वर्ष - 28
अंक - 41
28-09-2019

14 सितम्बर 2019 को मुजफ्फरपुर जिला के बागमती नदी के क्षेत्र में स्थित गायघाट प्रखंड कार्यालय पर ‘चास-वास-जीवन बचाओ बागमती संघर्ष मोर्चा’ के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने धरना दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम प्रखंड विकास पदाधिकारी को मांग-पत्र सौंप कर वर्ष 2017 में विनाशकारी बागमती बांध परियोजना की समीक्षा के लिए गठित रिव्यू कमेटी को अधिकार-संपन्न व गतिशील बनाने, रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट आने तक बांध निर्माण व तटबंध को और ऊंचा करने की योजना को स्थगित रखने, बांध निर्माण के कारण हुए सैकड़ों विस्थापित परिवारों के पुनर्वास व मुआवजा की गारंटी करने की मांग की गई.

धरना-सभा को संबोधित करते हुए पटना से आये जाने-माने नदी विशेषज्ञ व सामाजिक कार्यकर्ता रंजीव कुमार ने कहा कि बागमती को बांधो नहीं बल्कि इसके जल को पीने व सिंचाई के योग्य बनाओ, जिससे जल संरक्षण भी होगा और कृषि भी उन्नत होगी. उन्होंने कहा कि आजादी के पहले सभी नदियों को मिलाकर मात्र 150 किलोमीटर पर तटबंध था, तब बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 25 लाख हेक्टेयर था, लेकिन आज सभी नदियों को मिलाकर 3400 किलोमीटर पर तटबंध है, लेकिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का क्षेत्रफल घटने के बजाए 80 लाख हेक्टेयर हो गया है. बांध वरदान नहीं, अभिशाप बन गया है.

भाकपा(मालेद) की केन्द्रीय कमेटी सदस्य मीना तिवारी ने कहा कि सीतामढ़ी व मुजफ्फरपुर के जिस क्षेत्र में पिछले कई वर्षों में लोगों के भारी विरोध के बावजूद जबरन बांध का निर्माण करवाया गया है उस क्षेत्र में हजारों परिवार विस्थापित ही नहीं हुए हैं, बल्कि बाढ़ के दौरान दर्जनों जगह पर बांध टूटने के कारण जान-माल की भारी क्षति हुई है. खेतीबाड़ी बर्बाद हो गई है. बागमती क्षेत्र की जनता जब बांध निर्माण को विनाशकारी समझ कर विरोध कर रही है तो सरकार जबरन क्यों बांध बनवाने पर अड़ी हुई है? स्पष्ट है कि सरकार बागमती क्षेत्र की जनता के हित में नहीं, बल्कि बड़ी-बड़ी ठेका कंपनियों, ठेकेदारों, नौकरशाहों और राजनेताओं को फायदा पहुंचाने में जुटी हुई है. उन्होंने कहा कि इस विनाशकारी बागमती बांध निर्माण परियोजना को हर हालत में इस क्षेत्र की जनता को आंदोलन के बल पर रोकना होगा. हमारी पार्टी आपके साथ खड़ी है.

बागमती संघर्ष मोर्चा के संयोजक व किसान नेता जितेन्द्र यादव ने कहा कि बागमती क्षेत्र के हजारों लोगों के द्वारा कई वर्षों से जारी आंदोलनों तथा वर्ष 2017 में पटना में आयोजित जन-सुनवाई, जिसमें प्रसिद्ध नदी विशेषज्ञ दिनेश मिश्र सहित कई विशेषज्ञों व सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया था, के दबाव तथा माले विधायकों द्वारा विधान सभा में सरकार की घेराबंदी के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रिव्यू कमेटी की घोषणा की थी, लेकिन सरकार की मंशा साफ नहीं थी. रिव्यू कमेटी को अधिकार-संपन्न व गतिशील बनाने के मामले में सरकार ने कुछ भी नहीं किया और रिव्यू कमेटी को अपनी मौत मरने को छोड़ दिया गया. और अब नीतीश कुमार ने रिव्यू कमेटी से बिना राय-मशविरा किये बागमती बांध को और ऊंचा करने की घोषणा कर दी है. यह बागमती क्षेत्र के लाखों लोगों के साथ धोखाधड़ी है जिसे इस क्षेत्रा की जनता कतई स्वीकार नहीं करेगी तथा आंदोलन और तेज होगा. हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग करते हैं कि रिव्यू कमेटी को अधिकार-संपन्न बनाया जाए तथा रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट आने तक बागमती बांध पर निर्माण कार्य को रोके रखा जाये. सरकार से हमारी यह भी मांग है कि अभी तक बांध निर्माण से हुए विस्थापित परिवारों के पुनर्वास व मुआवजा की गारंटी की जाए.

अखिल भारतीय किसान महासभा भी बागमती संघर्ष मोर्चा के आंदोलन का समर्थन करते हुए अपने बैनर तले धरना में शामिल हुआ तथा पिछले महीने आई बाढ़ से हुई जान-माल की बर्बादी व फसल क्षति मुआवजा देने की मांग पर जोर दिया. बाढ़ के बाद पूरा क्षेत्र सुखाड़ की चपेट में है, अतः इसे सुखाड़ग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग भी उठाई गई.