वर्ष - 29
अंक - 13
21-03-2020

गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में घोषणा की कि एनपीआर के दौरान किसी भी नागरिक को संदिग्ध नहीं घोषित किया जायेगा. यह घोषणा इस बात का सबूत है कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ चल रहे आंदोलन कितने जरूरी हैं. शाह ने जानबूझ कर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है. लोगों को संदिग्ध घोषित करने की प्रक्रिया एनपीआर के बाद शुरू होती है. एनपीआर के जरिये जुटाये गये आंकड़ों का इस्तेमाल एनआरसी बनाने के लिए किया जाता है. साथ ही संसद में शाह की घोषणा का कोई कानूनी आधार नहीं है. शाह की घोषणा को कानूनी आधार देने के लिए संसद को नागरिकता संशोधन कानून में बदलाव करना चाहिए और एनपीआर व “संदिग्ध नागरिक” संबंधी सभी उल्लेख हटाये जाने चाहिए.

सरकार को एनपीआर की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगानी चाहिए. कोराना वायरस संकट के कारण तो यह और भी जरूरी हो गया है. साथ ही, एनपीआर के सभी आपत्तिजनक प्रावधानों को हटाने के लिए कानूनी नोटिस जारी करना चाहिए. भाकपा(माले) लोगों से अपील करती है कि जब तक ये मांगें पूरी नहीं हो जातीं एनपीआर की प्रक्रिया के साथ सहयोग न करें. सीएए, एनपीआर और एनआरसी की पूरी परियोजना को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव बनायें.