विगत 16 फरवरी 2022 को रांची के बुंडू प्रखंड के गितीलडीह गांव में पंचपरगना क्षेत्र के कईं गांवों से आदिवासी संघर्ष मोर्चा के कार्यकर्ताओं की एक बैठक संपन्न हुई. बैठक को संबोधित करते हुए आदिवासी संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय पार्षद गौतम मुंडा ने पंचपरगना के आदिवासियों की समस्याओं को विस्तारपूर्वक रखा. आदिवासी संघर्ष मोर्चा के झारखंड राज्य संयोजक जगरनाथ उरांव ने आदिवासी संघर्ष मोर्चा के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ब्रिटिश उपनिवेश के खिलाफ तिलका मांझी से लेकर बिरसा मुंडा तक आदिवासी पुरखों के उलगुलान कां मुख्य नारा था ‘अबुआ दिशुम-अबुआ राज’. उन्होंने आदिवासियों की स्वशासन व्यवस्था को कायम रखने की लड़ाई से लेकर देश की आजादी के लिए संघर्ष किया और समझौताहीन विद्रोहों को अंजाम देते रहे. हजारों वीर आदिवासियों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर करते हुए शहादत दी.
नेताओं ने कहा कि आज देश को आजादी मिलने के दशकों बीतने और सीएनटी/एसपीटी/पेसा एक्ट /संविधान बनने के बाद भी आदिवासियों की स्वशासन व्यवस्था के तहत सामुदायिक निर्णय से जीवन का विकास और जल-जंगल-जमीन और खान-खदानों का संरक्षण नहीं हो रहा है. उल्टे राज्य व केंद्र की सरकारें सारे नियम-कानूनों और अधिकारों को ताक पर रखकर बदस्तूर जल, जंगल, जमीन और खनिजों की लूट को खूली छूट दे रही हैं. आदिवासियों के धर्म, भाषा, संस्कृति व परंपराओं पर भी लगातार हमला हो रहा है. झारखंड के लोग बेरोजगारी व पलायन का अभिशप्त झेलने के लिए मजबूर हैं.
आदिवासी संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक देवकीनंदन बेदिया ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी शहीदों की दिखाए रास्ते पर चलते हुए आदिवासी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आदिवासियों के सवालों पर समझौताहीन संघर्ष के जरिए ही आदिवासी अपने अधिकार को हासिल कर सकते हैं.
बैठक में ग्राम सभा को शक्तिशाली बनाने, सरहूल के अवसर पर सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित करने, पंचपरगना सहित झारखंड के आदिवासियों की समस्याओं पर एक सभा-सेमिनार आयोजित करने और आगे का आंदोलनात्मक कार्यक्रम तय करने, आदिवासियों के संघर्षशील छोटे-बड़े संगठनों को आदिवासी संघर्ष मोर्चा के तले एकजूट करने का निर्णय लिया गया.
बैठक में जीवन हंसदा, गुरुवा मुंडा, जितेन्द्र मुंडा, लक्ष्मण सिंह मुंडा, भगत सिंह मुंडा, हरिचरण मुंडा, समबत मुंडा, बिरसा मुंडा, लखेन्द्र मुंडा, सोमनाथ मुंडा, डोभा मुंडा, दुलाल मुंडा, प्रधान सिंह मुंडा, रामेश्वर मुंडा, जगन मुंडा आदि समते दर्जनों लोग उपस्थित थे. – गौतम मुंडा
11 फरवरी 2022 को गुजरात के धरमपुर तालुका (वलसाड जिला) के सि(उबर गांव में आदिवासी संघर्ष मोर्चा की बैठक आयोजित कर आदिवासियों की समस्याओं पर बिस्तार से चर्चा हुई.
बैठक में ‘आदिवासी वन अधिकार कानून – 2006’ को पूरे तौर पर लागू कर खेती की जमीन आदिवासियों को सुपुर्द करने की लड़ाई तेज करने और इस क्षेत्र में गुजरात सरकार द्वारा नया डैम बनाकर हजारों आदिवासी परिवारों को पुश्तैनी आवास व जमीन से बेदखल करने की साजिशों के खिलाफ संघर्ष करने का फैसला लिया गया.
आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार का मुकावला करने के लिए पूरे वलसाड जिला में आदिवासी संघर्ष मोर्चा को मजबूत बनाने का भी निर्णय लिया गया. बैठक की अध्यक्षता भाकपा(माले) के वलसाड जिला प्रभारी का. कमलेश गुरव तथा संचालन पार्टी की धरमपुर तालुका कमेटी के सचिब का. आनन्द डि. बारात ने किया.
बैठक में का. सुरेश एम गावली, का. मोतीराम ए. यादव, का. तुकाराम, का. बाबूराव एन यादव, का. रसिक आर, का. जहिराम, का. झीना, का. छगन आर, का. सीताराम दोपले, का. तुलसी राम जेड राउत आदि कई नेतृत्वकारी कार्यकर्ता शामिल रहे.
बैठक में कापरड़ा तालुका कमिटी की सदस्य का. राजू बी बरठा, धरमपुर तालुका की महिला मंडल की प्रमुख का. सुमित्रा, का. प्रमिला एम राउत, का. दक्षा के, का. शीला एम चौधरी, का. सविताबेन, का. पारु बेन समेत लगभग 50 महिलायें भी शामिल रहीं.