम्बर तक लिखित सहमति पत्र जारी नहीं किये जाने से विक्षुब्ध राज्य के कई जिलों से सौ से अधिक संविदा एएनएम-एएचएम कर्मी गेट पब्लिक लाइब्रेरी, पटना के पास जमा हुए और मुख्य मंत्री नीतीश कुमार तथा स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का पुतला लेकर मार्च करते हुए गर्दनीबाग थाना के पास विधानसभा गेट तक गए. वहीं पर दोनों का पुतला का दहन किया गया और विक्षोभ-संकल्प सभा की गई. सभा मे सरकार द्वारा संविदा एएनएम-एएचएम कर्मियों के साथ किये गए अलोकतांत्रिक, विद्वेषपूर्ण व दुराग्रहपूर्ण व्यवहारों को सदा याद रखने और आगामी 2025 के विधान सभा चुनाव में इस भाजपा-जदयू की सरकार से पूरा हिसाब बराबर करने का सामूहिक रूप से शपथ-संकल्प लिया गया. रैली में अपने हक के लिये विभिन्न तरीकों से संघर्ष जारी रखते हुए साधारण गरीब जनता की स्वास्थ्य सेवा और उनके बच्चों को पोलियो ड्रॉप देने की मानवीय जरूरत के मद्देनजर जारी आंदोलन को तत्काल स्थगित करने का ऐलान किया गया. मार्च व पुतला दहन का नेतृत्व संघर्ष मोर्चा की राज्य संयोजक अर्चना कुमारी, सह संयोजक उषा कुमारी, कर्मचारी महासंघ के सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद, महासचिव प्रेमचन्द कुमार सिन्हा और ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव रणविजय कुमार ने किया.
– रामबली प्रसाद