उत्तर प्रदेश में भाकपा(माले) ने अपनी प्रदेश कमेटी की सदस्य व ऐपवा नेता जीरा भारती पर मिर्जापुर में हुए जानलेवा यौन हमले के खिलाफ 4 जुलाई को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया. ऐपवा ने भी इसी दिन उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में प्रतिवाद किया. पार्टी ने हमलावरों को अतिशीघ्र गिरफ्तार करने, महिला व दलित उत्पीड़न के मामलों में त्वरित कार्रवाई कर न्याय दिलाने, दबंगों-अपराधियों को सत्ता-संरक्षण पर रोक लगाने, लोकतांत्रिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे हटाने और पुलिस उत्पीड़न रोकने की मांग की. कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए हर जिले में पार्टी नेताओं ने विरोध प्रदर्शन के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा.
1 जुलाई को शाम करीब छह बजे कामरेड जीरा भारती (खेग्रामस की राष्ट्रीय परिषद सदस्य) मिर्जापुर से अपने घर जा रही थीं. घर से कुछ पहले पटेहरा में सामंती लम्पटों ने हमला किया. प्राइवेट पार्ट पर लात मारी. गंभीर चोट आई. घटना स्थल पर लगभग आधे घंटे बाद पुलिस पहुंची. एक घंटे बाद एम्बुलेन्स भी. पटेहरा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्राथमिक इलाज हुआ. संबंधित थाना मड़िहान में तहरीर देने पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय बहानेबाजी की. हमलावर पक्ष भी मैनेज करने में लगा रहा. पार्टी द्वारा एसपी-डीएम को इस पूरी घटना की जानकारी दी गई. चोटिल होने के बावजूद का. जीरा भारती एफआईआर दर्ज कर हमलावरों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर थाने में पार्टी साथियों के साथ देर रात तक डटी रहीं.
राज्यव्यापी आह्वान पर राजधानी लखनऊ में लालकुआं पार्टी कार्यालय, चिनहट, इंदिरानगर, गोमतीनगर, आशियाना व अलीगंज में माले कायकर्ताओं ने घरों से विरोध प्रदर्शन किया. बाद में पार्टी प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्ट्रेट में सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन दिया. राज्य के कई अन्य जिलों में माले व ऐपवा ने सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया.
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि योगी सरकार ने कानून-व्यवस्था के नाम पर दबंगों-माफिया-अपराधियों को खुली छूट दे रखी है, जिससे वे बेखौफ होकर दलितों, महिलाओं और कमजोर वर्गों पर जुल्म कर रहे हैं. मिर्जापुर में गरीबों की आवाज, संघर्षशील दलित महिला, लोकप्रिय माले नेता व पूर्व लोकसभा प्रत्याशी जीरा भारती पर सामंती लम्पटों ने जानलेवा हमला किया. गंभीर रूप से चोटिल अवस्था में भी एफआईआर दर्ज कराने के लिए सुश्री भारती को नाकों चने चबाने पड़े, क्योंकि हमलावरों के दबाव में पुलिस उन्हें टरकाती रही और कार्रवाई के बजाय मामले पर दिनभर लीपापोती करने का प्रयास करती रही. यह दिखाता है कि योगी राज में महिलाओं, दलितों पर हमले का एफआईआर भी दर्ज कराना मुश्किल है; अपराधियों, दबंगों की गिरफ्तारी तो और भी मुश्किल. बहरहाल, जनदबाव में अगले दिन देर शाम एफआईआर दर्ज हुआ, हालांकि घटना के तीसरे दिन तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई. सुश्री भारती की गंभीर चोटों की जांच व इलाज के लिए मिर्जापुर अस्पताल प्रशासन ने वाराणसी रपेफर कर दिया, लेकिन एम्बुलेंस तक मुहैया नहीं कराई.
नेताओं ने कहा कि इसी तरह, चंदौली के चकिया में गत 30 जून को भाकपा(माले) व खेत मजदूरों के नेता कामरेड विदेशी के घर पर चढ़कर पत्नी व परिवार की महिलाओं पर शरीरिक हमला करने की घटना में मुख्य अभियुक्त जिला पंचायत सदस्य महेंद्र राव को पुलिस बचा रही है. पुलिस ने मुख्य अभियुक्त का नाम एफआईआर में शामिल ही नहीं किया और उसके इशारे पर दबाव बनाने के लिए पीड़ित परिवार के खिलाफ भी फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया.
लखनऊ के अलावा मिर्जापुर, सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, गोरखपुर, देवरिया, बलिया, प्रयागराज, रायबरेली, अयोध्या, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, मथुरा आदि जिलों में भी विरोध प्रदर्शन हुआ.
पार्टी राज्य सचिव सुधाकर यादव ने बनारस में प्रतिवाद में हिस्सा लिया और जांच-इलाज के लिए पुलिस देखरेख में वहां पहुंचीं जीरा भारती से मुलाकात की. ऐपवा प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने भी का. जीरा से वहां भेंट की और उनका हालचाल लिया. मिर्जापुर में केंद्रीय समिति सदस्य मो. सलीम, सोनभद्र में राज्य समिति सदस्य शंकर कोल, चंदौली में राज्य स्थायी समिति सदस्य अनिल पासवान, गाजीपुर में जिला सचिव रामप्यारे, मऊ में वसंत कुमार, आजमगढ़ में वरिष्ठ नेता जयप्रकाश नारायण व ओमप्रकाश सिंह, देवरिया में श्रीराम कुशवाहा व ऐपवा नेता गीता पांडेय, इलाहाबाद में राज्य समिति सदस्य कमल उसरी, अयोध्या (फैजाबाद) में अतीक अहमद, लखनऊ में जिला प्रभारी रमेश सेंगर, सीतापुर में पार्टी सचिव अर्जुन लाल व ऐपवा जिलाध्यक्ष सरोजिनी, लखीमपुर में ऐपवा प्रदेश उपाध्यक्ष आरती राय, जालौन में राजीव कुशवाहा, मथुरा में जिला प्रभारी नसीर शाह ने मुख्य रूप से विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया.