वर्ष - 29
अंक - 1
30-12-2019

मोदी सरकार ने खतरनाक और विभाजक, सांप्रदायिक और असंवैधानिक ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019’ को पार्लियामेंट के रास्ते पास करवा लिया. फिर पूरे देश में एनआरसी कराने का प्रस्ताव किया. पूरे देश में लोग इस विभाजक सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं और बहादुरी के साथ सरकारी दमन का सामना कर रहे हैं.

देश के छात्रों-युवाओं ने अगली कतार में आकर इसका विरोध करते हुए देश को आगाह किया कि एनआरसी-सीएए हमारे देश के संविधान में प्रतिष्ठापित लोकतांत्रिक और समावेशी मूल्यों के लिए खतरा है. गुवाहाटी, काॅटन काॅलेज और डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी के जनसमूह को लामबंद करने से लेकर बंगाल, बिहार, दिल्ली, हैदराबाद, केरल, और उत्तर प्रदेश में व्यापक विरोध प्रदर्शन करने तक देश का अधिकांश हिस्सा हमारे संविधान की रक्षा में खड़ा हुआ है.

जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों को पुलिस के बर्बर दमन से गुज़रना पड़ा. भाजपा शासित राज्यों, विशेषकर उत्तर प्रदेश और असम में विरोध करने वालों का दमन और गिरफ्तारी लगातार बढ़ती गई है.

 सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ छात्रों के संघर्ष को अधिक प्रभावी और व्यापक बनाने के लिए देश भर के 80 से अधिक छात्र, संगठनों ने ‘नेशनल यंग इंडिया को-आर्डिनेशन एंड कंपेन’ के तहत ‘यंग इंडिया अगेंस्ट सीएए, एनआरसी और एनपीआर’ के नाम से एक साझा संघर्ष मंच बनाया है.

24 दिसंबर को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक कार्यक्रम आयोजित कर इसकी घोषणा की गई. कार्यक्रम का संचालन करते हुए जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष एन साई बालाजी ने बताया कि देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कई छात्र संगठन लगातार इस सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं. ऐसे में हम लोगों को आंदोलनरत छात्रों/संगठनों/यूनियनों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर एक समन्वय विकसित करने और इसके क्षेत्र और प्रभाव को बढ़ाने की बहुत जरूरत महसूस हो रही थी. अतः 50 से अधिक छात्र और युवा संगठन जिसमें छात्र यूनियन, सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के आईआईटी संस्थान के छात्र-युवा आंदोलन, राज्यों के विश्वविद्यालय, नागरिक समाज और अन्य दूसरे लोग भारतीय संविधान को बचाने के लिए एकजुट होकर एक साथ आए हैं. हम बताना चाहते हैं कि हम हर मुमकिन तरीके से सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ संयुक्त अभियान के लिए छात्र-युवा नेतृत्व मिलकर ‘यंग इंडिया अगेंस्ट सीएए, एनआरसी और एनपीआर’ नामक एक मंच शुरू कर रहे हैं. हमारा स्पष्ट मानना है कि ‘सीएए’ न सिर्फ मुस्लिम विरोधी है बल्कि सांप्रदायिक और विभाजनकारी भी है. वहीं अखिल भारतीय एनआरसी मुस्लिमों और भारत के गरीबों और वंचितों समेत करोड़ों लोगों को नागरिकता से बेदखल करके उनके नागरिक अधिकारों को छीन लेगी. यह हर समुदाय के गरीब और हाशिए के लोगों को अधिकारविहीन करके उन्हें असुरक्षा के रसातल में फेंक देगी और इसके पहले कदम के तौर पर केंद्र सरकार जो राष्ट्रीय पापुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) ला रही है वह कोई सामान्य जनगणना भर नहीं है, ये नागरिकों को ‘संदिग्ध’ या ‘अवैध नागरिक’ घोषित करने की ओर बढ़ा पहला कदम है.

