वर्ष - 28
अंक - 10
02-03-2019

पुलवामा की दर्दनाक घटना से आज पूरा देश मर्माहत है. लेकिन, भाजपाई इसकी आड़ में देश के भीतर कश्मीरियों व अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ उन्माद भड़काकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकना चाहते हैं. धार्मक उन्माद और सांप्रदायिक नफरत फैलाने के इसी प्रयास के तहत 16 फरवरी को पटना के बुद्ध मार्ग में कश्मीरी समुदाय के दन लोगों पर जानलेवा हमला किया गया जो जाड़े के दिनों में हर साल वुलेन मेला लगाते हैं. इस हमले में तीन लोग बुरी तरह जख्मी हो गए जिनका इलाज पीएमसीएच में चल रहा है. दहशत का माहौल ऐसा बना था कि ये लोग मार खाते रहे, कोई भी उन्हें बचाने के लिए आगे नहीं आया.

इस घटना की खबर पाते ही भाकपा(माले) विधायक दल के नेता का. महबूब आलम, ऐपवा राज्य अध्यक्ष का. सरोज चौबे, पटना नगर के पार्टी सचिव का. अभ्युदय, ऐक्टू नेता रणविजय कुमार व रामबलि प्रसाद, आइसा नेता मोख्तार आदि के नेतृत्व में एक टीम वहां पहुंची. माले दल के वहां पहुंचते ही पीड़ित कश्मीरी नागरिकों ने उन्हें घेर कर अपनी दर्दनाक व्यथा सुनानी शुरू कर दी. इस दौरान एक बुजुर्ग फूट-फूट कर रो पड़े. का. महबूब आलम ने तत्क्षण राज्य के डीजीपी से बात की और इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की. पटना रेंज के डीआईजी ने तुरत घटनास्थल पहुंच कर कश्मीरी समुदाय की सुरक्षा का आश्वासन दिया.

16 फरवरी को पटना यूनिवर्सिटी गेट पर पुलवामा में शहीद हुए जवानों के लिए आयोजित श्रद्धांजलि सभा में आइसा नेताओं ने कहा कि आज पुलवामा घटना के बहाने भाजपा-आरएसएस के द्वारा उन्माद पैदा करने की कोशिश की जा रही है. बहाने कश्मीरियों पर देश के अलग-अलग हिस्सों में हमले किये जा रहे हैं. पुलवामा घटना में हुई सुरक्षा चूक पर बात न करके देश के भीतर तनाव का माहौल बनाया जा रहा है. आइसा नेताओं ने कहा कि आइसा कश्मीरियों पर हो रहे इस हमले के सख्त खिलाफ है और देश की एकता-अखंडता को तोड़ने वाली ताकतों के खिलाफ मजबूती से खड़ा है.

पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के प्रति संवेदना जाहिर करते हुए 17 फरवरी को भागलपुर में भाकपा(माले) ने स्थानीय स्टेशन चौक पर डा. अम्बेदकर गोलम्बर के पास कैंडल जलाकर श्रद्धांजलि दी गई. श्रद्धांजलि सभा में भाकपा(माले) की राज्य कमिटी के सदस्य का. एसके शर्मा, नगर प्रभारी व ऐक्टू के राज्य सचिव मुकेश मुक्त, जिला सचिव बिंदेश्वरी मंडल, नगर सचिव सुरेश प्रसाद साह, आदि शामिल रहे.

माले नेता शहीद रतन ठाकुर के परिजनों से मिले

20 फरवरी को भाकपा(माले) नेताओं के एक दल ने पुलवामा में शहीद जवान रतन कुमार ठाकुर के शोक-संतप्त परिजनों से उनके घर भागलपुर जिले के मदारगंज, रतनपुर (सन्हौला प्रखंड) में जाकर मुलाकात की. टीम में शामिल माले नेताओं-कार्यकर्ताओं ने शहीद के परिजनों व ग्रामवासियों के साथ मिलकर शहीद रतन कुमार ठाकुर की तस्वीर पर माल्यार्पण और दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी.

