इस बार किसान दिवस (23 दिसंबर) जो भारत के प्रधानमंत्री रह चुके चर्चित किसान नेता चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन के अवसर पर घोषित है, केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ किसानों के देशव्यापी प्रदर्शनों का गवाह बना. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर किए गए इन प्रदर्शनों ने तीन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को नई गति दी. भाकपा(माले) और अखिल भारतीय किसान महासभा ने इन प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
उत्तरप्रदेश में एक बार फिर योगी सरकार ने इन प्रदर्शनों को रोकने के लिए गिरफ्तारियों का सिलसिला अपनाया. राजधानी लखनऊ में भाकपा(माले) के केंद्रीय समिति सदस्य व अखिल भारतीय किसान महासभा (घटक, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति) के राष्ट्रीय सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा के नेतृत्व में लगभग सवा दर्जन किसान नेता लखनऊ में हजरतगंज चौराहा स्थित अंबेडकर प्रतिमा स्थल से 23 दिसंबर की सुबह गिरफ्तार कर लिए गए.
दिल्ली सीमा पर पिछले 27 दिनों से आंदोलनरत किसान संगठनों सहित एआईकेएससीसी के देशव्यापी आह्वान पर किसान महासभा ने बुधवार को एक दिवसीय अनशन करने की घोषणा की थी. लखनऊ में अंबेडकर प्रतिमा स्थल पर अनशन पर जैसे ही किसान नेता बैठे, पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. बैनर की छीना-झपटी को लेकर पुलिस से संघर्ष हुआ. बाद में, पुलिस सभी को गाड़ी में बैठा कर लखनऊ के ईको गार्डेन ले गई, जहां नेताओं ने उपवास जारी रखा.
इस मौके पर कामरेड ईश्वरी प्रसाद ने कहा कि यूपी में योगी राज सुपर जंगल राज में तब्दील हो गया है. उन्होंने कहा कि किसान भ्रम और बहकावे में नहीं है. यह किसानों और गरीबों के अस्तित्व की लड़ाई है. उन्होंने कहा कि इस कानून से किसान तो तबाह होंगे ही, अनाज मंडियों (एपीएमसी) से अनाज की सरकारी खरीद धीरे-धीरे बंद हो जाने पर जन वितरण प्रणाली से सस्ती दरों पर गरीबों को राशन मिलना भी बंद हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन ने राष्ट्रव्यापी आयाम ग्रहण कर लिया है. सरकार के लिए अभी भी समय है कि वह तीनों कृषि कानून व प्रस्तावित बिजली बिल, 2020 वापस ले और आंदोलरत किसानों से सकारात्मक वार्ता करे.
लखनऊ में ईश्वरी प्रसाद के साथ गिरफ्तार अन्य नेताओं में किसान महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अफरोज आलम, लखनऊ माले जिला प्रभारी रमेश सेंगर, रायबरेली जिलाध्यक्ष फूल चन्द्र मौर्य, हरदोई के किसान नेता ओमप्रकाश, मो. कामिल खान एडवोकेट, मधुसूदन मगन, रामबाबू सिंह, सतीश राव, राम जीवन राना, राम धनी पासी, राम नरेश चौधरी, रामगोपाल, रामनरेश पासी के अलावा रायबरेली व लखनऊ के कार्यकर्ता शामिल हैं.
इलाहाबाद में किसान आंदोलन के समर्थन में बालसन चौराहे के निकट गांधी प्रतिमा पर ‘किसान एकजुटता मंच’ के बैनर तले उपवास पर बैठे नेताओं को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. वहां गिरफ्तार किये गये लोगों में माले इंकलाबी नौजवान सभा (इनौस) के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य, वाम दलों के नेता अखिल विकल्प, नसीम अंसारी, आंनद मालवीय, आइसा के विवेक व अन्य शामिल हैं.
मिर्जापुर में किसान-विरोधी कानूनों के खिलाफ व फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद की गारंटी की मांग को लेकर अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा(माले) के कार्यकर्ताओं ने एक दिन का भोजन त्याग कर सुबह 10 बजे से कैलहट बाजार में धरना दिया. धरने में जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश पटेल, जिला सचिव भक्त प्रकाश श्रीवास्तव, वरिष्ठ किसान नेता भानू प्रताप सिंह, अमरेश पटेल, शमशेर सिंह, चंद्रशेखर सिंह, अखिलेश्वर सिंह, राजकुमार पटेल, मो. रियाज, विजय भारती, कृपा सिंह, मो. हामिद, मीना देवी, पुष्पा देवी आदि ने भाग लिया.
इसके अलावा, आजमगढ़, गोरखपुर, गाजीपुर, वाराणसी, बलिया, चंदौली, सोनभद्र, जौनपुर, गोंडा, मथुरा, सीतापुर आदि जिलों में भी धरना-उपवास के कार्यक्रम हुए.
