तमिलनाडु के कई दक्षिणी जिले कई दिनों तक बाढ़ के पानी में पूरी तरह डूबे रहे. इतनी भारी बारिश 1871 के बाद पहली बार देखी गई, लेकिन इसका पूर्वानुमान मौसम विभाग या कोई भी सरकारी एजेन्सी नहीं लगा पायी. अब तक 40 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं और दो लाख एकड़ से अधिक भूमि जलमग्न है. कई दिनों तक बाढ़ का पानी वहीं जमा रहा.
इसी महीने उत्तरी तमिलनाडु के कई जिलों ने मिचौंग चक्रवात का कहर भी झेला था. अब चार जिले— तूतुकुडी, तिरुनेलवेली, तेनकासी और कन्याकुमारी— बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुये हैं. तूतुकुडी में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं जहां कई दिनों तक पहुंच पाना भी सम्भव नहीं हुआ. पानी 10 फीट से ज्यादा उपर बहता रहा जिसमें जल श्रोतों से दो किलोमीटर के दायरे में घरों में पानी भरा रहा. यह हाल तमीराबरनी नदी और सभी नहरों के आसपास रहा.
पूरा कामकाज, व्यापार आदि बिल्कुल ठप्प है, नदी किनारे के सभी घर व झोपड़ियां बह गये हैं, यहां तक कि पक्के घरों में भी भारी नुकसान हुआ है. घरों का सारा सामान, गरीबों और निम्नमध्यम वर्ग के लोगों की जिन्दगी भर की कमाई बाढ़ में बह गई है.
कितना नुकसान हुआ अभी पूरी तरह से बताना सम्भव नहीं है. चौबीस घण्टों तक भारी बारिश होती रही, कई जगहों पर कुल 332 मिलीमीटर तक. सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 28000 एकड़ के अधिक कृषि भूमि और 400 किलोमीटर से ज्यादा सड़कें बरबाद हो चुकी हैं. जो राहत कैम्प बनाये गये हैं वे बेहद नाकाफी हैं.
भाकपा—माले की एक टीम जिसमें पार्टी के तमिलनाडु राज्य सचिव असईतम्बी, आरवाईए के धनवेल, आइसा नेता पाण्डिकुमार शामिल हैं, राहत कार्यों में मदद करने के लिए तिरुनेलवेली गये हैं. उनके साथ राज्य कमेटी सदस्य जी. रमेश और गनेशन भी हैं.
भाकपा—माले ने सरकार से मांग की है कि तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों में आयी बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाय. उसके साथ ही प्रभावितों को भोजन, कपड़े व आश्रय देेने की उचित व्यवस्था, घरों व झोपड़ियों के पुर्ननिर्माण की जिम्मेदारी, स्थिति सामान्य होने तक सभी की आजीविका की व्यवस्था, किसानों के नुकसान का पूरा मुआवजा आदि की सम्पूर्ण व्यवस्था सरकार करे. यह भी मांग की गई है कि विशायकाय निर्माण जिनके कारण बाढ़ की विभीषिका कई गुना बढ़ गई को हटाने की योजना बने और लापरवाही व नाकामी के लिये जिम्मेदार अफसरों व ठेकेदारों को कड़ी सजा मिले. यह भी मांग की गई है कि तमिराबरनी नदी व अन्य नहरों के इर्दगिर्द रहने वाले नागरिकों के लिए स्थिति सामान्य होने तक किसी अन्य जगह पर रहने की वैकल्पिक व्यवस्था इस प्रकार की जाय ताकि उनकी आजीविका पर विपरीत असर न पडे.
इन हालातों में हम सभी से अपील करते हैं कि भाकपा—माले तमिलनाडु बाढ़ राहत कोष में आर्थिक सहयोग एवं राहत कार्यों में हर सम्भव मदद करें.
— भाकपा(माले) केन्द्रीय कमेटी की ओर से - प्रभात कुमार
(22 दिसम्बर 2023)
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