वर्ष - 32
अंक - 32
05-08-2023

- सुखदर्शन सिंह नत्त

तेजी से फल-फूल रहा एक अंतर्राष्ट्रीय काला कारोबार

लंबे समय तक हर दमनकारी शासन व्यवस्था को कड़ी टक्कर देने वाला पंजाब अब नशे की महामारी की चपेट में है. पंजाब में घातक नशा व मादक रसायनाां से के सेवन से हर दिन 8 से 10 लोगों, खासकर युवाओं, की मौत हो रही है. राज्य में बादल दल-भाजपा गठबंधन सरकार और कांग्रेस सरकार की हार की एक मुख्य वजह ड्रग्स के काले कारोबार को रोकने में उनकी विफलता भी थी. चुनाव प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी के नेताओं अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने भी सत्ता में आने पर एक महीने में नशीली दवाओं की बिक्री को पूरी तरह से बंद करने की घोषणा की थी. लेकिन अब, जब उन्हें सरकार चलाते हुए लगभग एक साल हो गया है, तो न सिर्फ पहले से ज्यादा मात्रा में वही नशीली दवाएं बिक रही हैं, बल्कि उनकी होम डिलीवरी भी शुरू हो गई है. एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के मुताबिक दुनिया की जीडीपी का 9% अवैध नशीली दवाओं के व्यापार से आ रहा है. सालाना खरबों डाॅलर के इस अवैध कारोबार को चलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्टेल और सिंडिकेट बने हुए हैं जो कई देशों में अपनी पसंद की सरकार बनाने और नापसंद की सरकार को उखाड़ फेंकने तक की ताकत रखते हैं. नशे के काले कारोबार पर रोक लगाने के मकसद से 1985 में सभी सदस्य देशों को एनडीपीएस एक्ट बनाने के सख्त निर्देश देने वाला यूएनओ अब खुद मान रहा है कि दुनिया जानलेवा नशे के खिलाफ जंग हार चुकी है. इसलिए दुनिया के 38 देशों ने नशीली दवाओं के पूर्ण उन्मूलन की अवधारणा को खारिज करते हुए, जान न लेने वाली नरम कुदरती नशों को फिर से छूट देने के लिए अपने कानूनों में संशोधन कर लिया है. लेकिन हमारा देश अभी इस दिशा में सोचने को भी तैयार नहीं है. दरअसल, हमारे देश में भी सीमा शुल्क विभाग, सीमा सुरक्षा बलों, पुलिस अधिकारियों और सत्तारूढ़ दलों के लिए नशीली दवाओं का पैसा काले धन का एक मुख्य स्रोत है. इसलिए वास्तव में इस कारोबार को बंद करने की उनकी कोई मंशा नहीं है.

तहशुदा तंत्र से फैलाया जा रहा है नशे का घातक जाल

हक के लिए सदा डट कर लड़ने वाले पंजाब में नई पीढ़ी को बर्बाद करने की नीयत से तहशुदा तंत्र से नशे का घातक जाल फैलाया जा रहा है.

