एमएसपी गारंटी कानून बनाने और गरीबों की खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का विस्तार करने की मांग
विगत 23 सितंबर 2022 को विशाल किसान महापंचायत के आयोजन के साथ बिहार के रोहतास जिले के विक्रमगंज स्थित इंटर कालेज मैदान मेंअखिल भारतीय किसान महासभा के चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन की शुरूआत हुई. किसान महापंचायत में एमएसपी गारंटी कानून, गरीबों की खाद्य सुरक्षा के लिए पीडीएस सिस्टम का विस्तार, कदवन डैम का निर्माण, सोन नहर प्रणाली का पुनर्निर्माण की मांग प्रमुख रूप से उठाई गई.
किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रुलदू सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुए किसान महापंचायत का उद्घाटन भाकपा(माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने किया. इस महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा से एआईकेएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धावले, नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर, तराई किसान संगठन के अध्यक्ष तेजेंदर विर्क, किसान संघर्ष समिली के अध्यक्ष डॉ. सुनीलम भी शामिल हुए. सभा का संचालन किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह ने किया.
कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है. यह पहली सरकार है जो गरीब के आटा-चावल पर भी टैक्स वसूल रही है और गरीबों से वसूले जा रहे टैक्स का पैसा अम्बानी अडानी पर पर खर्च कर रही है.
कामरेड दीपंकर ने कहा कि आज देश में किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, मजदूरों को न्यूनतम वेतन नहीं, जबकि पूंजीपतियों को अपने माल का अधिकतम मूल्य तय करने का अधिकार है.
उन्होंने कहा कि आज का सम्मेलन राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन का सम्मेलन है. दिल्ली मोर्चे के किसान आंदोलन का विस्तार विहार के गांवों में करना है. बिहार से उठा किसान आंदोलन राष्ट्रव्यापी किसान आंदोलन का रूप लेगा. यह देश के गरीब किसानों, बटाईदारों और मध्यम किसानों की गोलबन्दी के बल पर सरकार के उस प्रचार का जवाब देगा कि यह धनी किसानों का आंदोलन है.
उन्होंने कहा कि आज अम्बानी-अडानी की सरकार है. इस सरकार में कारपोरेट खेती पर कब्जा करता जा रहा है. देश के सारे संस्थान और संशाधन कारपोरेट के कब्जे में जा रहे हैं. किसानों ने अपने आंदोलन के बल पर भूमि अधिग्रहण के तीन अध्यादेश और तीन कृषि कानून वापस लेने पर मोदी सरकार को मजबूर किया. हमें इस लड़ाई को व्यापक बनाने और देश में मजदूर-किसानों के नेतृत्व में क्रांतिकारी संघर्ष को आगे बढ़ाना होगा.
उन्होंने कहा कि एमएसपी पर खरीद की गारंटी ही गरीबों की खाद्य सुरक्षा व सार्वजनिक वितरण प्रणाली के विस्तार के लिए जरूरी है. हम देश के गरीबों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये सभी खाद्य वस्तु सस्ते दर पर देने की मांग करते हैं.
कामरेड दीपंकर ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कहा है कि बिहार में कृषि मंडी व्यवस्था की पुनर्बहाली हो और बिहार के भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट और बिहार के शिक्षा सुधार आयोग की सिफारिशों को लागू करे. कामरेड दीपंकर ने किसान नेताओं को भरोसा दिया कि उनकी पार्टी का सभी कार्यकर्ता किसान आंदोलन को मजबूत करने में अपना योगदान देते रहेंगे.
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने कहा हमें खेती और उसकी हरियाली बचाने की लड़ाई लड़नी है. उन्होंने कहा कि आज बड़ी कारपोरेट कम्पनियां हमारे संशाधनों पर और हमारे उत्पादों पर कब्जा कर रही हैं. आज देश की बड़ी आबादी को शिक्षा और स्वास्थ्य से वंचित किया जा रहा है. कारपोरेट कम्पनियां पर्यावरण को नुकसान पहुंचा कर पूरी मानवता को से कष्ट में डाल रही हैं. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने जीवन भर तिरंगे झंडे की अवमानना की, वे ही आज झंडा यात्रा निकाल रहे हैं. देश के ऐतिहासिक किसान आंदोलन ने बताया दिया है कि जन आंदोलन के बल पर सत्ताधीशों को झुकाया जा सकता है.
एआइकेएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धावले ने कहा कि देश के संशाधनों को लुटाने वाली इस सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ और वैश्विक संस्थाओं के दबाव में यह सरकार मजदूर-किसान विरोधी कानून ला रही है. बिहार में नई सरकार से उन्होंने कहा कि बिहार टेंडेंसी एक्ट को लागू करे और भूमि सुधार आयोग की सिफारिशें लागू करे.
किसान संघर्ष समिति के नेता डॉ. सुनीलम ने कहा कि आज लोकतंत्र को बचाने की जरूरत है. देश में साम्प्रदायिक विभाजन के बीज बोए जा रहे हैं. लखीमपुर खीरी में भी सिख विरोधी माहौल बनाने की कोशिश हुई.
तराई किसान संगठन के अध्यक्ष तेजिंदर सिंह विर्क ने कहा कि एमएसपी की गारंटी और किसानों की कर्ज माफी हमारी ये दो मांगें थीं. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू हो जाएं तो किसान घाटे से उबर जाएगा. इसलिए हमें इन सवालों पर लड़ाई तेज करनी होगी.
किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रुल्दू सिंह ने सम्मेलन की शुरुआत में झंडातोलन किया, शहीद वेदी पर पुष्पांजलि दी और अध्यक्षीय वक्तव्य दिया.
रैली स्थल पर जसम के अनिल अंशुमन, असम के लोक गायक बलिन्द्र सेकिया, भोजपुर के चर्चित जन गायक कृष्ण कुमार निर्माही और उनके सहयोगी साथियों ने क्रांतिकारी गीतों के माध्यम से लोगों का उत्साहवर्धन किया.
अखिल भारतीय किसान महासभा के किसान महापंचायत में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष क्रमशः प्रेम सिंह गहलावत, देवेन्द्र सिंह चौहान, कार्तिक पाल, जय प्रकाश नारायण, फूलचन्द ढेवा, हीरा गोप, कृष्णदेव यादव, शिवसागर शर्मा, और राष्ट्रीय सचिव क्रमशः पुरुषोत्तम शर्मा, ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा, डी. हरिनाथ, रामाधर सिंह, जयतु देशमुख, आशोक प्रघान, पुरन महतो, रामचन्द्र कुल्हरि, त्रिपुरा से माणिक पाल, झारखंड से पूर्व विधायक राजकुमार यादव और वीएन सिंह, पंजाब से गुरुनाम सिंह भिक्खी और गोरा सिंह, असम से बलिन्द्र सैकिया, तमिलनाडु से चन्द्रमोहन और सिम्पसन, केरल से मणिदेव चतुर्वेदी, उत्तराखंड से आनन्द नेगी, हिमाचल प्रदेश से मलकित चन्द और सुरेन्द्र सिंह, छत्तीसगढ़ से नरोत्तम शर्मा, महाराष्ट्र से राजेन्द्र भाउके और अशोक धमाले, उत्तर प्रदेश से अफरोज आलम और नत्थीलाल पाठक, बिहार के विशेश्वर प्रसाद यादव, रामाधर सिंह, कृपानारायण सिंह, उमेश सिंह, राजेन्द्र पटेल, अलखनारायण चौधरी, अविनाश पासवान, जितेन्द्र यादव, राजू यादव, पूर्व विधायक चन्द्रदीप सिंह, विधायक क्रमशः अरुण सिंह (संयोजक, सम्मेलन तैयारी समिति), सुदामा प्रसाद, महानन्द सिंह, रामबली यादव, मनोज मंजिल, संदीप सौरभ, अजीत कुशवाहा, गोपाल रविदास, पूर्व विधायिका व महिला नेत्री मंजू प्रकाश, अन्य महत्वपूर्ण में ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी और वरिष्ठ नेता मीरा जी, अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीराम चौधरी, भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य स्वदेश भट्टाचार्य भट्टाचार्य और अमर, भाकपा(माले) के राज्य सचिव कुणाल व पूर्व राज्य सचिव नंदकिशोर प्रसाद, अखिल भारतीय किसान सभा के रविन्द्र राय, एसयूसीआई (कम्युनिस्ट) के इन्ददेव राय व स्थानीय नेता जवाहर सिंह, कृष्णा मेहता, आदि भी मौजूद थे.