दिल्ली में 26 जनवरी को किसान आंदोलन द्वारा किसान ट्रैक्टर परेड का आयोजन किया गया. हजारों की तादाद में ट्रैक्टर सड़कों पर उतरे. इसी के एक हिस्से में हिंसा हुई और एक किसान की मौत हुई. निश्चित ही हिंसा होना ठीक नहीं है, अराजकता का होना भी ठीक नहीं है. इसकी भर्त्सना की जानी चाहिए. यह आंदोलन के लिए भी उचित नहीं है.
लेकिन इससे कुछ सवाल उठते हैं. पहला यह कि क्या उस ट्रैक्टर परेड की मुख्य विशेषता हिंसा थी? दूसरा क्या हिंसा एकतरफा थी? सवाल यह भी है कि क्या किसान आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं ने हिंसा का समर्थन किया?