यही कारण है कि जानलेवा नशीले पदार्थों (हेरोइन, स्मैक और सफेद पाउडर या चिट्टे से लेकर मेडिकल स्टोरों के माध्यम से बिकने वाले नशीली सिरप, टेबलेट और कैप्सूल तक) की बेलगाम बिक्री के कारण अब बड़ी संख्या में स्कूली छात्र (और छात्राएं भी) इनके जाल में फंस रहे हैं. एक बार इनकी लत लग जाने के बाद इन बेहद महंगे नशीले पदार्थों के लिए पैसों का प्रबंध करने के लिए नशे की लत वाले युवा अपने घरों से पैसे, सोना और कीमती सामान चुरा लेते हैं; जेबकतरे का काम करते हैं; सड़कों पर छीना-झपटी करते हैं; राहगीरों की कार, बाइक, मोबाईल या जो कुछ भी मिले चुरा या छीन लेते हैं और नशे के लिए मारपीट से लेकर हत्या करने तक में कोई संकोच नहीं करते हैं. नशे की आदी हो चुकी लड़कियां नशे के लिए देह व्यापार का रास्ता अपनाने तक से नहीं हिचकिचाती हैं. नई पीढ़ी की बर्बादी का यह मंजर देखकर मानसा शहर के युवाओं के एक समूह ने नशा रोकने की मंशा से सीपीआई(एमएल) के नेताओं से संपर्क किया और इस संघर्ष में पार्टी की ओर से समर्थन और नेतृत्व की अपील की. इनमें से अधिकतर युवा पहले खुद भी नशे का शिकार रह चुके थे. उन्होंने नशे के कारण चलने वाली गैंग वार, पुलिस केस, गिरफ्तारी, पुलिस टार्चर और महीनों तक की जेल बंदी वगैरा सभी चरणों को देखा-सहा है. अब उन्होंने ड्रग डीलरों को बेनकाब करने, उन्हें ऐसा न करने के लिए प्रोत्साहित करने और जनता के दबाव से उन्हें रोकने के लिए ‘एंटी-ड्रग टास्क फोर्स’ नामक एक संगठन भी बना रखा है.

भाकपा(माले) की अगुआई में युवाओं का आंदोलन 

इन युवाओं की अपील के जवाब में भाकपा(माले) ने ‘नशा नहीं, रोजगार’ नारे के तहत 1 मई 2023 को पार्टी कार्यालय, बाबा बुझा सिंह भवन, मानसा में मजदूर दिवस पर एक सम्मेलन आयोजित किया. इसमें मजदूरों और किसानों के साथ ‘एंटी-ड्रग टास्क फोर्स’ और इंकलाबी नौजवान सभा के कार्यकर्ताओं ने भी हिस्सा लिया. वहां इस नारे को लेकर जन अभियान शुरू करने की घोषणा की गयी जिसके तहत मानसा जिले के शहरों व कस्बों की गरीब बस्तियों व गांवों में बैठकें करने का सिलसिला शुरू हुआ. इस अभियान को आम जनता का भरपूर समर्थन और सहयोग मिला क्योंकि हर वर्ग के लोग नशे की मार से बहुत परेशान हैं. लेकिन इस अभियान से नशा विक्रेता, मेडिकल स्टोर मालिक और पुलिसवाले काफी परेशान हो गये. उनके द्वारा की गई एक गुप्त बैठक के बाद पुलिस ने पांच युवकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 (हत्या के प्रयास) के तहत एक झूठा मामला दर्ज किया और एंटी ड्रग टास्क फोर्स के प्रमुख नौजवान परविंदर सिंह उर्फ झोटा को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिसिया मनमानी के खिलाफ सड़क पर उतरे नौजवान

इस पुलिसिया मनमानी के खिलाफ उसी दिन मानसा सिटी पुलिस स्टेशन के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया. वहां डीएसपी (मुख्यालय) संजीव गोयल जो पिछले 18 वर्षों से मानसा जिले में ही विभिन्न पदों पर नियुक्त चला आ रहा है और मादक पदार्थों के तस्करों से पैसा इकट्ठा कर शीर्ष तक पहुंचाने का मोहरा है, का पुतला फूंका गया और ऐलान किया गया कि 5 जून 2023 को शहर के सभी सामाजिक-राजनीतिक संगठनों, जन संगठनों और नगर निगम पार्षदों का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे पर एसएसपी, मानसा से मिलेगा और मुकदमा वापस लेने की मांग करेगा. अगर यह मांग नहीं मानी गई तो पुलिस के खिलाफ जोरदार मोर्चा खोला जाएगा.

