वर्ष - 29
अंक - 24
30-04-2020

27 मई 2020 को ‘किसान बचाओ-देश बचाओ’ नारे के साथ देश के 10,000 से ज्यादा गांवों, टोला, तहसील, ब्लाॅक, कस्बों और जिलों में किसानों का विरोध प्रदर्शन हुआ जिसमें लाखों किसानों ने भागीदारी निभाई. किसान संगठनों ने पूरे देश भर से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन भेज कर कहा कि सरकार किसानों को कर्ज माफी, लाॅकडाउन में बर्बाद फसलों का मुआवजा और कोरोना विशेष पैकेज किसानों और ग्रामीण गरीबों को मुहैया कराए.

300 किसान संगठनों की अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने इस आंदोलन का आह्वान किया था. पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, पुदुच्चेरी, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात इस आंदोलन के मुख्य केंद्र थे. वामपंथ से जुड़े किसान सांगठनों के कार्यकर्ताओं ने देश भर में इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पूरी ताकत झोंकी थी.

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2 महीने से चल रहे लाॅकडाउन के कारण देश भर के किसान परेशान हैं, खेती-बाड़ी में भारी परेशानी आ रही है. उनकी उपज पूरी जरह से बिक नहीं रही है, क्योंकि मंडियां बंद थीं. फसलों की सरकारी खरीद न होने के कारण औने-पौने दामों पर व्यापारियों द्वारा उन्हें लूटा जा रहा है. सरकार द्वारा लाॅकडाउन में किसानों को कोई राहत नहीं दी गई है. ऐसे तमाम सवालों को लेकर किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर देश के 600 से ज्यादा जिलों में 10,000 से ज्यादा स्थानों पर ‘किसान बचाओ-देश बचाओ’ दिवस जोश-खरोश के साथ मनाया गया.

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किसान संघर्ष समन्वय समिति के इस आह्वान को देश भर में भारी समर्थन मिला और जगह-जगह प्रदर्शन हुए. तमिलनाडु किसानों ने इसमें व्यक्तिगत स्तर पर और सोशल मीडिया के माध्यम से भी जमकर भागीदारी की. देश के लगभग सभी राज्यों में समन्वय समिति से जुड़े किसान संगठनों के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री के नाम स्थानीय अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा.

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ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें उठाई गई हैं:

1. किसानों की देखभाल:

  • सभी किसानों के, भूमिहीन किसान व खेत मजदूर समेत, सभी कर्जे माफ करो! सभी पुराने केसीसी कर्ज माफ करो व नए केसीसी कर्ज तुरन्त जारी करो!
  • सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (सी-2 $ 50 फीसदी) की घोषणा करो! सुनिश्चित करो कि इसी दाम पर सारी फसलें खरीदी जाएं व इसके लिए सरकारी खरीद का प्रावधान करो! इन फसलों में दूध, सब्जी, फल व सभी बर्बाद होने वाली फसलें शामिल हों!
  • खेती में लागत के दाम घटाओ! विशेषकर डीजल के दाम 22 रुपये प्रति लीटर के बराबर करो!
  • इस पूरी अवधि के लिए घरेलू, व्यवसायिक व टयूबवेल के बिजली बिल माफ करो!
  • बीज, खाद, कीटनाशक दवा के दाम इस सत्रा में कम से कम 50 फीसदी करो!
  • सभी बटाईदार किसानों का पंजीकरण करो और उन्हें एमएसपी, कर्जमाफी और नए कर्जे, छूट पर मिलने वाली लागत व फसल नुकसानी के सरकारी लाभ मिलने की गारंटी करो!
  • पीएम किसान निधि का भुगतान 18,000 रुपये प्रति वर्ष करो!
  • गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान तुरंत कराया जाए!
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2. गरीबों की देखभाल

  • केवल कार्ड धारकों को 5 किलो अनाज प्रति व्यक्ति प्रति माह देने की नीति बदलो और सब जरूरतमंदों को 15 किलो अनाज और कम से कम 1 किलो दाल, तेल व चीनी प्रति माह उपलब्ध कराओ! यदि 135 करोड़ लोगों को भी 15 किलो अनाज दिया जाएगा तो इसका बोझ मात्रा लगभग 2 करोड़ टन प्रति माह ही पड़ेगा.
  • सुनिश्चित करो कि हर व्यक्ति जिसे काम चाहिए, उसे 6 माह तक मनरेगा के अन्तर्गत काम मिले या कानून के अनुसार इस अवधि का पेमेन्ट मिले! गांव में काम की योजनाएं बढ़ाने के लिए जनता के विकास की नई योजनाएं लाई जाएं! उन सभी मनरेगा कार्डों, जो काम न करके केवल भुगतान उठाते हैं, को रद्द किया जाए और ऐसे नीतिगत परिवर्तन लाए जाएं जिससे मनरेगा काम का लाभ किसानों को मिल सके!
  • कोरोना संकट से उबरने के लिए, इस दौरान हुई जीविका के नुकसान की भरपाई के लिए हर व्यक्ति को 10,000 रुपये प्रति माह पेमेन्ट किया जाए!
  • सारी स्वास्थ्य सुविधाएं तुरन्त चालू कराई जाएं और हर गांव में डिस्पेन्सरी खोली जाए!
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3. प्रवासी मजदूरों की देखभाल

  • सभी ट्रेन व अन्तर्राज्यीय बसें तुरंत शुरू की जाएं ताकि प्रवासी मजदूर घर लौट सकें! इसमें विलम्ब करने से शहरों की बस्तियों में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जाएगा, जैसा कि वर्तमान नीति के अनुभव से स्पष्ट है. जितनी जल्दी वहां से निकलने की छूट मजदूरों को मिलेगी, उतना कम इसका प्रकोप गावों में फैलेगा.
  • हर गांव में सभी प्रवासियों के सर्विलांस और जांच का प्रबंध किया जाए और कोविड की सभी हिदायतों – यानी मास्क पहनना, शारीरिक दूरी बनाए रखना, चेहरे को न छूना व हाथ धोना, आदि – का सामाजिक अभियान चलाया जाए! बर्बर पुलिस दबाव और जनता के बीच से नेताओं को उत्प्रेरित न करने के कारण इन हिदायतों का पालन ज्यादातर नहीं किया जा रहा है.
  • सभी छोटे व्यवसायियों, उत्पादन व स्थानीय परिवहन को तुरंत चालू किया जाए!
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4. सरकार की आर्थिक राहत योजना आपकी सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु कानून व मंडी कानून समाप्त करने, ई-नाम, खेत की दहलीज से बड़े व्यापारियों व व्यवसायिक एजेंटों द्वारा फसलें खरीदने, ठेका खेती शुरू कराने, निजी भंडारण, शीत भंडारण, खाद्यान्न प्रसंस्करण और सप्लाई चेन, आदि में करापोरेटों को बढ़ावा देने से किसानों की बची-खुची स्वतंत्रता भी समाप्त हो जाएगी.

अतः इस बात को गम्भीरता से समझने की जरूरत है कि किसानों की अर्थव्यवस्था ने ही विश्व वित्तीय व आर्थिक संकट के दौरान भारत को कुछ हद तक बचाए रखा है. कोविड से लड़ने का सबसे बेहतरीन तरीका यही है कि देश के खेतों की अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता को सुधारा जाए. हमारा आग्रह है कि उपरोक्त सभी किसान-विरोधी कदमों को रोककर किसान संगठनों से इन पर चर्चा कराएं ताकि इन सबसे देश में खेती की आत्मनिर्भरता को होने वाले नुकसान को रेखांकित किया जा सके.

– पुरुषोत्तम शमा