वर्ष - 29
अंक - 4
18-01-2020

चंपारण में ‘संविधान बचाओ’ आंदोलन

पश्चिम चंपाररण जिला जो गुलाम भारत में महात्मा गांधी के नेतृत्व में ब्रिटिश शासकों द्वारा नील की खेती करने को बाध्य किए जानेवाले किसानों के सत्याग्रह आंदोलन की वजह से देश की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, आज देश में उठ खड़े हुए सीएए, एनआरसी व एनपीआर विरोधी आंदोलन में भी कूद पड़ा है.

जिले में इस आंदोलन की शुरूआत विगत 23 दिसंबर को चनपटिया में भाकपा(माले), भाकपा व माकपा आदि वाम दलों के बैनर तले निकाले गए जुलूस से हुआ. इसमें हिन्दू-मुस्लिम दोनों ही समुदाय के लोग शामिल हुए. लेकिन, प्रशासन ने इसे गैरकानूनी बताते हुए मुस्लिम समुदाय के 20 लोगों पर मुकदमा दर्ज कर दिया.

लेकिन, लोगों का हौसला पस्त नहीं हुआ. विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक संगठनों जिसमें भाकपा(माले) व अन्य वाम दलों तथा मुस्लिम व दलित समुदाय के संगठनों की अगुआ भूमिका रही, ‘संविधान बचाओ- देश बचाओ संघर्ष समिति’ का गठन किया. सीएए को रद्द करने व एनआरसी-एनपीआर को वापस लेने की मांग के साथ 27 दिसम्बर को बेतिया के बड़ा रमना मैदान में  एक विशाल जनसभा आयोजित हुई जिसमें अपने-अपने गांवों से जुलूस निकालकर भारी तादाद में लोग निकले. प्रशासन व भाजपा ने इस सभा के बारे में भी सांप्रदायिक दुष्प्रचार चलाया और लाल झंडा लेकर आ रहे हजारों लोगों को रोकने की भी कोशिश की. लेकिन उनको नाकाम करते हुए काफी संख्या में लोग सभा में पहुंच गए और हर तरफ लाल झंडा ही दिखाई देने लगा. भाकपा(माले) की इस भागीदारी से मुस्लिम समुदाय के लोगों का भी हौसला बढ़ा.

‘संविधान बचाओ- देश बचाओ कमेटी’ के संयोजक काजी नेशार साहब सभा की अध्यक्षता में आयोजित हुई इस जनसभा को भाकपा(माले) केन्द्रीय कमेटी सदस्य का. वीरेन्द्र गुप्ता ने भी संबोधित किया और  सीएए-एनआरसी-एनपीआर मुहिम का बहिष्कार करते हुए असहयोग आंदोलन तेज करने का आह्वान किया.  जनसभा ने मोदी सरकार से गैर-संवैधानिक सीएए और एनआरसी को वापस लेने की मांग की तथा सुप्रीम कोर्ट से भी अपील किया कि वह संविधान की मूल भावना की रोशनी में इस कानून को तुरत रद्द करे. असम के डिटेंशन कैम्पों को जल्द से जल्द बंद करने और देश के अन्य हिस्सों में डिटेंशन कैम्प बनाये जाने का फैसले पर रोक लगाने की भी मांग की गई.

सीएए एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ देश भर में जारी प्रतिवाद के बीच, 4 जनवरी 2020 को भाकपा(माले) ने सीएए को रद्द करने तथा एनआरसी-एनपीआर को वापस करने की मांग को लेकर सिकटा के जनता हाई स्कूल मैदान में  ‘संविधान बचाओ-नागरिकता बचाओ-देश बचाओ’ रैली आयोजित किया. 5-7 किमी की दूर से पैदल चलकर नारा लगाते हुए हजारों लोग सभा स्थल पर पहुचें. रैली में बड़ी संख्या में नौजवानों, मजदूरों, किसानों और मुस्लिम समुदाय के लोगों उल्लेखनीय व जोशपूर्ण भागीदारी करते हुए संघ-भाजपा की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ जनता की एकता का स्पष्ट संदेश दिया.

