बिहार में वाम दलों – भाकपा(माले), भाकपा व माकपा के राज्य सचिवों – का. कुणाल, का. सत्यनारायण सिंह और का. अवधेश कुमार ने विगत 10 अप्रैल 2020 को एक प्रेस बयान जारी कर लाॅक डाउन के कारण दिहाड़ी मजदूरों, प्रवासी मजदूरों, मनरेगा मजदूरों सहित सभी अन्य मजदूरों, दलित-गरीबों, अन्य कामकाजी हिस्सों, किसानों, छात्र-नौजवानों आदि के जीवन पर आए गहरे संकट और भुखमरी की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की और केंद्र व राज्य सरकार से बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों के लिए तत्काल राशन व अन्य सुविधाएं प्रदान करने की मांग की.
नेताओं ने कहा कि सरकार के प्रयास बेहद कमजोर हैं. बिना कार्ड वाले गरीबों तक तो अभी राशन का एक अंश भी नहीं पहुंचा है, जिसके कारण उनके सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. कामगार प्रवासियों के भी आधार कार्ड अद्यतन न होने कारण 1000 रुपए की राशि नहीं मिल पा रही है. सरकार रूटीन वर्क की बजाय युद्ध स्तर पर काम करे और सबके भोजन की गारंटी करे. शहरों में हर वार्ड और प्रत्येक गांव में इस प्रकार की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.
उन्होंने कहा कि हमने राज्य सरकार से इस महाविपदा की घड़ी में मिलजुलकर काम करने की अपील की, लेकिन सरकार इसे अनसुनी कर रही है. वह न केवल अपनी मनमर्जी कर रही है बल्कि कोरोना और लाॅक डाउन के नाम पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का दमन करने में लगी है. यह बहुत ही निंदनीय है. प्रशासन गरीबों को राहत देने की बजाय उनपर डंडे चला रहा है. हम इस दमन पर तत्काल रोक लगाने, राहत अभियान में अन्य राजनीतिक पार्टियों – सामाजिक संगठनो को शामिल करने और तत्काल एक सर्वदलीय बातचीत आयोजित करने की मांग करते हैं.
वाम नेताओं ने कोरोना के नाम पर साम्प्रदायिक साजिश रचने, मुस्लिमों के खिलाफ दुष्प्रचार करने और गरीबों पर सामंती जुल्म ढाने की घटनाओं और प्रवृति की कड़ी निंदा की. कहा कि इस महामारी के दौरान जहां उम्मीद थी कि सब मिलकर इसके खिलाफ लड़ेंगे, भाजपा व संघ के लोग कोई न कोई बहाना बनाकर अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं. संघी लोग यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि मुस्लिम लोग ही कोरोना फैला रहे हैं. कोरोना के जरिये साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश बेहद निंदनीय है. हम सरकार से मांग करते हैं कि ऐसी प्रवृतियों पर लगाम लगाये और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे.
एक तरफ मुस्लिमों पर हमला है तो दूसरी ओर सामंती ताकतों ने गरीबों पर और खासकर मुसहर टोलियों पर हमला बोल दिया है. इसमें कई लोगों की हत्या भी हो चुकी है. भोजपुर के सारा मुसहर टोली से लेकर पटना के तिनेरी व अन्य मुसहर टोलियों, जहानाबाद, गोपालगंज आदि जिलों में प्रशासन के सरंक्षण में दबंग लोग कोहराम मचाये हुए हैं, गरीबों पर हमले कर रहे हैं, धमकी दे रहे हैं कि कोरोना बीमारी की आड़ में जिंदा जलाकर मार देंगे. बिहार सरकार इन मामलों में तत्काल हस्तेक्षप करे और गरीबों की सुरक्षा की गारंटी करे. प्रशासन शराब के नाम पर गरीबों को लगातार परेशान करने में लगी हुई है.
नेताओं ने पीपीई की मांग कर रहे चिकित्सकों को सरकार द्वारा निशाना बनाये जाने को बेहद अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा कि सुविधाओं के अभाव में बड़ी संख्या में डाॅक्टर संक्रमित हो रहे हैं. सरकार उनकी मांगों की लगातार उपेक्षा करके उनके मनोबल को गिराने का ही काम रही है. कहा कि बिहार में कोरोना के केस कम हैं, लेकिन यहां जांच भी बहुत कम है. इसलिये हमारी मांग है कि जांच की संख्या और केंद्र में अविलम्ब बढ़ोतरी की जाए.
उन्होंने लाॅक डाउन के दौरान अस्पतालों में बंद की गई ओपीडी सेवाओं और अन्य इमरजेंसी सेवाओं को भी तत्काल बहाल करने, कटनी की प्रक्रिया में तेजी लाने और इस काम को मशीन की बजाय मनरेगा व अन्य मजदूरों से कराने तथा मौसमी फलों, सब्जी विक्रेताओं के लिए उत्पाद खरीद की गारंटी करने की मांग की. वाम नेताओं ने यह भी कहा कि सरकार हड़ताली शिक्षकों पर दमनात्मक कार्रवाई बन्द करे, उन्हें वेतन प्रदान करे और गतिरोध का हल निकाले.