झारखण्ड आन्दोलनकारी, चर्चित आर्टिस्ट और भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता बशीर अहमद जी का 8 अगस्त 2020 को पूर्वाहन 9 बजे हार्टअटैक से निधन हो गया. वे 65 वर्ष के थे. 9 अगस्त को रातू रोड कब्रस्थान में उनके पार्थिव शरीर को दफ्न-ए-खाक किया गया. उनके निधन के दिन ही संध्या 5 बजे उनके आवास परिसर के बाहर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.
11 अगस्त को कामरेड बसीर अहमद की स्मृति में अंजुमन इस्लामिया सभागार, मेन रोड, रांची में उनकी श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई. आंदोलनकारी बशीर अहमद जी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर सभा की शुरूआत की गई. श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता करते हुए भाकपा(माले) के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने कहा कि उनका निधन लोकतांत्रिक आंदोलनों के लिए बड़ी क्षति है. बशीर अहमद सांप्रदायिक सद्भाव और साझी विरासत के प्रतीक पुरुष थे. बशीर अहमद धर्म और जाति के दायरे से ऊपर सबके प्रिय थे. झारखंड के आदिवासियों और गरीबों के साथ उनका गहरा जुड़ाव था.
इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय ने कहा कि बशीर अहमद को प्यार से झारखंड की जनता मुन्ना भाई के रूप में जानते थे. मुन्ना भाई ने अपनी मेहनत के बल पर ही अपनी पहचान बनाई. झारखंड आंदोलन में अग्रिम भूमिका निभाने के साथ ही वे एक साथ आंदोलनकारी पत्रकार, कार्टूनिस्ट और कम्युनिस्ट नेता भी थे – राइटर भी और फाइटर भी थे. वे हमेशा विपक्षी और सेक्युलर ताकतों के बीच एकता के पैरोकार थे और हमेशा इनकी एकजुटता के लिए चिंतित रहते थे. इंसानियत का दूसरा नाम बशीर है. आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के अध्यक्ष प्रेमचंद मुर्मू ने कहा कि बशीर अहमद बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे. झारखंड के जंगल व जमीन की रक्षा के लिए जारी हर आंदोलन में बशीर अहमद जी हमेशा जिन्दा रहेगें. आदिवासी सलाहकार समिति के पूर्व सदस्य रतन तिर्की ने कहा कि बशीर अहमद जी का असमय जाना बेहद दुखदाई है. झारखंड के आंदोलनकारियों और चर्चित नामचीन हस्तियों को राजकीय सम्मान नहीं मिलना झारखंड के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है; इन आंदोलनकारियों को सिर्फ राजकीय ही नहीं, राष्ट्रीय सम्मान मिलना चाहिए और बशीर जी इसके हकदार हैं. आज के दौर में बशीर जी को याद करने का मतलब संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करना भी है.
श्रद्धांजलि सभा को भाकपा(माले) केंद्रीय कमेटी सदस्य शुभेंदु सेन, सामाजिक कार्यकर्ता व आदिवासी मूलवासी अधिकार मंच की नेता दयामणि बारला, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष महेंद्र पीटर, राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड से सम्मानित फिल्मकार श्रीप्रकाश, पत्रकार सहरोज कमर, लक्ष्मीनारायण सिंह मुंडा, मुफ्ती अब्दुल्लाह अजहर, झामुमो के प्रदेश प्रवक्ता एजाज खान, माकपा के राज्य सचिव मंडल के सदस्य प्रकाश विप्लव, भाजपा के जिला सचिव अजय सिंह, मार्क्सवादी समन्वय समिति के सुशांत मुखर्जी, बशीर जी के सहोदर भाई मोहम्मद चांद, जेपी आंदोलनकारी वरुण कुमार, एआइपीएफ नेता नदीम खान, अनीता, मोहन दत्ता, भुवनेश्वर केवट, सामाजिक कार्यकर्ता पावेल कुमार, संस्कृतिकर्मी इस्तेखार अहमद, मिथिलेश तिवारी, मुस्लिम मजलिस ए उलेमा के मुफ्ती अब्दुल्लाह अजहर, महावीर मुंडा, छात्र नेता सोहेल, राम कुमार, पठान तंजीम के वारिस खान आदि ने मुख्य रूप से संबोधित किया.
कोरोना संकट के मद्देनजर लागू पाबंदियों के चलते राज्य के विभिन्न हिस्सों से कामरेड बशीर को चाहनेवाले बहुत से लोग कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके. विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक व सांस्कृतक संगठनों और बुद्धिजीवी मंचों ने अपने शोक संदेश भेजे. आजसू के संस्थापक सह पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने अपने संदेश में कहा कि स्वर्गीय बशीर अहमद उनके बहुत करीबी दोस्त थे. वह आजसू के आंदोलन से भी जुड़े थे. बशीर जी राइटर के साथ फाइटर भी थे. झारखंड आंदोलन में उनकी अहम भूमिका थी. उनके आकस्मिक निधन से अपूरणीय क्षति हुई है.
अर्थशास्त्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज ने अपने संदेश में कहा है कि बशीर अहमद उनके प्रिय दोस्त और झारखंड में प्रगतिशील सामाजिक आन्दोलनों के अथक समर्थक थे. हम उनसे सलाह-मशविरा किया करते थे और वह हर मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे. इसी साल हुए ‘एक शाम संविधान के नाम’ कार्यक्रम में उन्होंने स्कूली बच्चों के साथ पेंटिंग सत्र आयोजित कर अपना बेहतरीन योगदान दिया था. जिस तरह वह निष्काम भाव से अपना योगदान देते थे, वह हमारे लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगा. इस मौके पर साहित्यकर्मी हुसैन कच्छी, फिल्मकार मेघनाथ समेत कई आंदोलनकारी सामाजिक राजनीतिक नेताओं ने अपना शोक संदेश भेजा.
हरदिल अजीज बशीर अहमद जी को सलाम !