भाकपा(माले) के सम्मानित नेता मो. नजबुद्दीन साहब की अध्यक्षता में हुई सभा को भाकपा(माले) केन्द्रीय कमिटी के सदस्य का. वीरेन्द्र गुप्ता, भाकपा(माले) केन्द्रीय कमिटी के सदस्य व इंसाफ मंच के बिहार राज्य प्रभारी का. नईमुद्दीन अंसारी, इनौस के जिला संयोजक फरहान राजा, खेग्रामस के जिला अध्यक्ष का. संजय राम, किसान महासभा के जिला संयोजक सुनील कुमार राव, आफाक अहमद, हसन माविया, अख्तर इमाम, हरेराम यादव, रामप्रताप पासवान, मुखतार मिया आदि आदि नेताओं ने संबोधित किया. जनसभा ने 9 से 24  जनवरी तक  जिले के सभी प्रखंडों में ‘संविधान बचाओ-नागरिकता बताओ-देश बचाओ’ जन एकता सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव लिया.

इस प्रस्ताव का पालन करते हुए विगत 11 जनवरी 2020 कोशहीद भगत सिंह खेल मैदान, बैरिया में भाकपा(माले) और इंसाफ मंच के बैनर से जन एकता सम्मेलन आयोजित किया गया. कम समय के भीतर की गई तैयारी व खराब मौसम के बावजूद सम्मेलन में सभी समुदाय के लोगों ने अच्छी तादाद में भाग लिया. सम्मेलन को का. सुनील कुमार राव, का. रविन्द्र कुमार रवि, का. सुनील कुमार यादव, छात्र नेता अंसार खान, आइसा जिला संयोजक रेहान, इंसाफ मंच के नेता मुजम्मिल मियां, इनौस के राज्य नेता सुरेन्द्र चौधरी, इंसाफ मंच के नेता अब्दुल करीम साहब, मुखिया संघ के प्रखंड अध्यक्ष नवीन कुमार आदि ने संबोधित किया. सम्मेलन ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित ‘संविधान बचाओ-देश बचाओ’ मानव श्रृंखला को सफल बनाने का संकल्प लिया गया.भाजपा के वर्चस्व वाले इस क्षेत्र में जहां हमेशा ही सांप्रदायिक तनाव पैदा किया जाता रहा है, इस सम्मेलन होना काफी महत्वपूर्ण है.

मुजफ्फरपुर में ‘हमारी आवाज ...’ कार्यक्रम

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15 जनवरी 2020 को मुजफ्फरपुर में इंसाफ मंच की ओर से मेहंदी हसन चौक के नजदीक किला मैदान में हमारी आवाज-हमारा अधिकार-हमारी नागरिकता’ कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसे ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव का. कविता कृष्णन ने भी संबोधित किया.

का. कविता कृष्णन ने कहा कि एनआरसी-सीएए देश के हर नागरिक के लिए आपदा है. सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लारेग ही नहीं, दलित और गरीब भी एनआरसी के दायरे में आएंगे. इसलिए सभी लोगों को सावधान रहने की जरूरत है और एकताबद्ध होकर आंदोलन के छेड़ने के जरिए सरकार को इन कानूनी संशोधनों को वापस लेने के लिए विवश करना उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार एनआरसी को लागू नहीं करने की बात कर रही है उन्हें एनपीआर को भी प्रतिबंधित करने की अधिसूचना जारी करनी चाहिए. सिर्फ असम में एनआरसी पर करोड़ों रुपये खर्च हुए अगर देश भर में यह होता है तो अरबों-खरबों खर्च होंगे. इसे हम किसी भी कीतम पर फिजूल में खर्च नहीं होने देंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार को देश की जनता चुनती है लेकिन एनआरसी, सीएए, एनपीआर आदि के तहत सरकार देश की जनता को चुन रही हीै. इसे जनता कतई बर्दाष्त नहीं करेगी, यह लोकतंत्र व संविधान की हत्या है. दक्षिणी कश्मीर में डीएसपी देविंदर सिंह की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि आज उन्हें दागी बताया जा रहा है. लेकिन इससे पहले वे केन्द्र सरकार के खास मेहमान थे. सरकार व भाजपा से उनके संबंधों का खुलासा होना चाहिए.

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इंसाफ मंच के राज्य उपाध्यक्ष आफताब आलम, प्रो. अरविंद कुमार डे, मौलाना अल्वी अल कादरी, डा. शिवप्रिय, नौसाीन, बुशरा शमशाद, भाकपा(माले) के जिला सचिव कृष्णमोहन, सूरज कुमार सिंह आदि वक्ताओं ने कहा कि पूरा देश एनआरसी-सीएए के खिलाफ सड़कों पर उतरा हुआ है. देश के लोग किसी भी कीमत पर इसे लागू नहीं होने देंगे, इसके लिए चाहे हमें जान भी क्यों नहीं देनी पड़़े. कार्यक्रम का संचालन इंसाफ मंच के नेता असलम रहमानी और स्वागत प्रो. जफर आलम ने किया. कार्यक्रम में  फहद जमां, मुनव्वर आलम, अकबर आलम, जावेद आदि समेत बड़ी संखया में महिला-पुरूष उपस्थित थे.

