वर्ष - 31
अंक - 43
22-10-2022

अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा का राष्ट्रीय सम्मेलन 14-15 नवंबर 2022 को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के चंदन नगर में होने जा रहा है. इस अवसर पर पिछले 5 महीनों से पूरे देश में बड़े पैमाने पर खेत मजदूरों-ग्रामीण गरीबों के बीच खेग्रामस व उसके अनुसंगी संगठनों की सदस्यता भर्ती का अभियान चलाया जा रहा है. यहां देश के विभिन्न राज्यों के कुछ प्रमुख जिलों में इस अभियान की एक रपट प्रस्तुत है.

भोजपुर : देर आयद-दुरुस्त आयद

पार्टी राज्य सम्मेलन के बाद नवगठित राज्य कमिटी की बैठक में यह तय हुआ कि खेग्रामस के राष्ट्रीय सम्मेलन के मद्देनजर मई-जून महीने में खेग्रामस का सदस्यता अभियान चलाया जाए. साथ ही, यह भी निर्णय लिया गया कि खेग्रामस के सदस्यता अभियान के साथ ही पार्टी सीएम भर्ती, पार्टी लेवी तथा सभी पार्टी सदस्यों से 20 रुपया के हिसाब से महाधिवेशन कोष का संग्रह करना है और साथ ही साथ पार्टी मुखपत्र ‘समकालीन लोकयुद्ध’ के वार्षिक ग्राहक भी बनाने हैं. यह माना गया कि इन सारे कामों को एक साथ करना ही ठीक है क्योंकि ये सारे काम गांव में ही जनता के बीच जाकर करने थे और इस कार्यभार के जरिये ही निचले स्तर के तमाम पार्टी ढांचों व खेग्रामस की कमेटियों को भी सक्रिय किया जा सकता है. लेकिन, चूंकि जन संगठनों की स्थिति भी पार्टी कमेटियों पर निर्भर है तथा भयंकर गर्मी और शादी-ब्याह के सघन मौसम की स्थिति में इससे व्यवहारिक भी जटिलता पैदा हुई. ठीक से न तो खेग्रामस का सदस्यता अभियान चला और न ही अन्य दूसरे कार्यभारों को पूरा करने की दिशा में कोई खास गति दिखी.

पार्टी जिला कमेटी की बैठक में खेग्रामस की सदस्यता का जो प्रखंडवार लक्ष्य तय करते हुए जिला स्तर पर 2,50,000 सदस्य बनाने का लक्ष्य लिया गया. खेग्रामस जिला कमिटी की भी बैठक की गई तथा तय किया गया कि सभी प्रखंडों में खेग्रामस की कमेटियों की जायेगी और साथ ही सदस्यता अभियान के लिए सभी प्रखंडों में प्रखंड स्तर पर कैडर कन्वेंशन भी आयोजित किये जायेंगे. भयंकर गर्मी तथा शादी-ब्याह की व्यस्तताओं और इन सभी कार्यभारों को एक साथ पूरा करने के दबाव की वजह से सदस्यता अभियान प्रभावित हुआ. डेढ़ महीने (15 जून) तक पूरे जिले में मात्र 52,000 खेग्रामस सदस्यता ही पूरी हो पाई. लेकिन उसमें भी यह देखा गया कि जिन प्रखंडों में ठीक से योजना बनाई गई और जहां सभी जिला कमेटी व प्रखंड कमेटी सदस्य स्वयं ही सदस्यता अभियान में लगे वहां की प्रगति अच्छी रही. इसलिए कहा जा सकता है कि शादी-ब्याह और गर्मी का मौसम नहीं, सदस्यता अभियान की धरमी गति का मूल मामला ‘राजनीतिक’ था. जहां-जहां जनता के बीच बैठकों के जरिए इस अभियान की महत्ता को समझाया गया तथा इस बात को स्थापित करना संभव हुआ कि भाजपा-आरएसएस के फासीवादी हमले से न सिर्फ वर्तमान लोकतंत्र को बचाने बल्कि जनता का वास्तविक लोकतंत्र बनाने के लिए सभी गरीबों का संगठित होना और प्रतिरोध करना जरूरी है, वहां इस अभियान को चलाने में काफी सफलता मिली. अभियान के दौरान जिन घरों में पुरुष बाहर थे महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर अपने परिवार के लोगों का नाम दर्ज करवाया.

खेग्रामस सदस्यता अभियान के दौरान आवास योजना, वृद्धावस्था पेंशन और राशन कार्ड में धांधली आदि ही लोगों की प्रमुख समस्या व सवाल के रूप में सामने आई. किसी भी सरकार ने अभी तक जनता की इन बुनियादी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. इसलिए सभी पार्टियों व सरकारों से जनता में नाराजगी दिखी. प्रथम दौर में अधिकांश जिला कमिटी और प्रखंड कमिटी सदस्यों के साथ-साथ कोई भी जन नेता व जन प्रतिनिधि इस अभियान में गंभीरता से नहीं लगे. इस स्थिति को देखते हुए जिले के पार्टी राज्य कमेटी सदस्यों तथा जिला स्थायी समिति की बैठक की गई और वहां तय किया गया कि सभी राज्य कमेटी सदस्य 5 हजार और जिला कमेटी सदस्य 3 हजार खेग्रामस सदस्यता खुद से बनायेंं और प्रखंडों में केंद्रित होकर प्रखंड स्तर पर योजना बनाने और उसे लागू करने में प्रत्यक्ष भागीदार बनें. सदस्यता अभियान ने इसके बाद ही गति पकड़ी और 30 जून तक करीब एक लाख सदस्य बनाए गए.