टीम में भाकपा(माले) की राज्य कमिटी के सदस्य एसके शर्मा, नगर प्रभारी व ऐक्टू के राज्य सचिव मुकेश मुक्त, जिला सचिव बिंदेश्वरी मंडल, जिला कमिटी सदस्य व किसान महासभा के जिला उपाध्यक्ष रणधीर यादव, विजय यादव, बादल तांती व राजू मंडल शामिल थे।

शहीद रतन कुमार ठाकुर के परिवार में उनकी पत्नी राजनंदनी देवी, पुत्र कृष्णा कुमार (3 वर्ष), पिता राम निरंजन ठाकुर, छोटा भाई मिलन कुमार, छोटी बहन नीतू कुमारी सहित कुल पांच सदस्य हैं. ये सभी शहीद रतन कुमार ठाकुर पर ही आश्रित थे. उनकी गर्भवती पत्नी गहरे सदमे में है. पूरे परिवार का रोते-रोते बुरा हाल है. इस गहरे आघात में पूरा गांव शहीद परिवार के साथ खड़ा है। पूरे देश में जहां एक तरफ जवानों के शहादत के बहाने माहौल बिगाड़ने के लिए उन्मादी ताकतें सक्रिय हैं, वहीं शहीद के गांव में गहरी साम्प्रदायिक सद्भावना दिखी। गांव पहुंचते ही टीम की अगुवानी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने की. ग्रामीण युवा मो. मंजूर ने आगे बढ़कर टीम का स्वागत किया और शहीद के घर ले तक ले गये.

शहादत के 6 दिन बीत जाने के बाद भी अब तक सरकार की ओर से शहीद परिवार को कुछ नहीं मिला है, शहीद के पिता ने बताया कि दाह संस्कार के बाद कोई भी प्रशासनिक पदाधिकारी सुध लेने नहीं आया। फोन करने पर स्थानीय डाक्टर पुष्पलता देवी बहु को देखने अवश्य आ जाती हैं। शहीद के पिता दिवाकर सिंह ने सवाल करते हुए कहा कि आतंकी पाकिस्तान से तो आए नहीं थे? सुरक्षा व्यवस्था में चूक हुई है। सुरक्षा व्यवस्था ठीक होती तो ये शहादतें नहीं होतीं. बड़े और पैसे वाले घरों से तो लोग सेना में जाते नहीं. आतंकी हमले का शिकार हमेशा गरीब के बेटों को ही होना होता है. गरीब के बेटों की कुर्बानी कबतक दी जाती रहेगी ?

शहीद के ससुर कमलाकांत ठाकुर ने कहा कि अभी हमारे बेटों की शहादत के बहाने हंगामा किया जा रहा है. सत्ता के खेल में हमारे बेटों की कुर्बानी इस देश की नियति बन गई है। मौत का यह व्यापार बंद होना चाहिए। नफरत फैलाकर आतंकवाद को बढ़ाने के बजाय हमें इसे खत्म करने के बारे में सोचना चाहिए। अर्पण ठाकुर, राहुल कुमार, किशन ठाकुर, सोएब आलम, सुशील कुमार, बिहारी सिंह, राघवेंद्र ठाकुर आदि दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि बरसात में गांव की टूटी-फूटी व जर्जर सड़क घुटने भर पानी में डूबी रहती है. लोगों का चलना मुश्किल हो जाता है। यहां पानी निकासी का कोई साधन नहीं है. गांव में पेय जल की भी घोर कमी है, नीतीश की सात निश्चय योजना शहीद के गांव में पूरी तरह असफल है। भाकपा-माले ने सरकार द्वारा घोषित सहायता राशि अविलम्ब शहीद परिवार को उपलब्ध कराने, उनकी पत्नी और भाई को सरकारी नौकरी देने और उनके गांव को आदर्श ग्राम बनाने की मांग की है.