80 से भी अधिक संगठन हुए शामिल

इस साझा मंच में एम्स स्टूडेंट यूनियन, एआईएसएफ, आइसा, ऑल आदिवासी असम स्टूडेंट यूनियन, ऑल इंडिया अंबेडकर महासभा, ऑल इंडिया रेलवे अप्रेंटिस एसोसिएशन, एएमयू वूमेन्स काॅलेज स्टूडेंट्स, एएमयूएसयू, अनहद-गुजरात, अशोक यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स-दिल्ली, भानू स्टूडेंट्स यूनियन, भारतीय दलित महिला आंदोलन, भारतीय मनरेगा मजदूर यूनियन, भीम आर्मी स्टूडेंट फेडरेशन, भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा-राजस्थान, सीआरजेडी-बिहार, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन-पंजाब, डिब्रूगढ़ स्टूडेंट्स यूनियन, डीएमके स्टूडेंट विंग, डीएसएफ, फातिमा शेख स्टडी सर्कल, एफटीआईआई स्टूडेंट यूनियन-पुणे, ग्लोबल यंग ग्रीन, गोंडवाना स्टूडेंट्स यूनियन, गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी स्टूडेंट -द्वारका, दिल्ली, आईआईएमसी स्टूडेंट एंटी फी-हाइक मूवमेंट, आईआईटी बांबे जस्टिस ग्रुप, आईआईटी गांधी नगर स्टूडेंट्स, जामिया गर्ल्स स्टूडेंट्स, जामिया मिलिया इस्लामिया स्टूडेंट्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी, झारखंड उलगुलान मंच, जेएनयूएसयू, कन्नन गोपीनाथन (रिजाइंड आईएएस अधिकारी), क्रांतिवीर भगत सिंह ब्रिगेड-अहमदनगर, लाॅ स्टूडेंट नेटवर्क फोरम ऑफ ऑल एनएलयूएस, लोकायत-पुणे, माध्यमिक प्रतियोगी मंच, महाराष्ट्र लाॅ स्टूडेंट्स एसोसिएशन, महाराष्ट्र स्टूडेंट्स यूनियन, एनएसीडीओआर, एनएपीएम, निरमा यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स-गुजरात, एनएसयूआई, पटना स्टूडेंट यूनियन कल्चरल सेक्रेटरी, प्रोग्रेसिव डाॅक्टर्स एसोसिएशन, पीआरएसयू, पीयूएसए स्टूडेंट्स यूनियन, राजीव गांधी स्टूडेंट्स यूनियन अध्यक्ष-अरुणाचल प्रदेश, राजीव गांधी यूनिवर्सिटी रिसर्च स्काॅलर्स फोरम-अरुणाचल प्रदेश, आरवाईए, समाजवादी युवाजन सभा, शशिकांत सेंथिल (रिजाइंड आईएएस अधिकारी), स्त्री मुक्ति संग्राम समिति, स्टूडेंट फाॅर चेंज -आईआईटी बीएचयू, स्टूडेंट्स कलेक्टिव -आईआईटी दिल्ली, स्टूडेंट्स काउंसिल आॅफ जिंदल ग्लोबल लाॅ स्कूल-दिल्ली, स्वराज फाॅर इंडिया, तेजपुर यूनिवर्सिटी स्टूडेंट काउंसिल, द ग्रेट भीम आर्मी, टीआईएसएस मुंबई स्टूडेंट यूनियन अध्यक्ष, यूपी एग्रीकल्चरल स्टूडेंट एक्शन कमेटी-सौरभ, युवक क्रांति दल -महाराष्ट्र और एसएफआई आदि समेत करीब 80 से भी अधिक संगठन शामिल हुए है.

सरकार बेरोजगारों का रजिस्टर बनाए, बदहाल स्कूलों के रजिस्टर बनाए

राजीव गांधी यूनिवर्सिटी छात्र संघ के प्रतिनिधि ने कहा कि पूरे देश के एनआरसी का मसला असम से अलग है. त्रिपुरा के आदिवासी अल्पसंख्यक हैं. बंग्लादेश बनने के बाद असम में सबसे ज्यादा बंग्लादेशी लोग देखे गए. इससे हमारी पहचान, हमारी संस्कृति के सामने एक खतरा उत्पन्न हो गया. वहां बड़ा प्रतिवाद हुआ है, चार लोग मरे हैं. मरने वालों में दसवी में पढ़ने वाला एक छात्र भी है और दूसरे समुदाय के लोग भी. मीडिया असम के स्टूडेंट मूवमेंट को नहीं कवर करता. मैं मीडिया से अपील करती हूं कि वो असम मूवमेंट को भी देश के लोगों के सामने रखे.

