त्रिपुरा में अपनी रिपोर्टिंग ड्यूटी करने गये दो पत्रकारों, समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा, की त्रिपुरा पुलिस द्वारा गिरफ्तारी से भाजपा द्वारा हो रहे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमलों की कड़ी में एक और घटना जुड़ गयी है. ये दोनों पत्रकार पिछले दिनों त्रिपुरा के ग्रामीण क्षेत्रों में मुस्लिमों पर हुए हमलों की रिपोर्टिंग करने वहां गयीं थीं.
एचडब्लू नेटवर्क से जुड़ी दो युवा महिला पत्रकारों के खिलाफ पहले तो त्रिपुरा पुलिस ने विश्व हिन्दू परिषद, अल्पसंख्यकों पर हमलों के लिए कुख्यात है, की ‘शिकायत’ पर एफआईआर दर्ज की. फासीवादी आरएसएस से जुड़े वीएचपी ने एचडब्लू नेटवर्क पर दिखाये गये एक वीडियो रिपोर्ट के आधार पर इन दोनों पत्रकारों पर ‘झूठ’ फैलाने आरोप लगाया है.
हुआ यह था कि दोनों पत्रकारों ने बाकायदा अपने आने की सूचना खुद त्रिपुरा पुलिस को देते हुए उनसे सहयोग व सुरक्षा का आग्रह किया था. लेकिन इसके विपरीत त्रिपुरा पुलिस ने अपने राज्य के बाहर आकर असम में दोनों पत्रकारों को रात में गिरफ्तार करने की कोशिश की, जो एक गैरकानूनी कृत्य होता, विरोध करने पर फिर उन्हें त्रिपुरा ले जाने के लिए एक शेल्टर होम में रखा गया.
इन युवा पत्रकारों का त्रिपुरा व असम की पुलिस द्वारा उत्पीड़न वहां की भाजपा सरकारों की शह पर किया जा रहा है, ताकि भविष्य में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं की रिपोर्टिंग करने का कोई साहस भी न कर सके.
भाजपा के शासन में कानून के राज की जगह आरएसएस के राज ने ले ली है जहां पुलिस का इस्तेमाल साम्प्रदायिक और जातीय हिंसा के पीड़ितों को और प्रताड़ित करने के लिए और ऐसी हिंसा के बारे में सच की रिपोर्टिंग करने वालों को अपराधी बताने के लिए किया जा रहा है. एक जमाने में आपातकाल में प्रेस की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया था, लेकिन आज ऐसा अघोषित आपातकाल बना कर किया जा रहा है.
हाथरस घटना की रिपोर्टिंग करने वाले सिद्दीक कप्पन पर यूपी पुलिस ने यूएपीए थोप दिया, और अब त्रिपुरा में साम्प्रदायिक हिंसा की रिपोर्टिंग करने गयीं समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा के साथ अपराधियों वाला सलूक किया जा रहा है.
हम मांग करते हैं कि समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा को तत्काल रिहा किया जाय और उन पर लगीं सभी एफआईआर तत्काल रद्द की जायं. हम सिद्दीक कप्पन को तत्काल रिहा करने मांग भी दुहराते हैं.
भाकपा(माले) केन्द्रीय कमेटी