22 मार्च 2023 को, बिहार दिवस के अवसर पर, भाकपा(माले) राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि राज्य को गरीबी व पिछड़ापन के दुष्चक्र से निकालने का संकल्प महागठबंधन सरकार को लेना चाहिए. अपने गठन के सौ से अधिक सालों के बाद भी हमारा राज्य देश में पिछड़ेपन के अंतिम पायदान पर खड़ा है. हमारी अर्थव्यवस्था बुनियादी रूप से प्रवासी मजदूरों की भेजी कमाई से चल रही है और राज्य के अपने स्रोतों को विकसित करने के प्रति कोई गंभीर कोशिश नहीं दिख रही है.
राज्य के गरीबों-दलितों ने कई प्रकार की हिंसा व दमन झेलकर कुछ अधिकार हासिल किए हैं. आज उसपर हर रोज नए-नए हमले हो रहे हैं. यह बेहद चिंताजनक है.
यदि हम आज के बिहार को एक विकसित बिहार के रूप में देखना चाहते हैं, तो भूमिहीनों के लिए आवास, युवाओं के लिए रोजगार, राज्य के अंदर मुकम्मल भूमि सुधार, कृषि व कृषि आधारित उद्योग धंधों का विकास आदि पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना होगा.
भाजपा ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के सवाल से हमेशा विश्वासघात किया है. यदि ऐसा होता तो निश्चित रूप से राज्य की कहानी आज कुछ और ही होती. ऐसी स्थिति में भी सरकार को अपने आंतरिक संसाधनों का बेहतर समायोजन और ढांचागत विकास करते हुए राज्य को गरीबी व पिछड़ापन के दुष्चक्र से निकालने के बारे में गंभीर होना चाहिए.