आरवाइए के प्रतिनिधि नीरज ने कहा कि यह न्यू इंडिया बनाने के लिए यंग इंडिया का आंदोलन है. हमारा संगठन इसके साथ है. हम सरकार से कहते हैं कि वो नागरिकता रजिस्टर न बनाए. अगर उसे रजिस्टर बनाना ही है तो बेरोजगारों का रजिस्टर बनाए. देश के बदहाल स्कूलों के रजिस्टर बनाए.

भीम आर्मी छात्र संगठन के प्रतिनिधि ने कहा कि यह सिर्फ मुसलमान विरोधी ही नही है, यह बहुजन विरोधी भी है. एनआरसी लागू हुआ तो देश के 50 प्रतिशत लोग बाहर होंगे. हम बहुजनों के पास जमीन-जायदाद के कागज नहीं हैं. अगर सरकार जल्द से जल्द ये संविधान विरोधी, बहुजन विरोधी एनआरसी और सीएए को वापस नहीं लेती है तो हम दूसरा ‘भारत बंद’ करेंगे.

तेजपुर यूनिवर्सिटी स्टूडेंट काउंसिल के राहुल छेत्री ने बताया कि पूर्वाेत्तर के सभी विश्वविद्यालयों की ओर से हम सरकार द्वारा  हिंसा की कड़ी निंदा करते हैं. मौजूदा सीएए असम समझौते का उल्लंघन करता है. मोदी जब असम में आए थे तो हमने उनको गमछा दिया था. लेकिन उन्होंने उसका मान नहीं रखा और असम के लोगों के साथ धोखा किया है. अब हम उनसे अपना गमछा वापिस लेना चाहते हैं. असम की आवाज पूरे देश में ले जाइए कि असम की सुबह और शाम में मंदिर का घंटा और अजान दोनो शामिल हैं.

police attact

 

जामिया मिलिया इस्लामिया स्टूडेंट ज्वाइंट एक्शन कमेटी के चंदन ने कहा कि जामिया में 13 और 15 दिसंबर को पुलिस आई. सरकार और पुलिस ने मिलकर इसे ‘कम्यूनलाइज’ करने का प्रयास किया. लेकिन इसके लिए उन्होंने गलत लोगों को चुन लिया. मोदी जी अगर कपड़ों पर जाएंगे तो सारी ‘निक्कर टीम’ तिहाड़ में होगी. एनएसयूआई के नीतीश ने (जिनका पुलिस की लाठीचार्ज में हाथ टूट गया है) बताया कि हम सभी साथी मिलकर तब तक लड़ेंगे जब तक कि वो इस बिल को वापिस नहीं ले लेते.

एसएफआई के प्रतिनिधि ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध क्यों प्रतिबंधित कर दिए जाते हैं. आखिर मोदी जी जेएनयू और जामिया के छात्रों और उनके आंदोलन से क्यों डर रहे हैं? एनआरसी संविधान की बुनियाद के खिलाफ है. लेकिन सीएए लागू होगा तो एनआरसी भी लागू होगा जो हिंदू राष्ट्र के उनके मंसूबे को पूरा करेगा. वे आजीविका और शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे जरूरी मुद्दों से ध्यान भटकाकर हिंदू-मुस्लिम में बांट रहे हैं. एएमयूएसयू अध्यक्ष मेमूना ने कहा कि बिना विपक्ष और विरोध के, बिना द्वंद और विचार के लोकतंत्र नहीं होता. विरोधियों को पकड़ना और यूनिवर्सिटी में घुसना लोकतंत्र के खिलाफ है. संसद से सब कुछ नहीं हो सकता. सरकार के खिलाफ हमें सड़कों पर लगातार संघर्ष करना ही होगा.

आइसा अध्यक्ष कंवलप्रीत कौर ने कहा कि जर्मन छात्र जैकब लिंडेथल, जो कि आईआईटी, मद्रास में भौतिक विज्ञान से मास्टर की पढ़ाई कर रहे थे, उन्हें कैंपस में हो रहे सीएए-एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के बाद तुरंत देश छोड़ने को कहा गया है. ये तानाशाही की हद है. मोदी के कपड़े वाले बयान के बाद सारे छात्र आंदोलन को एक साथ लाने की कोशिश है. देश भर में जितने भी छात्र अंदोलन चल रहे हैं वो एक साथ आकर इस संघर्ष को गति देंगे. हम संविधान और पंथनिरपेक्षता के साथ खड़े हैं. हम साथ मिलकर और बड़े कार्यक्रम लेंगे.

