27 मई 2020 को ‘किसान बचाओ-देश बचाओ’ नारे के साथ देश के 10,000 से ज्यादा गांवों, टोला, तहसील, ब्लाॅक, कस्बों और जिलों में किसानों का विरोध प्रदर्शन हुआ जिसमें लाखों किसानों ने भागीदारी निभाई. किसान संगठनों ने पूरे देश भर से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन भेज कर कहा कि सरकार किसानों को कर्ज माफी, लाॅकडाउन में बर्बाद फसलों का मुआवजा और कोरोना विशेष पैकेज किसानों और ग्रामीण गरीबों को मुहैया कराए.
300 किसान संगठनों की अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने इस आंदोलन का आह्वान किया था. पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, पुदुच्चेरी, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात इस आंदोलन के मुख्य केंद्र थे. वामपंथ से जुड़े किसान सांगठनों के कार्यकर्ताओं ने देश भर में इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पूरी ताकत झोंकी थी.
2 महीने से चल रहे लाॅकडाउन के कारण देश भर के किसान परेशान हैं, खेती-बाड़ी में भारी परेशानी आ रही है. उनकी उपज पूरी जरह से बिक नहीं रही है, क्योंकि मंडियां बंद थीं. फसलों की सरकारी खरीद न होने के कारण औने-पौने दामों पर व्यापारियों द्वारा उन्हें लूटा जा रहा है. सरकार द्वारा लाॅकडाउन में किसानों को कोई राहत नहीं दी गई है. ऐसे तमाम सवालों को लेकर किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर देश के 600 से ज्यादा जिलों में 10,000 से ज्यादा स्थानों पर ‘किसान बचाओ-देश बचाओ’ दिवस जोश-खरोश के साथ मनाया गया.
किसान संघर्ष समन्वय समिति के इस आह्वान को देश भर में भारी समर्थन मिला और जगह-जगह प्रदर्शन हुए. तमिलनाडु किसानों ने इसमें व्यक्तिगत स्तर पर और सोशल मीडिया के माध्यम से भी जमकर भागीदारी की. देश के लगभग सभी राज्यों में समन्वय समिति से जुड़े किसान संगठनों के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री के नाम स्थानीय अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा.
1. किसानों की देखभाल:
2. गरीबों की देखभाल
3. प्रवासी मजदूरों की देखभाल
4. सरकार की आर्थिक राहत योजना आपकी सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु कानून व मंडी कानून समाप्त करने, ई-नाम, खेत की दहलीज से बड़े व्यापारियों व व्यवसायिक एजेंटों द्वारा फसलें खरीदने, ठेका खेती शुरू कराने, निजी भंडारण, शीत भंडारण, खाद्यान्न प्रसंस्करण और सप्लाई चेन, आदि में करापोरेटों को बढ़ावा देने से किसानों की बची-खुची स्वतंत्रता भी समाप्त हो जाएगी.
अतः इस बात को गम्भीरता से समझने की जरूरत है कि किसानों की अर्थव्यवस्था ने ही विश्व वित्तीय व आर्थिक संकट के दौरान भारत को कुछ हद तक बचाए रखा है. कोविड से लड़ने का सबसे बेहतरीन तरीका यही है कि देश के खेतों की अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता को सुधारा जाए. हमारा आग्रह है कि उपरोक्त सभी किसान-विरोधी कदमों को रोककर किसान संगठनों से इन पर चर्चा कराएं ताकि इन सबसे देश में खेती की आत्मनिर्भरता को होने वाले नुकसान को रेखांकित किया जा सके.
– पुरुषोत्तम शमा