वर्ष - 30
अंक - 4
23-01-2021


मोदी सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ अब नागरिक समाज ने भी एकजुटता दिखानी शुरू कर दी है. मंगलवार को बिहार की राजधानी पटना के शहीद भगत सिंह चौक पर ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम (एआईपीएफ) के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम ‘किसानों के साथ हम पटना के लोग’ के तहत राजधानी के प्रबुद्ध जन जुटकरऔर कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं. कार्यक्रम का संचालन करते हुए एआइपीएफ से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता गालिब ने कहा कि देश बचाने के लिए चल रहे इस आंदोलन से समाज के विभिन्न तबकों को जोड़ने के उद्देश्य से ‘किसानों के साथ हम पटना के लोग’ नामक नागरिक अभियान की शुरुआत हुई है. यह पटना के विभिन्न मुहल्लों, बाजारों, इलाकों में गणतंत्र दिवस 26 जनवरी तक चलेगा. इसमें पटना के सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता, कवि, साहित्यकार, प्राध्यापक, चिकित्सक, कवि, गायक, रंगकर्मी, युवा, मजदूर आदि समाज के सभी तबके भाग लेंगे. हर सभा में गीत, कविता, नुक्कड़ नाटक व वक्तव्यों से  किसान आंदोलन के समर्थन का आह्वान किया जाएगा.

किसानों का आंदोलन स्वतंत्रता बचाने का आंदोलन है

19 जनवरी 2021, शहीद भागत सिंह चौक (गांधी मैदान) पर आयोजित कार्यक्रम की मुख्य वक्ता पटना विश्वविद्यालय इतिहास विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. डेजी नारायण ने कहा कि सरकार द्वारा यह दुष्प्रचार चलाया जा रहा है कि  आंदोलन महज पंजाब-हरियाणा के किसानों का है और विपक्ष की साजिश है. जबकि यह आंदोलन न सिर्फ किसानों बल्कि देश की आम अवाम के हक की लड़ाई लड़ रहा है. यह देश की आजादी बचाने का आंदोलन है. इसलिए यह जरूरी है कि इस आंदोलन को देश की जनता का व्यापक समर्थन मिले.

सामाजिक कार्यकर्ता रूपेश ने कहा कि ये काले कृषि कानून न केवल सभी किसानों व कृषक मजदूरों के बीच भूखों मरने की नौबत पैदा करेंगे बल्कि पूरे देश की अवाम को लातिनी अमरीकी देशों में फैले भुखमरी, बेकारी व बदहाली जैसे हालात के कगार पर पहुंचा देंगे.

वरिष्ठ वामपंथी किसान नेता केडी यादव ने कहा कि अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के बाद पिछले 70 सालों के कृषकों के प्रयास से हम भोजन के मामले में आत्मनिर्भर हुए हैं पर काॅरपोरेट लाभ के लिए असंवैधानिक तरीके से देश पर लादे गए कृषि कानूनों के माध्यम से हमारे भोजन का अधिकार खत्म किया जा रहा है.

युवा कवि उपांशु ने आंदोलन के समर्थन की अपील करते हुए सत्य का घोषणापत्र, नए मध्यवर्ग के लिए और आइना शीर्षक अपनी कविताओं का असरदार पाठ किया. आज के इस आयोजन में संस्कृतिकर्मी उदय व अनिल ने जनगीत का गायन किया.

 

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किसान देश बचाने के लिए लड़ रहे हैं

20 जनवरी 2021 को पटना सिटी के चौक शिकारपुर सब्जी मंडी में कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे एएन सिंहा इंस्टीटयूूट ऑफ सोशल स्टडीज के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. विद्यार्थी विकास. उन्होंने कहा कि किसान केवल अपनी लड़ाई नहीं बल्कि देश की आम अवाम के बुनियादी हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. किसानों की मेहनत से पैदा उपज व उनकी जमीन पर सरकार अपने चहेते पूंजीपतियों पर कब्जा दिलाना चाहती है. पूरी खेती उनके अधीन करना चाहती है. चल रहे आंदोलन के बारे में सरकार द्वारा चलाये जा रहे यह दुष्प्रचार को करारा जवाब देने के लिए यह जरूरी है कि इस आंदोलन को देश की जनता का व्यापक समर्थन मिले.

कृषि अधिकारों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता इश्तियाक ने कहा कि ये कृषि कानून भूख और बदहाली पैदा करेंगे इसलिए सबका दायित्व है कि इनके खिलाफ चल रही लड़ाई में एकजुट हों. यहां युवा कवि बालमुकुंद ने अपनी कविताओं का पाठ किया.

सच्चे देशभक्त हैं आंदोलनकारीे किसान

21 जनवरी 2021 को पटना सिटी के गायघाट स्थित डाॅ. अम्बेडकर चौराहे के पास आयोजित कार्यक्रम की मुख्य वक्ता वरिष्ठ वामपंथी महिला नेता सरोज चौबे ने कहा कि अपने सौ से ज्यादा साथी खो चुके दिल्ली की सीमा पर डटे किसान केवल खेती नहीं बल्कि देश की आजादी बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. वे सच्चे देशभक्त हैं, देश उनका ऋणी रहेगा. मेहनतकाश जनता की कमाई से सेठों की थैली भरने वाली सरकार को इस आंदोलन के आगे झुकना ही होगा.

चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता व पर्यावरणविद् रणजीव ने कहा कि लोक कल्याणकारी राज्य व्यवस्था में अब आम लोगों की थाली से रोटी छीनी जा रही है और चहेते पूंजीपतियों की तिजोरी भरी जा रही है. चोरी से ये कानून लाये गए हैं जो खाद्यान की हमारी आत्मनिर्भरता को खत्म कर देंगे. इसलिए हम सबका दायित्व है कि इनके खिलाफ चल रही लड़ाई में एकजुट हो व्यापक समर्थन पैदा करें.

मौके पर मौजूद युवा कवि प्रशांत विप्लवी ने आंदोलनरत किसानों के साथ खड़ा होने की अपील करते हुए ‘सर्वज्ञ की चिंता’, ‘जीभ’, ‘स्वाधीनता’ और ‘बहुत मुश्किल से आदमी बना हूं’ शीर्षक अपनी कविताओं का असरदार पाठ किया.

इन कार्यक्रमों में इंसाफ मंच के संयोजक नसीम अंसारी, सामाजिक कार्यकर्ता रणजीव, किसान महासभा के उमेश सिंह व शम्भुनाथ मेहता, जसम के पटना संयोजक राजेश कमल, ऐक्टू नेता जितेंद्र कुमार, इंनौस के सुधीर कुमार, अनय मेहता, राजेश कुशवाहा, ललन यादव, मनोहर लाल, महेश चंद्रवंशी, श्रवण सिन्हा, कृष्ण कुमार सिन्हा, आसमा खान, रामनारायण सिंह, चंद्रभूषण शर्मा, विनय कुमार, पुनीत, मो. सोनू, गालिब कलीम आदि दर्जनों लोग मौजूद थे.

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