बिहार में मध्यान्ह भोजन योजना में तेजी से एनजीओ का विस्तार हो रहा है. एनजीओ बिहार के 29 जिलों के 11 हजार विद्यालयों में भोजन की आपूर्ति कर रहे हैं. वे बहुत ही घटिया खाने की आपूर्ति करते हैं जिसे खाकर बच्चे अक्सर ही बीमार पड़ते रहते हैं. बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ, ऐक्टू के लगातार विरोध के बावजूद सरकार अपने इस निर्णय से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है.
इसी बीच पूर्वी चम्पारण के सुगौली में भोजन बनाने के दौरान ही ब्वॉयलर विस्फोट हो गया था. इसमें 11 रसोइया मारे गए थे. इस घटना के बाद इस जिले में एनजीओ के प्रवेश पर रोक लग गई थी. लेकिन, अब 1 सितंबर से सुगौली में पुनः एनजीओ के शुरुआत की घोषणा की गई.
एनजीओ के पुनर्प्रवेश के खिलाफ 25 अगस्त से प्रखंडवार प्रदर्शन की घोषणा की. सुगौली, बंजरिया, हरसिद्ध, अरेराज, मधुबन, ढाका, चिरैया, घोड़ासाहन और मोतिहारी प्रखंड मुख्यालयों पर प्रदर्शन करते हुए 19 सितंबर को जिलाधिकारी के समक्ष प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन में जिले के 27 प्रखंडों से दो हजार से अधिक रसोइयों ने भाग लिया. प्रदेश महासचिव सरोज चौबे, जिलाध्यक्ष कुमांती देवी, सचिव दिनेश प्रसाद कुशवाहा, कोषाध्यक्ष छवि लाल महतो, शाहना खातून, मालती देवी सहित दर्जनों नेताओं की अगुआई में चिलचिलाती धूप के बावजूद लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित जिलाधिकारी कार्यालय तक जुझारू मार्च निकाला गया. जुलूस को आगे जाने से रोकने पर रोड जाम कर सभा आयोजित की गई जिसे भाकपा(माले) नेतो सिकटा विधायक का. वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, रसोइया संघ की महासचिव सरोज चौबे, जिला सचिव प्रभुदेव यादव, वरिष्ठ माले नेता भैरव दयाल सिंह सहित कई अन्य नेताओं ने संबोधित किया.
पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में अनुमण्डल पदाधिकारी श्वेता भारती से मिलकर स्थानीय मागों के साथ रसोइयों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने, मानदेय को तत्काल 10 हजार रूपया करने, 12 महीनों का मानदेय देने, सेवानिवृत्ति लाभ देने, दो जोड़ी ड्रेस देने सहित 11 सूत्री मांगपत्र सौपा. मांगों को ऊपर तक पहुचाने व स्थानीय समस्याओं को दूर करने के आश्वासन पर कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा हुई. प्रदर्शन के बाद फिलहाल एनजीओ के प्रवेश पर रोक लग गई है. यह संगठन और आंदोलन की बड़ी जीत है.