झारखंड के रांची जिले में पाँचपरगना किसान आंदोलन के नेता शहीद परमेश्वर सिंह मुण्डा के 31वें शहादत दिवस 4 जुलाई 2020 को भाकपा(माले) ने संकल्प दिवस के रूप में मनाया. लाॅकडाउन की वजह से बुण्डू (काॅलेज मोड़) स्थित प्रतिमा में माल्यार्पण व नुक्कड़ सभा ही हो सकी. फिर शहीद कामरेड परमेश्वर सिंह मुंडा के पैतृक गाँव हुमटा में एक संकल्प सभा का आयोजन किया गया. साथ ही राहे प्रखंड के इडिसेरेंग में भी शहीद कामरेड परमेश्वर सिंह मुंडा को याद किया गया. हुमटा में पंचायत स्तरीय गोलबंदी की गयी. शहीद साथी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई. सभा की शुरूआत शहीद गीत के साथ हुई. संकल्प सभा संबोधित करते हुए भाकपा(माले) राज्य सचिव जर्नादन प्रसाद ने कहा कि अर्थव्यवस्था मजबूतीकरण के नाम पर मोदी सरकार ने देश को खोखला कर दिया है. कोरोना महामारी के दौर में आम गरीब-मजदूरों को राहत देने के बजाय अपनी तिजोरी भरने में लगी हुई है. कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए सुरक्षा किट, उपकरण, चिकित्सा केन्द्रों को समृद्ध करने के बजाय राजनीतिक खेल में लगे रहे. योजना विहीन लाॅकडाउन से सैकड़ों लोगों की जानें चली गयीं. कोरोना पूंजीवादी बीमारी है जिसे अमीरों के चलते गरीबों को झेलना पड़ रहा है. सरकार गरीबों को मदद के लिए खाते में 10 हजार रुपये देने से कन्नी काटती रही है. राष्ट्रभक्ति को अंधभक्ति में बदल दिया गया है. जनता के जरूरतों को पूरा करने में सरकार विफल रही है. झारखण्ड में प्राकृतिक संपदा को कंपनियों के हाथों गिरवी रखा जा रहा है. पाँचपरगना के हर गांव को परमेश्वर सिंह मुण्डा के आंदोलन के मुद्दों से जोड़ना होगा.
जिला सचिव भुवनेश्वर केवट ने कहा कि लाॅकडाउन का अघोषित आपातकाल की तरह उपयोग करते हुए मोदी सरकार ने कोयला-खनिज को लूट के लिए कामर्शियल माइनिंग का फैसला लिया है. जिसके खिलाफ मजदूर आदिवासी सड़कों पर हैं. देश की सम्पति को बेचना कहीं से राष्ट्रवाद नहीं है. सरकार मोदी जी नहीं बल्कि पर्दे के पीछे से अडानी-अंबानी जैसे कारपोरेट कंपनियां सरकार चला रही हैं. कोल ब्लाॅक आबंटन का फैसला इसी कड़ी में है. पाँचपरगना सचिव जगमोहन महतो ने कहा कि जल-जंगल-जमीन, खान-खदान की कारपोरेट लूट के खिलाफ संघर्ष तेज करना ही परमेश्वर जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी. सभा का संचालन भीष्म महतो व धन्यवाद ज्ञापन सुखदेव मुण्डा ने किया. सभा को मुख्य रूप से मोहन दत्ता, गौतम मुण्डा, जगन्नाथ उरांव, रामेश्वर मुण्डा, लखिमनी मुण्डा, सिमैला देवी, अमलकांत महतो, ठाकुरा मुण्डा, कालीपद मुण्डा ने सम्बोधित किया. दुलाल मुण्डा, सदानंद लोहरा ने जनवादी गीत प्रस्तुत किये.
– जगमोहन महतो