लोकतान्त्रिक अधिकार और सद्भावना मंच, उदयपुर ने विगत 28 जनवरी को दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका जैसे प्रमुख अखबारों में ‘महाराज’ टाइटल के साथ लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए उदयपुर शहर में प्रमुखता से जो विज्ञापन छपे और खुलेआम शहर में जिस तरह बोर्डिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस मामले में कलेक्टर कार्यलय में ज्ञापन दिया गया.
इस मामले में बोलते हुए भाकपा(माले) नेता सौरभ नरूका ने कहा कि दो दिन पहले ही हमने 73वां गणतंत्र दिवस मनाया. यह दिन सविधान और आजादी के आंदोलन में दी गयी लाखों कुर्बानियों से देख्रने को मिला. भारतीय सविधान का आर्टिकल (अनुच्छेद) 18 विदेशी शासक अंग्रेजों के द्वारा या पूर्व में सामंती-मनुवादी व्यवस्था के चलते दी जानी वाली उपाधियों की प्रथा को खत्म करता है और राज्य को हिदायत देता है कि देश में राज्य, सेना या विद्या संबंधी सम्मान के सिवाय और कोई उपाधि नहीं दी जाएगी. भाकपा के हिम्मत छागवाल ने बताया कि दैनिक भास्कर व राजस्थान पत्रिका जैसे प्रमुख अखबारों में ‘महाराज’ टाइटल के साथ लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाए देते हुए उदयपुर शहर में प्रमुखता से छपे विज्ञापन संविधान कि मूल भावना के खिलाफ है. यदि आज भी कोई तथाकथित ‘पूर्व राज परिवार’ होने के चलते ‘महाराज’ टाइटल का इस्तेमाल करता हैं या अन्य व्यक्ति सार्वजनिक रूप से विज्ञापनों व बोर्डिंग में इसका इस्तेमाल करते हैं तो यह प्रथम दृष्टया सविधान के आर्टिकल 18 के खिलाफ जाता है.
माकपा के राजेश सिंघवी ने कहा अब हम किसी राजशाही में नहीं लोकतांत्रिक भारत में रहते है जिसका सविधान जाति, धर्म, लिंग या उपाधियों से ऊपर उठकर सबको सम्मान और गरिमा से रहने का अधिकार देता है. भ्रष्टाचार विरोधी मंच के हरीश सुहालका ने जिला प्रशासन से इसका संज्ञान लेकर सविधान और कानून अनुसार संबंधित व्यक्तियों और मीडिया संस्थानों पर कार्रवाई करने की मांग की. जनता दल (सेकुलर) के रामचंद्र साल्वी के मांग उठाई कि मीडिया के प्रमुख संस्थानों और ‘पूर्व राजपरिवार’ से आने वालों के द्वारा इसतरह के व्यवहार पर भविष्य में रोक लगे, इसके लिए आवश्यक कदम उठाये जायें.
अधिवक्ता अरुण व्यास ने बताया कि पूर्व में भी इसी तरह के फील्ड क्लब से जुड़े मामले में ‘पूर्व राजपरिवार’ से आने वाले महेंद्र सिंह मेवाड़ द्वारा ‘महाराज’ उपाधि के इस्तेमाल के खिलाफ स्थानीय न्यायालय में करीब 15 साल पहले केस चला था जिसमे उन्हे लिखित रूप में माफी मांगनी पड़ी थी और शपथ पत्र देकर कहना पड़ा था कि वे भारतीय संविधान पर विश्वास करते है.
समता संवाद के हिम्मत सेठ ने कहा कि राजस्थान के राज्यपाल के द्वारा संवैधानिक पद पर रहते हुए हाल में मात्र तथाकथित ‘पूर्व राजपरिवार’ के होने के चलते लक्ष्यराज सिंह को अपनी सलाहकार समिति में लेने के फैसले की भी हम निंदा करते हैं. इस मोके पर अधिवक्ता और प्रकृति के मुद्दों पर सक्रिय मन्नालाल डांगी ने कहा कि यह व्यवहार दिखाता है कि आज के दौर में मीडिया संस्थान मुनाफे के लिए पत्रकारिता के सभी उसूलों को ताक पर रख कर काम कर रहे हैं. इस मोके पर डॉ. अंबेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी केपीआर साल्वी, श्यामलाल आदि मौजूद थे.