मिल्लत कालोनी, पटना में कन्वेंशन

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मिल्लत कालोनी की महिलाओं ने ऐपवा नेत्री नसरीन से कहा कि यहां भी हम महिलाओं की एक बैठक होनी चाहिए.  ऐपवा नेत्री ने ऐपवा और इंसाफ मंच की ओर से एक आमंत्रण पत्र छपवाया. महिलाओं ने सक्रियतापूर्वक इसे पूरे मोहल्ले में बांटा. इस तरह 15 जनवरी 2020 को मिल्लत कालोनी (फुलवारीशरीफ, पटना) में महिलाओं का एक कन्वेंशन आयोजित हुआ. दोपहर एक बजे से पहले ही कालोनी के मिल्लत कम्युनिटी हाॅल में 200 के लगभग महिलाएं उपस्थित हो गईं.

कन्वेंशन की शुरुआत करते हुए नसरीन ने कन्वेंशन में आयी हुई महिलाओं का स्वागत किया. इसके बाद, इन महिलाओं से ऐपवा नेताओं – महासचिव का. मीना तिवारी, राज्य सचिव का. शशि यादव व राज्य सह सचिव का. अनीता सिन्हा तथा इंसाफ मंच की साथियों आस्मां व अफ्सां खातून का परिचय कराया गया.

फैज़ अहमद फैज़ के नज्म ‘हम देखेंगे’ के गायन और ‘हम कागज नहीं दिखाएंगे’ कविता के पाठ के साथ बातचीत की शुरूआत हुई. एक छात्रा जेबा ने कहा कि जब देश का बंटवारा हुआ तो हमारे पूर्वजों ने अपनी देशभक्ति दिखाई और इस देश में रहना स्वीकार किया. आज हमसे ही देशभक्ति का सबूत मांगा जा रहा है. तबस्सुम ने कहा कि हम महिलाओं को अपने अंदर आत्मविश्वास लाना होगा इस काले कानून के खिलाफ अंतिम सांस तक लड़ना होगा. साथ ही, हमें महिला उत्पीड़न के सवालों पर भी आगे आना होगा. हमें  महिला संगठन को मजबूत  बनाना होगा. नुसरत और एक दूसरी तबस्सुम ने भी अपनी बातें रखीं. आस्मां व अफ्सां खातून ने भी अपनी बातें विस्तार से रखीं.

ऐपवा महासचिव का. मीना तिवारी ने कहा हमे जिसे ‘साझी विरासत-साझी विरासत’ कहते हैं, वह फातिमा शेख, सावित्री बाई फुले और लक्ष्मी बाई की विरासत है. साझी नागरिकता हम सब की नागरिकता है. का. शशि यादव ने कहा कि सरकार हमसे है, हम सरकार से नहीं हैं. इसलिए, किसी भी कीमत पर, कोई भी कागज, हम इस सरकार को नहीं दिखायेंगे और न ही इस सरकार को यह अधिकार देंगे कि वह हमको चुने. कन्वेंशन के अंत में टीम बनाकर घर-घर जाने, ऐपवा का सदस्यता अभियान चलाने तथा सबको सीएए, एनआरसी, एनपीआर और उसके खिलाफ चल रहे आंदोलन के बारे में बताने की योजना बनाई गई. बैठक की सारा प्रबंध मिल्लत कालोनी की महिलाओं ने खुद जुटाया था. एक महिला साथी ने सभी महिलाओं के लिए बिस्किट -पानी की व्यवस्था की थी. अंत में जोरदार नारों और ‘लड़ेंगे-जीतेंगे’ के संकल्प के साथ कन्वेंशन का पटाक्षेप हुआ.