आप राज, नशा तस्करों को पुलिसिया सरपरस्ती और मुहिम चला रहे युवाओं पर झूठे मुकदमे

पुलिस को कोर्ट से परविंदर की दो दिन की रिमांड मिली थी और 5 जून को उसे दोबारा कोर्ट में पेश किया जाना था. इस दिन सुबह में, मानसा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने उनसे मिलने गये संयुक्त प्रतिनिधिमंडल को टालने व टरकाने की कोशिश की, लेकिन जब जिला सचिवालय में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ और बहुत से संगठनों और पार्टियों के नेता और आम युवा बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए, तब उन्हें इस मामले की गंभीरता का एहसास हुआ. इसीलिए दोपहर में जब युवा नेता को कोर्ट में पेश किया गया तो पुलिस ने कोर्ट को लिखित में यह भी बता दिया कि जांच के बाद अब हमें इस शख्स की किसी भी मामले में जरूरत नहीं है. नतीजा यह हुआ कि कोर्ट ने परविंदर को तुरत रिहा कर दिया और वह सीधे धरना स्थल पर पहुंच गया. इसके बाद बेशक धरना समाप्त कर दिया गया लेकिन यह घोषणा की गई कि आंदोलन की बाकी मांगें, जैसे स्थानीय डीएसपी और जिला औषधि निरीक्षक (जो नशा तस्करों व नशीली दवाएं बेचने वालों से मासिक वसूली करते हैं) की चल और अचल संपत्तियों की सतर्कता विभाग से जांच करवाई जाए. तस्करों और नशीली दवाएं बेचने वाले मेडिकल स्टोरों द्वारा ड्रग के पैसे से बनाई गई संपत्तियों को जब्त किया जाए, नशीली दवाओं की बिक्री का विरोध करने वाले युवाओं के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करने वाले सभी पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए, नशीली दवायें बेचने वाले मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस रद्द किए जांए तथा नशा और उनके मालिकों द्वारा नशीली दवा बेचने से कमाये गए मुनाफे से खरीदी सारी संपत्ति की जब्त की जाए, आदि के लिए संघर्ष जारी रहेगा.

अगले दिन एसएसपी ने पार्टी नेताओं और युवाओं के साथ बैठक की और कहा – ‘आप हमें एक महीने का समय दें, हम जिले में नशे की बिक्री पर पूरी तरह से नियंत्रण कर लेंगे.’ नेताओं ने इस संबंध में अपनी सहमति दी और कहा कि ठीक है, हम अब से डेढ़ महीने बाद यानी 21 जुलाई 2023 को यहां जिला स्तरीय जन सभा करेंगे और पुलिस के काम की समीक्षा करेंगे.

‘नशा नहीं, रोजगार दो’ मुहिम

लेकिन जिले में नशे का कारोबार वैसे ही चलता रहा. ‘नशा नहीं, रोजगार दो’ अभियान का भी जोर-शोर से प्रचार-प्रसार चला. शहर और गांवों में ऐपवा नेता जसबीर कौर नत्त के नेतृत्व में युवाओं ने बड़ी-बड़ी प्रचार सभाएं कीं. दवा विक्रेताओं और मेडिकल स्टोरों के खिलाफ जन दबाव भी बढ़ाया गया जिसके कारण रासायनिक दवाओं और नशीली दवाओं की बिक्री में काफी कमी आई. इसके चलते तस्करों और पुलिस अधिकारियों की आय में भी कमी आ गई. इससे दुखी होकर पुलिस नशा के खिलाफ प्रचार कर रहे युवाओं को रोकने के लिए फिर से सक्रिय हो गई. 15 जुलाई 2023 की सुबह बड़ी संख्या में पुलिस बल ने परविंदर झोटे के घर को घेर लिया और कामरेड राजविंदर सिंह राणा समेत कई लोगों के विरोध के बावजूद उन्हें जबरन दोबारा गिरफ्तार कर लिया. बताया गया कि उसने और उसके सहयोगी युवकों ने शहर के एक मेडिकल स्टोर मालिक से 400 रुपये की फिरौती ली है और  बड़ी संख्या में नशे के कैप्सूल बेचने वाले एक केमिस्ट को रंगे हाथ पकड़ने के बाद पुलिस स्टेशन ले जाते समय उसके गले में चप्पलों का हार पहनाकर उसकी मानहानी की है. इन दोनों ही मामलों में उन पर एफआइआर दर्ज है. लेकिन पुलिस यहीं पर नहीं रुकी. अगले दिन पंजाब पुलिस के एडीजीपी ने बठिंडा में प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि नशे के सौदागरों को रोकना या पकड़ना पुलिस का काम है और हम परविंदर या किसी और को ऐसे मामले में दखल नहीं देने देंगे. अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस प्रेस कांफ्रेंस के तुरत बाद जिला बठिंडा के थाना मोड़ मंडी में भी परविंदर सिंह और कई अन्य लोगों के खिलाफ एक नया मामला दर्ज कर दिया गया.

