27 नवंबर को बिन्दुखत्ता की एक युवती के साथ हुए दुष्कर्म के आरोपी की 12 दिन बाद भी गिरफ्तारी नही होने के विरोध में ऐपवा व भाकपा(माले) ने क्षेत्र की जनता के साथ जुलूस निकालकर लालकुआं थाने का घेराव किया. शहीद स्मारक पर हुई सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा संयोजिका का. विमला रौथाण ने कहा कि लालकुआं पुलिस प्रशासन बिन्दुखत्ता की दुष्कर्म पीड़िता व उसके परिवार के प्रति गैर-जिम्मेदार व असंवेदनशील बना हुआ है. दुष्कर्म की यह घटना 27 नवंबर को घटित हुई और 30 नवंबर को इसका एफआइआर दर्ज हुआ. लेकिन, 11 दिन बीत जाने पर भी पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार नही किया.
भाकपा(माले) के जिला सचिव का. कैलाश पांडेय ने कहा कि इसी ढीले ढाले रवैये का परिणाम है कि महिलाओं के प्रति अपराध व दुष्कर्म के मात्र 24% मामलों में ही अपराधी को सजा मिल पा रही है. बाकी 76% प्रतिशत अपने राजनीतिक-धनबल के प्रभाव से बच निकल रहे है. ऐसा ही राजनीतिक संरक्षण बिन्दुखत्ता के इस मामले में भी आया है जहां कुछ छुटभैये नेता आरोपी के पक्ष में खड़े होकर पीड़िता के परिवार पर ही दवाब में डालने की कोशिश कर रहे हैं. महिलाओं के प्रति इस पुरुषवादी नजरिए के खिलाफ लड़ना भी बहुत जरूरी है.
पीड़ित महिला के परिजनों ने अपना दुख व्यक्त करते हुए कहा कि पुलिस एक बार भी पीड़िता की हालत जानने के लिए नही आई. जबकि, पीड़िता को काउंसलिंग व चिकित्सकीय सुविधा देना प्रशासन की जिम्मेदारी है. आरोपी द्वारा जान से मारने व बदनाम करने की धमकी देने के बावजूद पुलिस प्रशासन ने न तो कोई सुरक्षा उपलब्ध कराई और न ही आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर की जा रही कार्यवाही से अवगत कराया.
जूलूस जब लालकुआं थाना पहुंचा तो वहां मौजूद सीओ ने आरोपी द्वारा आत्मसमर्पण की जानकारी दी. प्रतिनिधिमंडल ने आरोपी के आत्मसमर्पण का लिखित सबूत मांगते हुए अपराधी द्वारा पीड़िता को ब्लैकमेल करने के मामले को भी संज्ञान में लेने और एफआइआर में दर्ज करने, पीड़िता के स्वास्थ्य की उचित चिकित्सकीय व्यवस्था करने, घटनास्थल लालकुआं होटल के प्रबंधन की भूमिका की जांच करने, पीड़िता को निर्भया फण्ड से सहायता देने, विवेचना अधिकारी के असहयोगपूर्ण रवैये की जांच कराने की मांग की और चेतावनी दी कि अगर पुलिस-प्रशासन ऐसा ही ढीला ढाला रवैया रखेगा तो और भी आंदोलन खड़ा किया जाएगा. अंचलाधिकारी ने इन बिंदुओं पर कार्यवाही का आश्वासन दिया.
घेराव व प्रदर्शन में बसंती बिष्ट, मंजू, कुसुम पन्त, रेणु, नीमा जोशी, लीला देवी, जानकी, दीपा, चंपा, कमला देवी, नरूला देवी, हेमा देवी आदि समेत भारी संख्या में महिलाएं और दर्जनों माले नेता मौजूद थे.