भाकपा(माले) के कार्यकर्ता कन्वेंशन ने तोशीली करतल ध्वनि के साथ एक नौ-सूत्री प्रस्ताव स्वीकार करते हुए 11वें पार्टी महाधिवेशन व रैली की तैयारियों को पूरा करने का दृढ़ संकल्प जाहिर किया है. प्रस्ताव भाकपा(माले) केंद्रीय कमेटी सदस्य का. अभ्युदय ने पेश किया था.
1. मोदी राज में हमारे देश के लोकतंत्र पर चैतरफा हमला हो रहा है और ‘देश’ के नाम पर ‘देश की जनता’ के ही बड़े हिस्से को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. 1992 में बाबरी मस्जिद ध्वंस से शुरू हुई, 2002 में हुए गुजरात जनसंहार से परवान चढ़ी और भाजपा द्वारा केन्द्र और देश के कई राज्यों में सत्ता पर काबिज होने के बाद शासन के समूचे तंत्रा व संस्थाओं के माध्यम से पूरे देश पर अपनी मजबूत जकड़बंदी में ले लेने वाली इस प्रवृत्ति को भाकपा(माले) ने ही सबसे पहले ‘सांप्रदायिक फासीवाद’ के बतौर चिन्हित किया था और इसके खिलाफ चौतरफा जन प्रतिरोध संगठित करने का आह्वान किया था.
देश के कारपोरेट, खासकर अडानी-अंबानी इस फासीवादी मुहिम और इसका नेतृत्व करनेवाली ताकतों – आरएसएस व भाजपा के के साथ मजबूती से खड़े हैं. वे भाजपा को सरकार में बनाये रखने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं और बदले में भाजपा देश की नीतियों में बदलाव लेकर काफीव संस्थाओं पर दबाव डालकर कीमती प्राकृतिक संसाधनों समेत सार्वजनिक क्षेत्र की तमाम संस्थाओं को उनके हाथों गिरवी रख रही है. भाजपा का चुनावी विस्तार और बढ़ती ताकत देश के लिए सचमुच एक विपदा बन कर सामने आयी है.
जनसंघर्षों की एक शक्तिशाली धारा और चुनावों में बड़ी विपक्षी एकता के जरिये भाजपा को राज और समाज से पूरी तरह बेदखल करना आज देश की सबसे बड़ी जरूरत है. इसी जरूरत के मद्देनजर ‘फासीवाद मिटाओ-लोकतंत्र बचाओ! शहीदों के सपनों का भारत बनाओ!’ के नारे के तहत आगामी 15-20 फरवरी 2023 को बिहार की राजधानी पटना में भाकपा(माले) का 11वां महाधिवेशन आयोजित हो रहा है. इसकी शुरूआत 15 फरवरी 2023 को ऐतिहासिक गांधी मैदान में एक विशाल ‘लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली से होगी.
भाकपा(माले) के इस 11वें महाधिवेशन में देश में फासीवाद के प्रमुख लक्षणों, उसके घटकों व विशिष्टताओं पर भी गहन चर्चा करते हुए तथा दुनिया भर के फासीवाद से निबटने में अनुभवों को शामिल करते हुए अपने देश में संघ-भाजपा के सांप्रदायिक फासीवाद से निबटने की दिशा तय की जायेगी और इसकी विस्तृत कार्ययोजना बनायी जायेगी.
भाकपा(माले) का यह कार्यकर्ता कन्वेंशन तमाम पार्टी कतारों समेत राज्य के सभी लोकतंत्र प्रेमी-देश प्रेमी नागरिकों और बिहार की मेहनतकश जनता से भाकपा(माले) के इस 11वें महाधिवेशन और ‘लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली’ को जी-जान से सफल बनाने का आह्वान करता है.
2. मोदी राज में देश में महंगाई, बेरोजगारी और ग्रामीण ऋणग्रस्तता भी लगातार बढ़ती जा रही है. ग्लोबल हंगर सूचकांक में भारत की स्थिति सबसे दयनीय देशों की सूची में शामिल है. पूरे देश समेत बिहार में भी सामूहिक आत्महत्याओं का सिलसिला तेज हो रहा है. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा भी अराजकता व बदहाली की चरम अवस्था तक पहुंचती जा रही है. इन ज्वलंत व विकराल होते जा रहे सवालों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए मोदी सरकार के मंत्री और संघ-भाजपा के नेता मंदिर बनाम मस्जिद जैसे सवालों को उछालकर सांप्रदायिक विभाजन की मुहिम चला रहे हैं और उनकी सरकारें इसके खिलाफ आवाज उठानेवालों पर दमन तेज कर रही हैं.
यह क्न्वेंशन नफरत और दमन की इस मुहिम की घोर निंदा करते हुए बढ़ती हुई महंगाई पर रोक लगाने, बेरोजगारी को दूर करने की मांग करता है तथा शिक्षा और स्वास्थ्य के सवालों पर जनांदोलन तेज करने का संकल्प दुहराता है.