नशे से मौत: तस्कर और थाना अधिकारी होगें जिम्मेवार

पुलिस की इस दमनशाही के खिलाफ उसी दिन उपायुक्त कार्यालय के बाहर एक बड़ी विरोध सभा आयोजित की गयी और परविंदर की बिना शर्त रिहाई की मांग करते हुए ऐलान किया गया कि भले ही उन्हें इन मामलों में तत्काल जमानत मिल सकती है, लेकिन जमानत नहीं करवाई जाएगी और जनता के दबाव से पुलिस प्रशासन को ऐसे झूठे मामले रद्द करने के लिए मजबूर किया जाएगा. साथ ही, अगर अब किसी इलाके में नशे के कारण किसी युवक की मौत हो जाती है तो उस के लिए संबंधित थानेदार और डीएसपी जिम्मेदार होंगे व परिवार को उचित मुआवजा देना होगा. पूर्व की मांगों को पूरा कराने के लिए भी संघर्ष जारी रहेगा. उसी दिन उक्त मांगों को लेकर उपायुक्त कार्यालय में दिन-रात का पक्का मोर्चा जमा दिया गया जो यह रपट लिखे जाने तक जोर-शोर से जारी है.

60 संगठनों की नशा विरोधी साझी एक्शन कमिटी

इस महत्वपूर्ण आंदोलन का सामाजिक आधार बढ़ाने के लिए भाकपा(माले) की पहल पर 19 जुलाई 2023 को पार्टी कार्यालय में शहर व जिले के किसानों, मजदूरों, युवकों व सामाजिक व व्यापारिक संगठनों की एक बैठक बुलाई गयी. जिसमें करीब साठ संगठनों ने हिस्सा लिया. चर्चा के बाद बैठक में इस आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए प्रत्येक शामिल संगठन के प्रतिनिधियों को लेकर एक ‘नशा विरोधी ज्वाइंट एक्शन कमेटी’ बनाने का निर्णय लिया गया. पार्टी की केंद्रीय कमेटी के सदस्य कामरेड राजविंदर सिंह राणा को जो पहले दिन से ही संघर्ष का नेतृत्व कर रहे हैं, आम सहमति से इस कमेटी का संयोजक चुना गया. यह भी फैसला लिया गया कि पंजाब में सत्ता में रही पार्टियों, जैसे अकाली दल, भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के किसी भी बड़े नेता को नशा विरोधी रैली में बोलने की इजाजत नहीं दी जाएगी क्योंकि उनकी ही सरकारें पंजाब को नशे के अंधे कुएं में धकेलने के लिए जिम्मेवार हैं. हां, किसी भी नेता के पंडाल में बैठने पर कोई रोक नहीं होगी. एक बीकेयू (उगराहां) को छोड़कर जिले के सभी किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चे की तर्ज पर ही एकजुट होकर यह लड़ाई लड़ रहे हैं.