जब यह महसूस किया गया कि सदस्यता अभियान में एक गति पैदा हो गई है तो इसे रोक देने के बजाय अगले 15 दिनों तक जारी रखने का निर्णय लिया गया. इस अवधि में 30 हजार और सदस्य बने. इस तरह जिले में कुल मिलाकर एक लाख 30 हजार के करीब सदस्य बनाए गए.

सदस्यता अभियान की सभी प्रखंडों में समान गति नहीं रही. कुछ प्रखंडों में ही हम लक्ष्य के करीब पहुंच पाये जबकि कुछ महत्वपूर्ण प्रखंडों में भी लक्ष्य से काफी दूर रहे. राज्य कमेटी, जिला कमेटी और प्रखंड कमेटी सदस्यों को इसकी जिम्मेदारी देने का भी अच्छा नतीजा सामने आया और इसकी गति बढ़ी.

तरारी विधानसभा में सहार को छोड़कर तरारी और पीरो वाले इलाके में सदस्यता लक्ष्य से काफी कम सदस्य बने. अपने विधानसभा क्षेत्र में सदस्यता अभियान चलाने में जन प्रतिनिधियों की भी भूमिका कोई उल्लेखनीय नहीं रही. अगिआंव विधानसभा क्षेत्र में अंतिम समय में कुछ गति आई लेकिन तब भी हम वहां लक्ष्य से काफी दूर रहे.

खेग्रामस का सदस्य बनने व बनाने में जनता के बीच कोई हिचक नहीं थी और न ही कोई अन्य समस्या. जहां भी बैठक कर अभियान चलाया गया, लोग उत्साहपूर्वक सदस्य बने. बल्कि देखा तो यह गया कि इस मामले में पार्टी व संगठन के नेतृत्वकारियों में ही समस्या रही. मैं खुद भी संदेश प्रखंड में सदस्यता अभियान में लगा. वहां 15 जून तक मात्र 1,750 सदस्य ही बने थे लेकिन जब प्रखंड कमेटी में ठीक से योजना बनाई, सदस्यता अभियान चलाने के लिए इलाका व पंचायत वार अलग-टीम बना दी गई और अभियान चलाया गया तो 15 जुलाई तक ग्यारह हजार से ऊपर सदस्य बनाये गये. और, बाद में जब यह तय हुआ कि अन्य सभी कामों को छोड़कर पहले केवल खेग्रामस का सदस्यता अभियान ही चलाया जाये तो इस पर और भी जोर पड़ा. जिन प्रखंडों के पार्टी सचिवों ने खुद भी ज्यादा मेहनत की तथा ठीक से योजना बनाई, वहां हम सम्मानजनक सदस्यता का लक्ष्य हासिल कर पाये.

इस दौरान जो ढांचागत कमजोरी बाधा बनी वह थी विभिन्न प्रखंडों में खेग्रामस का अलग ढांचा का नहीं होना. खेग्रामस की जिला कमेटी तो है और समय-समय पर उसकी बैठकें भी होती हैं लेकिन ज्यादातर प्रखंडों में जो कमेटी है वह सिर्फ कहने के लिए है, कारगर नहीं है. सतही कार्यशैली व आदेश-निर्देश पर काम चलाने वाली प्रवृत्ति ने भी इस अभियान में बाधा उत्पन्न की. ग्राम बैठकें भी कम ही आयोजित हो सकीं. जहां-जहां प्रखंड व पंचायत स्तरीय टीम बनाकर अभियान चलाया गया, सफलता वहीं ज्यादा मिली और जहां कमेटी द्वारा सिर्फ कोटा तय कर पंचायतों पर बांट दिया गया वहां सघन अभियान नहीं चला. अपने राजनीतिक आधार के साथ ही बाहरी आधार के गरीब लोग भी सदस्य बने. इसलिये सभी कार्यभारों को एक ही समय में अभियान चलाकर पुरा करने के फैसले पर भी आगे से विचार करना होगा.

खेग्रामस सदस्यता अभियान से गरीबों को संगठित करने में काफी बल मिला है. अब आगे ग्राम व पंचायत कमेटियां बनाकर उन तमाम गरीबों को संगठित ताकत के रूप में खड़ा करने तथा उनके सभी ज्वलंत सवालों पर जुझारू आंदोलन करने की योजना बनानी होगी.
– जवाहर

चंदौली : बदल रही है प्रदेश की राजनीति

अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा का राष्ट्रीय सम्मेलन 14-15 नवंबर 2022 को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के चंदन नगर में होने जा रहा है. इस अवसर पर पिछले 5 महीनों से पूरे देश में बड़े पैमाने पर खेत मजदूरों-ग्रामीण गरीबों के बीच जाने का कार्यक्रम चलाया जा रहा था. इस दौरान खेग्रामस तथा भाकपा(माले) द्वारा स्थानीय मुद्दों पर पहलकदमी लेने व केंद्र तथा राज्य से आए आह्वान को लागू करते हुए छिटपुट तरीके से खेग्रामस की सदस्यता भी चलाई जा रही थी.

