बिहार के कई जिलों में पुनः लाॅकडाउन की घोषणा के बावजूद ऐपवा ने 10 जुलाई को दर्जन भर से अधिक जिलों में स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति के बैनर तले समूह की महिलाओं की मांगों पर प्रदर्शन करके डीएम को ज्ञापन सौंपा. सिवान में सोहिला गुप्ता, गोपालगंज में रीना सिंह, मोतिहारी में सलेकुन्निसा, रोहतास में अरुण सिंह, जमुई में हेमा झा, गया में रीता गुप्ता, सहरसा में बीना देवी, मुजफ्फरपुर में निर्मला सिंह ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया एवं ज्ञापन सौंपा.
पटना के दीघा में प्रदर्शन किया गया एवं कंकड़बाग में समूह की महिलाओं की बैठक की गई. दीघा में ऐपवा की राज्य सह-सचिव अनिता सिन्हा, भाकपा(माले) नेता जितेंद्र कुमार, पिंकी देवी व रुबी देवी ने आंदोलन का नेतृत्व किया. कंकड़बाग में अनुराधा सिंह, मंजू देवी, रेणु देवी ने बैठक को संचालित किया.
दरभंगा जिले में भीषण बारिश के बीच लहेरियासराय धरनास्थल पर धरना दिया गया जिसका नेतृत्व ऐपवा जिला अध्यक्ष साधना शर्मा, जिला सचिव शनिचरी देवी, रसीदा खातून, ऐपवा बहादुरपुर प्रखंड अध्यक्ष सुनीता देवी व सचिव चानमुनि देवी ने किया. रसीदा खातून की अध्यक्षता में आयोजित सभा को भाकपा(माले) जिला सचिव बैद्यनाथ यादव, राज्य कमिटी सदस्य अभिषेक कुमार, जिला स्थायी समिति सदस्य अशोक पासवान, जिला कमिटी सदस्य शिवन यादव आदि ने सम्बोधित किया.
इस मौके पर ऐपवा की राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे एवं स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति की इंचार्ज रीता गुप्ता ने कहा कि कोरोना के समय में सरकार ने जिस राहत की घोषणा की है, उसमें बड़े-बड़े पूंजीपतियों के लाखों-करोड़ों के कर्जे कई तरीके से माफ कर रही है. पहले भी कई बार पूंजीपतियों का अरबों रुपयों का कर्ज माफ होता रहा है. एसएचजी की महिलाएं सरकारी कार्यक्रमों को लागू करने में रीढ़ का काम करती हैं, सरकार उनका कर्ज क्यों नहीं माफ कर सकती. आज जब उनके घर में खाने तक को नहीं है, तो वे कर्ज अदायगी कहां से करेंगी?
उन्होंने कहा कि बिहार में कई प्राइवेट बैंक और माइक्रो फायनांस कम्पनियां महिला समूह बनाकर कर्ज देने और फिर भारी ब्याज समेत किश्त बांधकर कर्ज वसूलने में लगी हैं. यहां महिलाओं को पता भी नहीं होता कि कितना ब्याज लिया जा रहा है. उन्हें एक कर्ज को चुकाने के लिए दूसरा कर्ज लेना पड़ता है. धरना के माध्यम से जिला पदाधिकारियों को 7-सूत्री मांगपत्र सौंपा गया.
– सरोज चौब