विशाल जनसभा: टिकैत व एसकेएम के नेता भी शामिल

21 जुलाई 2023 को ‘नशा विरोधी ज्वाइंट एक्शन कमेटी’ के बैनर तले जिला सचिवालय की मुख्य सड़कों को चार घंटे तक रोककर आयोजित की गई नशा विरोधी रैली विशाल व अभूतपूर्व थी. मानसा जिले के गांवों और पंजाब के सबसे दूर के जिलों जैसे अमृतसर और तरनतारन सहित विभिन्न कोनों से अपनी पहल पर लगभग 10,000 लोगों की भागीदारी यह बता रही थी कि पंजाब में नशे की लत कितनी व्यापक और गंभीर समस्या बन चुकी है. रैली के दौरान आसपास कई ऐतिहासिक गुरुद्वारों से चाय और रोटी के लगातार चल रहे लंगर और पंचायतों और युवा क्लबों द्वारा पीने के पानी के टैंकर भेजे जाने के कारण यह रैली दिल्ली किसान मोर्चे जैसा ही प्रभाव दे रही थी. यह सब भी उस स्थिति में हुआ, जब मानसा जिले का लगभग एक-तिहाई हिस्सा भयंकर बाढ़ का सामना कर रहा था. रैली को 60 से अधिक वक्ताओं ने संबोधित किया जिनमें राकेश टिकैत, रुल्दू सिंह मानसा, डाॅ. दर्शन पाल, हरिंदर सिंह लख्खोवाल, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जसबीर कौर नत्त समेत पंजाब के लगभग सभी किसान संगठनों के नेता शामिल थे. मजदूर मुक्ति मोर्चा, पंजाब के प्रमुख नेताओं गोबिंद सिंह छाजली व विजय कुमार भीखी ने भी सभा को संबोधित किया. मंच संचालन ऐक्शन कमिटी के संयोजक कामरेड राजविंदर राणा ने किया. वक्ताओं ने नशे के तेजी से फैलते जा रहे जाल और पुलिस, सत्ताधारिओं और तस्करों के गठजोड़ की गुंडागर्दी व मनमानी के खिलाफ और युवाओं पर दर्ज झूठे मुकदमों के खारिज होने तक जद्दोजहद जारी रखने का संकल्प दोहराया. इस अहम संघर्ष को लेकर मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत ‘आप’ सभी मंत्रियों और विधायकों की बेशर्मी भरी चुप्पी की कड़ी आलोचना भी की गई.

ज्वायंट एक्शन कमिटी का फैसला

इस लगातार बढ़ते और फैलते आंदोलन के सामाजिक-राजनीतिक महत्व को सभी मुख्य राजनीतिक दल भी बखूबी समझ रहे हैं. सीपीआइ(एमएल) सहित राज्य के सभी वामपंथी दल तो इस एक्शन कमेटी में शुरुआत से ही शामिल हैं, लेकिन संगरूर से सांसद और अकाली दल (मान) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, निर्वाचन क्षेत्र भुल्लथ (कपूरथला जिला) से कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैहरा और मानसा से पूर्व विधायक सहित बहुत से राजनीतिक नेता मंच से भाषण देने पर लगी रोक के बावजूद भी मानसा धरने में शामिल हुए हैं.