भाकपा(माले) की राज्य इकाई ने इन गिरफ्तारियों को योगी सरकार की लोकतंत्र-विरोधी, तानाशाहीपूर्ण कार्रवाई बताते हुए कड़ी निंदा की है और सभी साथियों की बिना शर्त रिहाई की मांग की है. राज्य सचिव सुधाकर ने कहा कि योगी सरकार एक तरफ चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर किसानों को सम्मानित करने का नाटक कर रही है, वहीं दूसरी ओर किसानों को शांतिपूर्ण उपवास तक नहीं करने दे रही. उन्होंने कहा कि किसानों की मुख्य मांग – तीनों काले नए कृषि कानूनों की वापसी - के पूरा होने तक आंदोलन न सिपर्फ जारी रहेगा, बल्कि दिनों-दिन तेज होगा.
राजधानी लखनऊ में ही, एक अन्य कार्यक्रम में साहित्यकारों व रंगकर्मियों ने कैसरबाग स्थित इप्टा कार्यालय प्रांगण में किसान आंदोलन के समर्थन में दो घंटे का सामूहिक उपवास किया. इसमें ‘समकालीन जनमत’ के संपादक रामजी राय, लखनऊ विवि की पूर्व कुलपति डा. रूपरेखा वर्मा, इप्टा के राकेश, जन संस्कृति मंच के कौशल किशोर व विमल किशोर, जलेस से कवि नलिनी रंजन सहित अन्य कई लेखक, कवि व विचारक शामिल थे.
बिहार में भी उस दिन बहुतेरे कार्यक्रम आयोजित हुए. भोजपुर जिले के चरपोखरी में 23 दिसंबर 2020 को किसान कन्वेंशन आयोजित किया गया. इसकी शुरूआत कृषि कानून 2020 के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को दो मिनट के मौन श्रद्धांजलि देने के साथ हुई.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के प्रखंड सचिव का. रघुवर पासवान ने कहा कि मोदी सरकार इस देश में फिर से कंपनी राज स्थापित करना चाहती है. देश के किसान कृषि कानून 2020 के खिलाफ दिल्ली की सड़कों पर आंदोलनरत हैं. लेकिन सरकार उनकी मांगों के प्रति संवेदनहीन बनी हुई है.
कन्वेंशन में उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए अगिआवं के विधायक व इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का. मनोज मंजिल ने कहा कि इस आंदोलन में लगभग 30 किसान शहीद हो गए. भीषण ठंड में भी किसान दिल्ली बाॅर्डर पर डटे हुए हैं. मोदी सरकार तानाशाही रवैया अपनाते हुए कृषि कानून 2020 के जरिए खेती-किसानी को अंबानी-अडानी को सौंप देना चाहती और इस कानून का विरोध करनेवाले किसानों को नक्सली व देशद्रोही बता रही है. भाकपा(माले) मोदी सरकार के फासीवादी एजेंडों एवं किसान विरोधी कृषि कानून के खिलाफ मजबूती के साथ संघर्ष करेगी.
कन्वेंशन का संचालन का. दशईं राम ने किया. कन्वेंशन में पोसवां पंचायत के मुखिया जयकुमार यादव, आइसा जिला अध्यक्ष पप्पू कुमार, इनौस नेता अमित यादव, अखिलेश गुप्ता, विनोद सिंह आदि समेत सैकडों किसान मौजूद थे.
23 दिसंबर 2020 को देशव्यापी किसान आन्दोलन के समर्थन में बेगूसराय जिले के बलिया में पटेल चौक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं अंबानी-अडानी का पुतला दहन किया गया. किसान महासभा और भाकपा(माले) कार्यकर्ताओं ने स्टेशन रोड स्थित अपने कार्यालय से से झंडा, बैनर और नारे लिखे प्ले कार्ड के साथ बजार में जुलूस निकाला. किसान विरोधी तीनो कृषि कानून रद्द करो, अंबानी-अडानी की सरकार नही चलेगी, एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी करो, स्वामीनाथन आयोग के रिपोर्ट लागू करो, आंदोलनकारी किसानो से अविलंब वार्ता करो, खेत-खेती-किसान बचाओ, कार्पाेरेट लूट का राज मिटाओ आदि नारों के साथ यह जुलूस पटेल चौक पहुंचा जहां कर पुतला दहन किया गया. इस मौके पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) जिला सचिव दिवाकर कुमार ने कहा 26 दिनों से किसान खुले आसमान और भीषण ठंड मे आन्दोलनरत हैं, 34 किसानों की शहरदत हो चुकी है लेकिन कार्पाेरेट हितैषी मोदी सरकार हठधर्मी बनी हुई है. सभा को भाकपा(माले) नेता इंद्रदेव राम, अमरजीत पासवान, आइसा के प्रखंड सचिव प्रशांत कश्यप, किसान महासभा के नेता तपेश्वर महतो, रंजू देवी व ललिता देवी आदि नेताओ ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम के अध्यक्षता बलिया प्रखंड सचिव कामरेड नूर आलम ने की.
बलिया के अलावा नौला, नावकोठी व बेगूसराय शहर में भी पुतला दहन किया गया और पर्चा वितरित कर 27 दिसंबर को जब नरेन्द्र मोदी ‘मन की बात’ करेंगे तब ताली-थाली बजाने और 29 दिसंबर को पटना में आयोजित हो रहे किसानों के राजभवन मार्च में शामिल होने की अपील की गई.