3. कन्वेंशन उच्चतम न्यायालय द्वारा उच्च जातियों को दिए गए 10% इडब्लूएस आरक्षण और इसको मोदी सरकार द्वारा खुले दिल से किये गये अनुमोदन का पुरजोर विरोध करता है. न्यायालय द्वारा आर्थिक आधार पर दिया गया आरक्षण संविधान की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ है जो मूल रूप से समाज के सबसे दबे कुचले एससी, एसटी और ओबीसी को सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए था. यह फैसला सामाजिक रूप से पिछड़े एवं दलितों को 10% आर्थिक कोटे से बाहर करता है. कन्वेंशन की साफ समझ है कि आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन प्रोग्राम नहीं है बल्कि इसके लिए सरकार को रोजगार की व्यवस्था करनी होगी जिसमें मोदी सरकार पूरी तरह से असफल रही है.
4. यह कन्वेंशन मोदी राज के पिछले 8 वर्षों के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में कई तरह के कठोर कानूनों के तहत और फर्जी तरीके से अभियुक्त बनाये गये और जेल में डाल दिये गये सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों की अविलंब रिहाई की मांग करता है.
5. भाजपा बिहार में विगत कई वर्षों तक सरकार में रही है और उसने सरकारी संस्थानों व नीतियों को बुरी तरह से प्रभावित किया है और शासन तंत्र पर भी अपनी अवैध पकड़ बनायी है. भाजपाई फासीवादी शासन की संस्कृति का बिहार के शासन तंत्र पर अब भी जबरदस्त असर दिखता है. भाजपाई बुलडोजर राज की तर्ज पर दलितों के घरों को बिना नोटिस उजाड़े जाना, उसके खिलाफ आंदोलन करनेवालों पर मुकदमा दर्ज करना और गिरफ्तार करना (दरभंगा) और दलित प्रवासी मजदूर की बेटी के साथ बलात्कार और हत्या के खिलाफ प्रदर्शन करनेवालों को पुलिस, माफिया, अपराधियों के जरिये प्रताड़ित करना; दरभंगा के रजवाड़ा व पूर्वी चंपारण के कटैया मुसहरी में मुस्लिम समुदाय के लोगों को निशाना बनाते हुए उनके घरों पर बुलडोजर चलवाना, नवादा के रजौली सहित राज्य भर के हजारों परिवारों को उजाड़ना और भाकपा(माले) नेत्री, पूर्व विधायिका व महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष मंजू प्रकाश के साथ बदसलूकी करना (समस्तीपुर) इसके हालिया उदाहरण हैं. यह कन्वेंशन राज्य की नीतीश कुमार सरकार से ऐसे मामलों का संज्ञान लेकर उन पर तुरत रोक लगाने व दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग करता है और वैकल्पिक व्यवस्था किए बिना गरीबों को उजाड़े नहीं जाने की सरकारी घोषणा को जमीन पर लागू करने की मांग करता है.
6. बिहार में कई गुना ज्यादा राशि वाला बिजली बिल भुूगतान न करने की वजह से सैकड़ों दलित-गरीब बस्तियों के घरों का बिजली कनेक्शन काटे जाने और उपभोक्ताओं पर मुकदमा दर्ज करने की घटनायें सामने आ रही हैं. यह कन्वेंशन राज्य सरकार से अविलंब इस पर रोक लगाने, राज्य की बिजली कंपनियों पर नकेल लगाने और उनके निगरानी की व्यवस्था कायम करने की मांग करता है.
7. राज्य में महिलाओं-दलितों के ऊपर लगातार बढ़ रही हिंसा की घटनाओं के साथ ही अपराध का ग्राफ भी तेजी से बढ़ता जा रहा है. गरीबों पर हमला करनेवाले भाजपा संरक्षित गिरोहों को स्थानीय शासन प्रशासन की शह भी हासिल हो रही है. यह कन्वेंशन राज्य सरकार से दलित-गरीबों और महिलाओं पर हिंसा व हमले की घटनाओं के दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने तथा भाजपा संरक्षित अपराधी गिरोहों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की मांग करता है.
8. कन्वेंशन हाल ही में सम्पन्न हुए ब्राजील के राष्ट्रपति चुनाव में कामरेड लूला को उनकी शानदार जीत तथा नेपाल के आम चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करनेवाली सीपीएन(यूएमएल) को बधाई देता है तथा उनके प्रति अपनी एकजुटता जाहिर करता है.
9. कन्वेंशन भाजपा के सांप्रदायिक फासीवाद विरोधी संघर्ष को वैचारिक और जमीनी स्तर पर मजबूत बनाने के लिये राज्य के तमाम नौजवानों, महिलाओं, अन्य मेहनतकश तबकों और देशप्रेमी-लोकतंत्र प्रेमी नागरिकों से भाकपा(माले) में शामिल होकर इसे मजबूत बनाने की अपील करता है. यह कन्वेंशन तमाम पार्टी कतारों से पूरे राज्य में आगामी 18 दिसंबर 2022 तक जो ‘संकल्प दिवस’ (कामरेड विनोद मिश्र की बरसी) भी है, भाकपा(माले) की सदस्यता भर्ती का पुरजोर अभियान चलाने का आह्वान भी करता है.