24 जुलाई की सुबह अरवल जिले के वरिष्ठ पार्टी नेता का. राम प्रवेश दास का निधन हो गया. का. राजेश और महंत जी के नाम से लोकप्रिय का. राम प्रवेश दास की उम्र 73 वर्ष हो चुकी थी. वे सत्तर दशक के उत्तरार्द्ध में पार्टी के साथ जुडे और पूर्णकालिक सदस्य के रूप में काम करते हुए किसान आंदोलन के अगुआ सिपाही बन गए. वे लंबे समय तक पार्टी की जिला कमिटी के सदस्य रहे.
उन्होंने करपी प्रखंड के केयाल, कुबड़ी, कसौटी, पान बिगहा, बम्भई, बसन बिगहा, कुदरासी, कटेसर, चौरम समेत दर्जनों गांवों के सामंतवाद विरोधी आंदोलनों में प्रत्यक्ष भागीदार की इस वजह से वे जनता के दुलारे नेता और सामंतों के आंख की किरकिरी बन गए थे. वे एक साहसी, जुझारू और प्रतिबद्ध पार्टी नेता थे. उन्होंने सामंत हत्यारों की रणवीर सेना के खूनी तथा सरकार द्वारा चलाये गये भीषण दमन चक्र के दौर में भी अपने इलाके में जनता को संगठित रख और उसका मनोबल गिरने नहीं दिया.
1997 से 1999 के बीच एक तरफ सत्ता संरक्षित सामन्तों की रणवीर सेना द्वारा बाथे, शंकर बिगहा, मियांपुर समेत कई गरीबों के जनसंहार किए जा रहे थे, वहीं दूसरी ओर शासक वर्ग द्वारा गरीबों के ऊपर दमन ‘ऑपरेशन कोम्बिंग अभियान’ बदस्तूर जारी था. पर्चे साटे जा रहे थे कि गांव में किसी भी अनजान को नहीं रहने दें. किसी के यहां कोई कुटुम्ब आए उन्हें प्रताड़ित किया जाता था. आने जाने वालों की तलाशी ली जाती थी. जिसके पास कोई पार्टी का पर्चा मिला उसे तुरंत जेल भेज दिया जाता था. उसी दौरान 1999 में, अपने गांव जाने की राह में उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, उनकी बर्बर पिटाई की और कई फर्जी मुकदमों में फंसा कर जेल भेज दिया. वे साल भर ज्यादा समय तक जहानाबाद व भागलपुर जेल में रहे. 2003 में जब अरवल अलग जिला बना तो वे करपी भाग-2 से जिला परिषद के प्रत्याशी बनाए गए. वे भारी बहुमत से विजयी हुए. जनप्रतिनिधि के रूप में उन्होंने गरीब गावों व टोलों में सड़क व सामुदायिक भवन बनाने जैसे कई विकास कार्यों को पूरा करवाया.
का. राम प्रवेश दास की मौत की खबर सुनते ही भारी संख्या में पार्टी नेता, कार्यकर्ता व समर्थक उनके अंतिम दर्शन के लिए अरवल माले कार्यालय पहुंचे. भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद सोन नदी किनारे जनकपुर घाट पर उनको अंतिम विदा दी गई. बारिश होते हुए भी उनकी अंतिम यात्रा में भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया.