वर्ष - 28
अंक - 36
24-08-2019

दोबारा सत्तासीन हुई मोदी सरकार का भंडाफोड़ अभियान को संगठित करने, इसमें व्यापक पार्टी कार्यकर्ताओं को गोलबंद करने एवं एवं ग्रामीण गरीबों और मजदूरों से संबंधित सवालों को उठाते हुए इसे एक जन अभियान का रूप देने के लिए जिले में व्यापक जन भागीदारी के साथ ग्राम सभायें आयोजित करने के एजेंडे के साथ विगत 18 अगस्त को लेस्लीगंज के बौराखाड़ में जिला स्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन आयोजित हुआ. कन्वेंशन में जिले के सभी प्रखंडों से आये करीब 60 चुनिंदा नेता-कार्यकर्ता शामिल हुए. राज्य सचिब का. जनार्दन प्रसाद ने कन्वेंशन को मुख्य वक्ता के बतौर संबोधित किया.

जिला सचिव आरएन सिंह ने कन्वेंशन के एजेंडे को प्रस्तुत किया. कन्वेंशन में रघुबर दास सरकार द्वारा भूमि बैंक बनाने के नाम पर सरकारी गैरमजरूआ जमीन, गरीबों को बंदोबस्त की गई आवासीय व खेती की जमीन और यहां तक कि किसानों की कृषि योग्य रैयती जमीन को भी हड़पने और उसे कारपोरेट घरानों के हवाले करने की साजिश पर विस्तार से चर्चा हुई. यह आशंका व्यक्त की गई कि अगले विधानसभा चुनाव में अगर झारखंड में भाजपा सरकार की वापसी हुई तो जंगल और जमीन पर आदिवासियों व स्थानीय नागरिकों के अधिकार को संरक्षण देने बाले कानूनों - एसटी और एसपीटी एक्ट तथा बन अधिकार कानून आदि को समाप्त कर उन्हें बेदखल कर दिया जायेगा. इस खतरे को देखते हुए भाकपा(माले) को तमाम आदिवासियों, दलितों व अल्पसंख्यकों को गोलबंद करने और इस फासीवादी साजिश के खिलाफ जनता को गोलबंद कर जनान्दोलनों का आंधी-तूफान खड़ा करने का प्रयास तेज करना होगा.   

कन्वेंशन के दूसरे सत्र में जिले में धाक जमाये सामंती बर्चस्व के खिलाफ लड़नेबाली ताकजों को एकजुट करने पर विचार किया गया और राजद व बसपा जैसी पार्टियों व अन्य माले धड़ों आदि दलों के जनान्दोलन के मोर्चे पर बिल्कुल ही निस्प्रभाबी व कमजोर होते जाने की स्थिति में पार्टी को और मजबूत बनाने पर जोर दिया गया. कन्वेंशन ने दलितों-पिछडों में भाजपा के बढ़ते प्रभाव पर रोक लगाने हेतु  ग्रामीण गरीवो को गोलबंद करने और सामाजिक न्याय की सभी ताकतों को भाकपा(माले) के झंडे तले एकजुट करने की कार्य योजना पर भी विचार किया. बांध परियोजनाओं के गलत तरीके से निर्माण के कारण जिले की नदियों का पानी बह कर बिहार में चले जाने के कारण पलामू जिले की स्थाई रूप से अकाल/सुखाड़ ग्रस्तता जैसे जनमुद्दों पर भी विचार किया गया तथा सितंबर- अक्टूबर महीनों में झामस, आइसा, ऐपवा, इनौस आदि जनसंगठनों को शामिल करते हुए व्यापक जनभागीदारी के साथ सैकड़ों ग्रामसभाओं को आयोजित करते हुए एक बड़े जनान्दोलन को खड़ा करने तथा अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी को पूरा करने का प्रस्ताव लिया गया. होगा. राज्य कमिटी सदस्य रवीन्द्र राम, आइसा नेत्री दिब्या भगत व अविनाश आदि ने भी कन्वेंशन को संबोधित किया.

कन्वेंशन में मोदी-शाह द्वारा संघ-भाजपा की सांप्रदायिक फासीवार्दी योजना को लागू करने के प्रयासों, जम्मू-कश्मीर में धारा-370 व 35-ए के खात्मे, कश्मीरी जनता की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर देने व उनको सेना के खौफ के साये में जीने पर मजबूर कर देने तथा की साजिशों पर गहन विचार-विमर्श किया गया.