स्वराज इंडिया स्टूडेंट यूनियन प्रतिनिधि ने कहा कि सीएए संविधान के आर्टिकल-15 का उल्लंघन है. यह एक्ट आदिवासियों के खिलाफ काम करेगा और उनको 5वीं व 6वीं अनुसूची से जो छूट मिली है, उससे वंचित कर देगा. डीएमके छात्र संगठन के प्रतिनिधि ने कहा कि सीएए, एनआरसी व सीपीआर  छात्रों के अधिकारों के खिलाफ और भेदभाव करने वाला कानून है. आज विरोध और विचार की अभिव्यक्ति को दबाया जा रहा है. पुडुचेरी यूनिवर्सिटी के स्वर्ण पदक प्राप्त छात्र रबीहा अब्दुरहीम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आतिथ्य वाली दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने से रोका गया. रबीहा ने एनआरसी-सीएए के विरुद्ध छात्र संघर्ष के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए ‘स्वर्ण पदक’ लेने से इन्कार कर दिया था. डीएमके भी छात्र-युवाओं के साथ खड़ी है और हम आखिरी दम तक अपने संविधान प्रदत्त अधिकारों के लिए लड़ेंगे.

निरमा यूनिवर्सिटी स्टूडेंट (गुजरात) के प्रतिनिधि अभिषेक ने कहा कि ‘गुजरात की भूल गुजरात ही सुधारेगा’ – यह आवाज हमारे यहां उठ रही है. हमें गांधी, अंबेडकर, नेहरू और अबुल कलाम अजाद वाला भारत चाहिए, सावरकर और गोडसे वाला हिंदू राष्ट्र नहीं.

समाजवादी युवजन सभा के मोहम्मद निसार खान ने कहा कि हम इस संगठन और आंदोलन के साथ हैं. हम सभी छात्र आंदोलनों में साथ रहे हैं. हमारे यहां यूपी में 15 युवा सपा कार्यकर्ताओं को यूपी पुलिस द्वारा गोली मारी गई और डीजीपी पूरी बेशर्मी से कह रहा कि इन्हें क्राॅस फायरिंग में गोली लगी है. यूपी पुलिस बर्बरतापूर्ण दमन अभियान चला रही है. प्रतिवाद में शामिल रहे आंदोलनकारियों की बड़ी बड़ी फोटो मढ़वाकर चैराहे पर ‘वांटेड’ के तौर पर लगाई जा रही है. किन्तु हमें इससे घबराना नहीं है. महाराष्ट्र स्डूडेंट यूनियन की ओर से कमलाधर ने बताया कि हम लोगों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बातचीत की है, उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि वे महाराष्ट्र में एनआरसी लागू नहीं करेंगे.

निजी यूनिवर्सिटी के प्रोफेशनल कोर्स करने वाले छात्र भी आंदोलन में

अशोका यूनिवर्सिटी स्टूडेंट फोरम के प्रतिनिधि ने कहा कि हम लोगों से कहा जाता है कि प्रोफेशनल कोर्स करने वालों को सक्रिय छात्र राजनीति में नहीं जाना चाहिए. सक्रिय छात्र राजनीति जेएनयू के इतिहास, समाजशास्त्र और साहित्य पढ़ने वाले छात्रों के लिए होती है. मैं बिना किसी बहस में पड़े सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि आज जब हमारे देश और संविधान पर हमला हो रहा है तो हम प्रोफेशनल कोर्स वाले छात्र कैसे चुप बैठ सकते हैं. हमारा संविधान हमें शांतिपूर्ण प्रतिवाद की आज्ञा देता है, लेकिन प्रतिवाद करने पर हमारे काॅलेज के 4 अध्यापकों को हिरासत में ले लिया गया है. कश्मीरी छात्रों को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया है. दिल्ली पुलिस के जो वीडियो मिले हैं उसमें पुलिस वाले सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हुए देखे जा सकते हैं. उन्होंने पूरे देश में 144 लगाया और इंटरनेट बंद कर रखा है.