‘संविधान बचाओ’ संगोष्ठी, मंच का गठन

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संविधान पर मोदी सरकार के बढ़ते हमलों को देखते हुए 12 जनवरी 2020 को हल्द्वानी के इन्द्रा नगर स्थित इरशाद मैरिज हाल में संविधान बचाओ संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में व्यापक विचार विमर्श के बाद मोदी सरकार द्वारा संविधान पर लगातार जारी हमलों के खिलाफ संविधान बचाओ आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया और इसके लिए सर्वसम्मति से ‘संविधान बचाओ मंच’ का गठन किया गया. यह भी तय किया गया कि ‘संविधान बचाओ मंच’ के बैनर तले 18 जनवरी को सीएए-एनआरसी-एनपीआर पैकेज के विरुद्ध धरना आयोजित किया जाएगा.

संविधान बचाओ संगोष्ठी में बोलते हुए भाकपा(माले) के राज्य सचिव का. राजा बहुगुणा ने कहा कि हमारे संविधान में इस बात की गारंटी की गई है कि भारत के लोग वोट देकर अपनी सरकार चुनें और उसे अपने हिसाब से चलायें. संविधान इस बात की इजाजत नहीं देता कि सरकार तय करे कि देश में किन्हें वोट का हकदार माना जायेगा और किन्हें नहीं? धर्म के आधार पर नागरिकता स्वीकार नहीं की जा सकती है. संविधान विरोधी मोदी सरकार राष्ट्रव्यापी विरोध के बावजूद यह बात समझने को तैयार नहीं है और  झूठ व दमन के सहारे अपनी बात मनवाने पर उतारू है.

उन्होंने कहा कि अभी देश जिस तरह की आर्थिक मंदी से जूझ रहा है. अतः देश की अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत थी, न कि धर्म के आधार पर बने नागरिकता कानून की. लेकिन, मोदी सरकार जानबूझकर जनता की मूलभूत आवश्यकताओं से ध्यान बांटने के लिए साम्प्रदायिक कार्ड खेल रही है. जेएनयू में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के संरक्षण में छात्रों-शिक्षकों पर हमला आपातकाल से भी आगे का कदम है. उत्तरप्रदेश में योगी सरकार का मुस्लिमों का एक तरफा बर्बर दमन 2002 के गुजरात की याद दिला रहा है. भारत पर मंडराया यह संकट बहुत ही खौफनाक है. इसका जवाब व्यापक जन एकता से ही दिया जा सकता है.

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अम्बेडकर मिशन के अध्यक्ष जीआर टम्टा ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून हिंदू राष्ट्र की बुनियाद है जिस पर मोदी सरकार एनपीआर और एनआरसी की इमारत खड़ी करना चाहती है. मोदी सरकार आज संविधान की मूल प्रस्थापना ‘धर्मनिरपेक्षता’ से खिलवाड़ कर रही है. यह सरकार बाबा साहब के संविधान को ही, जिसकी शपथ लेकर वह राज कर रही है, तिरोहित करने का काम कर रही है.

जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती शाहिद अजहरी ने कहा कि आज़ादी के आंदोलन से निकला भारतीय संविधान संघ-भाजपा की फासीवादी राजनीति को देश में अमली जामा पहनाने के मंसूबों में सबसे बड़ी बाधा है. इसलिए मोदी सरकार संविधान को ही किनारे करना चाहती है. इसने संविधान के धर्मनिरपेक्ष ढांचे पर चोट करते हुए संविधान विरोधी नागरिकता संशोधन कानून को पारित किया है और देश को गरीब विरोधी सीएए-एनपीआर-एनआरसी का पैकेज की ओर धकेल दिया है.

बड़ी मस्जिद के इमाम सैयद इरफान रसूल व मोहम्मदी मस्जिद के इमाम मौलाना अकरम ने कहा कि जब से यह सरकार आयी है तब से इसके हर निर्णय ने संविधान की धज्जियां उड़ाने का काम किया है. आज संविधान विरोधी मोदी-शाह की सरकार का चौतरफा विरोध वक्त की मांग है.

