वर्ष - 29
अंक - 18
25-04-2020

तमिलनाडु की ऐक्टू इकाई ने 18 अप्रैल को विकेंद्रित धरना और 19 अप्रैल को अनशन करने का फैसला लियाहजारों मजदूरों ने लाॅकडाउन के नियमों का पालन करते हुए इन कार्यक्रमों में शिरकत की. 18 जिलों में धरना और अनशन कार्यक्रम आयोजित किए गए. निर्माण, पावरलूम, नागरिक आपूर्ति, कपड़ा उद्योग, बिजली, परिवहन, बीड़ी, स्वास्थ्य, सीमेंट तथा कई अन्य निजी क्षेत्रों की कंपनियों के मजदूरों-कर्मचारियों के साथ-साथ खेत मजदूरों ने भी अच्छी संख्या में इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. कोयंबटूर में प्रिकोल यूनियन के कार्यकर्ताओं की भागीदारी खास तौर पर उल्लेखनीय रही.

18 अप्रैल के दिन शहरी व ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में धरना चलाया गया. मजदूर कार्यकर्ता अपने घरों में और दरवाजों पर धरना पर बैठे. उनके हाथों में पोस्टर और प्लेकार्ड थे और वे लाॅकडाउन से प्रभावित प्रवासी व असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए ‘एक्शन प्लान’ तथा राहत पैकेट की मांग करते हुए नारे लगा रहे थे. वे प्रवासी मजदूरों की सकुशल घर वापसी की  मांग कर रहे थे. महत्वपूर्ण बात यह रही कि अनेक जगहों पर प्रवासी मजदूर भी हिन्दी में लिखे नारों के साथ इस कार्य़म में शामिल हुए. 19 अप्रैल के दिन मजदूर कामरेड अपने आवासीय इलाकों में तथा पार्टी व ट्रेड यूनियन कार्यालयों में झंडे, पोस्टरों और बैनरों के साथ अनशन पर बैठे. आइसा के आह्वान पर छात्र-नौजवान कार्यकर्ता भी कोरोना संकट के समय छात्रों के लिए राहत पैकेज की मांग पर इस अनशन कार्यक्रम में शामिल हुए.

लाॅकडाउन के नियमों का पूरी तरह पालन करने के बावजूद लगभग सभी जगह पुलिस द्वारा परेशान करने की घटनाएं सामने आईं. राज्य की अन्ना द्रमुक सरकार ने पुलिस राज की तरह आचरण करते हुए विरोध की आवाज तथा अभिव्यक्ति की आजादी के प्रति तीखी नफरत का प्रदर्शन किया. कोविड-19 के नाम पर, लाॅकडाउन नियमों के अनुपालन के बावजूद अनेक कामरेडों और श्रमिकों पर मुकदमे लाद दिए गए. राज्य सरकार कोविड-19 से लड़ने से ज्यादा लोकतंत्र पर हमला करने में रूचि दिखा रही है. पुलिस ने प्रतिवाद में शामिल कई प्रवासी व अन्य मजदूरों को परेशान किया. फेसबुक पर प्रतिवाद पोस्ट देखकर मुकदमे किए गए हैं, जबकि इससे लाॅकडाउन नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. लेकिन पुलिसिया हरकतों के बावजूद यह कार्यक्रम काफी सफल रहा जिसमें महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल हुईं.

20 अप्रैल के दिन कोयंबटूर के भाकपा(माले) जिला कमेटी सदस्य, पूर्व निगम पार्षद और झुग्गी-झोपड़ी संघ के नेता कामरेड वेल मुरूगन तथा ऐक्टू नेता व एडवोकेट लुइस को गिरफ्तार कर लिया गया. अधिवक्ता संघ समेत कई तरफ से दवाअ पड़ने पर कामरेड लुइस को बाद में निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया. लेकिन वेल मुरूगन को कोर्ट में पेश किया गया जहां मजिस्ट्रेट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया, क्योंकि पुलिस ने इन पर आइपीसी की गैर जमानती धाराओं के तहत कई झूठे केस लाद दिए थे.

लाॅकउाउन के उल्लंघन के आरोप में आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के बोडापड्डू में भी कई साथियों के खिलाफ पलासा पुलिस थाने ने केस दर्ज किया है. विगत 22 अप्रैल का अमर विरूला स्मारक भवन के समक्ष हमारी पार्टी के साथ ही सीपीपीआइ(एमएल) - न्यू डेमोक्रेसी के द्वारा भी 51 वें पार्टी स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. हमारी पार्टी के पांच साथियों – पूर्व केन्द्रीय कमेटी सदस्य का. मालेश्वर राव, सन्यासी राव, रामाराव, कामेश्वर राव व दुष्यंत और उपरोक्त अन्य संगठनों के भी कुछ लोागें पर केस दर्ज कर उन्हें थाने में में आकर जमानत लेने की नोटिस दी गई है.