एडहाॅक टीचर एसोसिएशन की ओर से लक्ष्मण यादव ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री झूठ बोल रहे हैं. पिछले 6 सालों से हम इनके झूठ का ही पर्दाफाश करते आए हैं. वे शिक्षा और रोजगार के मुद्दे छोड़कर अपनी संघी एजेंडों को लागू करने में लगे हुए हैं. छात्रों और मुस्लिम तबके के अलावा एक तीसरा तबका वैचारिक सांस्कृतिक आंदोलन कर रहा है. पूरी लड़ाई संविधान बचाने की लड़ाई है.

एआईएसएफ के जाॅर्ज ने कहा कि ये बिल लोगों  को अधिकार विहीन और घर विहीन कर देगा. हमें छात्रों के बीच एक बड़े संगठन की जरूरत महसूस हुई जो सरकार की नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ सके.

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दिल्ली पुलिस घायल प्रदर्शनकारियों को मेडिकल सेवाएं नहीं देने दे रही है

प्रोग्रेसिव डाॅक्टर्स एसोसिएशन, डीवाईएफआई और मेडिकल असिस्टेंस की ओर से बोलते हुए हरजीत सिंह भट्ठी ने कहा कि हम लोग एनआरसी-सीएए के खिलाफ हैं. ये भारत की छवि के उलट असमानता और भेदभाव करता है. जो भी चेतना संपन्न लोग हैं, इसके खिलाफ हैं. इसके खिलाफ प्रदर्शन करने वालों पर पुलिस ज्यादती कर रही है। पुलिस ने आरएसएस की खाकी निक्कर पहन ली है. अतः हम लोगों ने 4 एंबुलेंस का इंतजाम किया और योजना बनाई कि हम प्रतिवाद स्थलों पर जाकर पुलिस के बर्बरतापूर्ण दमन से घायल होने वाले लोगों को ‘फस्र्ट एड’ और मेडिकल सहायता मुहैया करवाएंगे. हमारी 30 डाॅक्टर और हेल्थकेयर प्रोफेशनल वोलंटियर्स की टीम है। 20 दिसंबर को दिल्ली गेट पर हुए पुलिसिया हमले के बाद पुलिस ने 40-50 घायलों को हिरासत में लिया और दरियागंज थाने में बंद कर दिया. पीड़ितों को मेडिकल सहायता देने के लिए जब हम वहां पहुंचे तो एसएचओ ने कहा कि यहां से भाग जाओ, दंगाइयों को इलाज क्यों करना चाहते हो. फिर हमने कई वकीलों और लोकल नेताओं को बुलाकर दरियागंज पुलिस पर दबाव बनाया. तब जाकर पुलिस ने हमें पीड़ितों के इलाज की अनुमति दी. हमने देखा कि वहां जो 40 से ज्यादा लोग हिरासत में थे, उनमें से 8 नाबालिग (14-17 वर्ष) भी थे. उनमें से दो घायल थे, उन्हें चोट लगी थी. एक 55 वर्षीय व्यक्ति को चोट के चलते पेट और घुटने में दर्द था. इसी तरह जब असम भवन के सामने प्रतिवाद कर रहे लोगों को मेडिकल सहायता देने के लिए हम वहां पहुंचे तो दिल्ली पुलिस ने हमारी टीम के 2 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया. डाॅक्टरों को प्रताड़ित किया गया और अंबुलेंस छोड़कर भाग जाने को कहा गया. यह दिल्ली पुलिस का अमानवीय और भयावह व्यवहार है. यह जेनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है जिसमें कहा गया है कि पीड़ितों को मेडिकल सहायता दी जानी चाहिए चाहे युद्ध ही क्यों न चल रहा हो.

यंग इंडिया कोआर्डिनेशन कमेटी की ओर से एन साई बालाजी ने बताया कि हम नये साल के पहले दिन को इस देश के लोगों के गरिमा और अधिकारों के लिए संघर्ष वर्ष की शुरुआत के तौर पर लेंगे. 1 जनवरी नए साल पर हम संविधान बचाने की प्रतिज्ञा लेंगे और नारा देंगे, – ‘नए साल का संकल्प- संविधान बचाओ.’ 26 जनवरी को, जिस दिन हमारे देश में संविधान लागू हुआ था, हम विरोध मार्च निकालेंगे.