मृतक को पांच लाख का मुआवजा, तस्करों को जेल

इसी बीच 22 जुलाई को मानसा शहर के वार्ड नंबर 9 के एक गरीब परिवार के युवक कुलदीप सिंह की चिट्टेे (सफेद पाउडर) का टीका लगाने से मौत हो गई. उनके दूसरे भाई की जान भी कुछ साल पहले नशे के कारण  ही चली गई थी. उनके पिता की भी मौत हो चुकी है. उनकी बुजुर्ग मां हर दिन नशा विरोधी धरने में शामिल होती आ रही थीं. एक्शन कमेटी ने अपनी पूर्व घोषणा के अनुसार ऐलान कर दिया कि जब तक मौत के लिए जिम्मेदार नशा तस्करों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया जाता और मृतक की मां को मुआवजा नहीं दिया जाता तब तक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा. मृतक की लाश को सिविल अस्पताल के मुर्दा घर में रखवा दिया गया और मृतक युवक की मां, बहन व अन्य परिजन भी आ कर धरने पर बैठ गये. पहले तो पुलिस ने अपने संपर्कों के जरिए परिवार पर बहुत दबाव बनाया और उन्हें अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की. लेकिन परिवार का जवाब था कि उन्होंने इस के संबंध में कोई भी निर्णय लेने का पूरा अधिकार एक्शन कमेटी के नेतृत्व को सौंप दिया है. फिर पुलिस की कुछ नहीं चल सकी. अंततः  पुलिस ने शहर के एक नगर निगम पार्षद (जो बड़े पैमाने पर ड्रग्स बेचता है) और संबंधित मोहल्ले के एक ड्रग तस्कर के खिलाफ धारा 304 के तहत मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया और रिमांड पर लेकर पूछताछ करने के बाद जेल भेज दिया. पुलिस को एक्शन कमेटी के माध्यम से मृतक की मां को पांच लाख रुपये का नगद मुआवजा भी देना पड़ा. तब जाकर तीसरे दिन युवक का अंतिम संस्कार किया गया. पूरे पंजाब में शायद यह पहला मामला है जिसमें चिट्टेे जैसे प्रतिबंधित नशे से मरने वाले किसी व्यक्ति के परिवार को सरकार द्वारा मुआवजा दिया गया है और उसे ‘मौत की ओर धकेलने’ के लिए जिम्मेदार नशा तस्करों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.

आंदोलन अभी जारी है

यह आंदोलन अभी भी पूरे जोशो-खरोश से जारी है और गांवों में नशा विरोधी कमेटियां बनाकर इसे जमीनी स्तर पर मजबूत करने का काम किया जा रहा है. किसान और अन्य संगठन बारी-बारी से अलग-अलग तारीखों पर अपने कार्यकर्ताओं को धरना देने के लिए बुलाते हैं. उस दिन चाय और खाने का लंगर चलाने की जिम्मेदारी भी वही संस्था निभाती है. साथ ही इस मुद्दे पर 14 अगस्त 2023 को एक बार फिर बड़ी सभा करने की तैयारी की जा रही है. दिल्ली मोर्चे जैसे इस आंदोलन पर भी पंजाबी के पापुलर गायकों द्वारा गीत लिखे व गाए जा रहे हैं. हालांकि पंजाब के मुख्य टीवी चैनल जिन्हें गोदी मीडीया की तर्ज पर यहां केजी मीडीया कहा जाने लगा है, मान सरकार के इशारे पर इस आंदोलन को नजरअंदाज करने की फिराक में हैं. फिर भी पर बहुत से यूट्यूब चैनल नशा विरोधी आंदोलन की हर गतिविधि को जनता तक पहुंचा रहे हैं. पंजाबी अखबार तो आंदोलन की खबरें खुले दिल से छाप ही रहे हैं.

इस आंदोलन से हो रहे अपने सामाजिक राजनीतिक नुकसान को देखते हुए भगवंत मान सरकार पुलिस पर मामले को जल्द से जल्द ठंडा करने का दबाव बना रही है. इसीलिए जिले के एसएसपी नानक सिंह अपनी साख बचाने के लिए किसान नेताओं और एक्शन कमेटी के सदस्यों पर परविंदर सिंह झोटे की जमानत कराने और 14 अगस्त की रैली को को स्थगित करने का दबाव बना रहे हैं. लेकिन आंदोलनकारी अब तक जमानत करवाने के बजाय झूठे मुकदमों की वापसी, झोटे की बिना शर्त रिहाई और अपनी अन्य मांगों को मनवाने के लिए धरना जारी रखने और निर्धारित तिथि पर रैली करने पर डटे हुए हैं.