संगोष्ठी की शुरुआत में सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना का पाठ करके संविधान की शपथ ली गई. इस अवसर पर जेसी बेरी, मुफ्ती शाहिद अजहरी, सैयद इरफान रसूल, मौलाना अकरम, एडवोकेट बसंत कुमार, तस्लीम अंसारी, सरताज आलम, इस्लाम हुसैन आदि ने अपनी बात रखी. इस अवसर पर बहादुर सिंह जंगी ने फैज का तराना ‘दरबारे वतन में जब इक दिन, सब जाने वाले जायेंगे’  गाया. संगोष्ठी की अध्यक्षता जीआर टम्टा ने, स्वागत वक्तव्य पार्षद शकील अंसारी और संचालन डा. कैलाश पाण्डेय ने किया. संगोष्ठी में कुमाऊं विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य एडवोकेट कैलाश जोशी, भीम फोर्स के नफीस अहमद खान, डा. संजय शर्मा, शाहिद हुसैन, विमला रौथाण, नाजिम अंसारी, ललित मटियाली, आरएस कुटियाल, एनडी जोशी, रीता इस्लाम, हरीश भंडारी, सुरेश मुरारी, यशोदा वर्मा, दीपक चन्याल, आरआर आर्य, सरताज जहां, मो. गुड्डू भाई, तैयब अंसारी, नाजिम अंसारी, हबीबुर्रहमान, रईस अहमद, बाबू पेंटर, एजाज अहमद, इरशाद खान, चंद्रा देवी, शहाना, फरयाज, इकराम, फहीम, सिकंदर, निजाम आदि भी मौजूद रहे.

नागरिक एकता मंच का प्रतिवाद

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भिलाई में नागरिक एकता मंच के बैनर तले विभिन्न संगठनों ने एनपीआर-एनआरसी-सीएए को रद्द करने और संविधान, नागरिकता, लोकतंत्र को बचाने की मांग पर 2 जनवरी 2020 को प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में माकपा, भाकपा, जमाते इस्लामी हिंद, भाकपा(माले), ऐपवा, जसम, ऐडवा, सतनामी समाज, मूल निवासी संघ, समता सैनिक दल आदि संगठनों के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया.

सभा से नागरिकता संशोधन कानून को रद्द करने, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाने. एनआरसी को वापस लेने, डिटेंशन केन्द्रों के निर्माण रोकने, शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर दमन और पुलिस प्रताड़ना बंद करने, इंटरनेट को बैन करने, सार्वजनिक प्रदर्शनों को बाधित करने तथा धारा 144 का इस्तेमाल बंद करने. बेरोजगारों का राष्ट्रीय रजिस्टर बनाने और बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की मांग की गई.

सभा में कहा गया कि नागरिकता संशोधन कानून पूरी तरह से साप्रदायिक व असंवैधानिक है जो कि धर्म देखकर तय करेगा कि किसे शरणार्थी बनाया जाए और किसे घुसपैठिया कहा जाए. यह उस भारत के खिलाफ हमला है जिसकी गांरटी हमारा संविधान करता है. यह हमारी बहुलता, हमारी विविधता और हम सबके भाईचारे की संस्कृति और विरासत पर हमला है. इसलिए भारत, हमारा देश नागरिकता कानून में लादे गए भेदभावपूर्वक और विभाजनकारी संशोधनों को कभी स्वीकार नहीं करेगा.

सभा में लोगों ने एनपीआर, एनआरसी और सीएए के  विभिन्न पहुलुओं पर अपनी बात रखी और मोदी सरकार की ‘फूट डालो-राज करो’ की नीति के खिलाफ एकजुट होकर मुकाबला करने की अपील की. बारिश के बीच सम्पन्न हुई सभा को बृजेन्द्र तिवारी, विनोद कुमार सोनी, अशोक मिरी, डीवीएस रेड्डी, राम निहोर, सुरेन्द्र मोहती, आंनद रामटेके आदि ने संबोधित किया.

नौगछिया में प्रतिरोध मार्च

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भाकपा(माले), भाकपा व माकपा ने एनपीआर, एनआरसी और सीएए के खिलाफ 15 जनवरी 2020 को नौगछिया बाजार (भागलपुर) में संयुक्त ‘प्रतिरोध मार्च’ निकाला. मार्च का नेतृत्व भाकपा(माले) के जिला सचिव बिंदेश्वरी मंडल, प्रखंड सचिव रामदेव सिंह, भाकपा के अंचल सचिव सीताराम राय व माकपा नेता अजीत विद्रोही ने किया.

नौगछिया बाजार के सभी प्रमुख मार्गाें से होते हुए यह मार्च वैशाली चौक पहुंचा और वहां एक सभा आयोजित की गई. सभा को नेतृत्वकारियों व अन्य प्रमुख नेताओं ने सम्बोधित किया. कार्यक्रम में गौरीशंकर राय (राज्य सह सचिव, इनौस), कांग्रेस यादव, बिहारी शर्मा, सिकन्दर यादव, राधेश्याम रजक, विनोद शर्मा, खीरो शर्मा, पूरन मंडल, रविन्द्र मिश्रा, अमीर शर्मा, रामचरण मंडल आदि अन्य सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे.