लखनऊ, 24 सितंबर : भाकपा(माले) ने खाने-पीने की दुकानों व होटलों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ताजा निर्देश की निंदा की है. पार्टी ने कहा है कि कांवड़ यात्रा को लेकर इसी तरह के निर्देश पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही रोक लगा चुका है.
माले की राज्य इकाई ने कहा कि खाने-पीने की चीजों की शुद्धता की आड़ में होटल व ढाबा मालिकों द्वारा नेमप्लेट लगाने का निर्देश साम्प्रदायिक सद्भाव को क्षति पहुंचाने और अश्पृश्यता को बढ़ावा देने वाला है. इसके मूल में साम्प्रदायिक सोच है, जो भाजपा के घृणा अभियान का हिस्सा है. यह शीर्ष कोर्ट के आदेश का भी अपमान है.
कहा कि बीती जुलाई में यूपी पुलिस ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर आदि जिलों में कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल व ढाबा मालिकों को इसी तरह का निर्देश जारी किया था. बाद में मुख्यमंत्री स्तर पर यह निर्देश जारी हुआ. इससे होटलों व ढाबों के अल्पसंख्यक मालिकों व कर्मचारियों का पुलिस उत्पीड़न बढ़ा. तब सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप कर इसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दी. शीर्ष कोर्ट ने यह कहा था कि सिर्फ यह प्रदर्शित करना पर्याप्त है कि होटल/ढाबा शाकाहारी है या मांसाहारी, नेमप्लेट लगाने की आवश्यकता नहीं है.
मुख्यमंत्री ने मंगलवार को बुलाई एक उच्चस्तरीय बैठक में उक्त निर्देश देने के साथ खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में संशोधन के निर्देश भी दिए. अब नेमप्लेट लगाने के अलावा होटलों व ढाबों के कर्मचारियों का पुलिस संपुष्टि भी करेगी. होने वाले विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए यह ध्रुवीकरण की राजनीति है. भाकपा(माले) मुख्यमंत्री के इस संविधान-विरोधी निर्देश का विरोध करेगी.