इसी बीच, राष्ट्रीय सम्मेलन से पहले उत्तर प्रदेश में खेत मजदूर संगठन का राज्य सम्मेलन कर लेने का निर्णय लिया गया. इसके बाद ही खेत मजदूरों के बीच सदस्यता अभियान तेज करने का विचार पैदा हुआ. खेत मजदूरों व ग्रामीण गरीबों के बीच संगठन का सदस्यता अभियान कैसे तेज गति से चलाया जाये, इस मुद्दे पर चंदौली में पार्टी जिला कमेटी की बैठक में गंभीर विचार-विमर्श किया गया और विगत 22 से 28 सितंबर के बीच एक अभियान चलाकर ग्रामीण गरीबों के बीच जाने व उन्हें खेग्रामस का सदस्य बनाने का निर्णय लिया गया. यह भी तय किया गया कि पार्टी जिला कमेटी के सभी सदस्यों प्रत्यक्ष रूप से इस अभियान में लगेंगे.

चंदौली जिले में कुल 9 ब्लॉक हैं और कमोबेश सभी ब्लॉक में भाकपा(माले) की मौजूदगी है. यह तय किया गया था कि सभी जिला कमेटी सदस्य अपनी-अपनी टीम बनाकर सदस्यता अभियान में लगेंगे. इस गाइड लाईन के तहत जिले के 9 ब्लॉक में से  6 ब्लॉकों में कुल 6 टीमें बनाई गईं. खेत मजदूर सभा के नेताओं, पार्टी के ब्लॉक सचिव तथा प्रभारी ने इन टीमो का नेतृत्व किया.

बहरहाल, 22 सितंबर से सदस्यता अभियान शुरू हआ. शुरूआत में टीम को संगठित करने और उसे संचालित करने में कुछ समस्याएं जरूर आईं  पार्टी ब्लॉकों के सचिव अथवा इंचार्ज ने हल करते हुए टीम को लगातार चलाने की कोशिश की. कुल 7 दिन के तय किए गए अभियान में सिर्फ 5 दिन ही हम अभियान को चला पाये.

पार्टी जिला सचिव कामरेड अनिल पासवान तथा खेग्रामस जिला संयोजक कामरेड रामायण राम की ओर से अलग-अलग ब्लॉकों में खेत मजदूर संगठन का सदस्यता अभियान चला रही टीमों के प्रभारियों से रिपोर्ट ली जाती रही तथा उनके द्वारा बताई गई दिक्कतो को हल करने तथा अभियान के दौरान उठ रही वैचारिक बहसों का जवाब खोजने के लिए आपस में विचार-विमर्श किया जाता रहा.

जिले के 9 ब्लॉकों में से 6 ब्लॉकों में सदस्यता अभियान में लगी टीमों ने 5,100 सदस्यता बनाई. अगर बाकी बचे 3 ब्लॉकों में भी टीम बनाकर सदस्यता अभियान चलाया गया होता तो शायद यह संख्या करीब 7 हजार पहुंच सकती थी. इसे हमने कमजोरी के बतौर चिन्हित किया.

यह महसूस किया गया कि अगर कम समय का अभियान पूरी ताकत से चलाया जाए तो अधिकतम व सम्मानजनक परिणाम लेकर आया जा सकता है. इन छह टीमों के जरिये हम जिले के 60 गांवों के करीब डेढ़ हजार परिवारों तक अपनी पहुंच बना पाये. यह भी पाया गया कि पिछले 4 महीनों में छिटपुट तरीके से हम जितनी सदस्यता कर पाये थे, उससे ज्यादा हमने इन 5 दिनों में में ही कर लिया.

चंदौली जिले में खेत मजदूर संगठन के कुल 8, 625 सदस्य बने हैं. सदस्यता के दौरान जब हम खेत मजदूरों व ग्रामीण गरीबों की बस्तियों में गए और हमने देखा कि बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति में लोगों द्वारा सदस्यता चला रही हमारी टीमों का स्वागत किया गया और हर्ष के साथ खेत मजदूर सभा का सदस्य बन अपने हक अधिकार की लड़ाई को लड़ने के लिए तैयार होते हुए पार्टी में भी शामिल होने की इच्छा जाहिर की गई.

उत्तर प्रदेश में समाज के दलित-गरीब हिस्से के बीच बहुजन समाज पार्टी ने अपनी जगह बनाई हुई थी. आज उस जनाधार का बसमा से मोहभंग होता दिख रहा है. हमने यह महसूस किया कि हमें बड़े पैमाने पर इनके बीच जाकर उन्हें खेत मजदूर तथा ग्रामीण गरीब संगठन से जोड़ते हुए पार्टी में लाया जा सकता है.

– अनिल पासवान