जिला चंपावत (उत्तराखंड) के सीएमओ द्वारा आशाओं को काम पर वापस लिया जाना आशाओं के आंदोलन की जीत है. गौरतलब है कि चम्पावत की 264 आशाओं को अपने काम का दाम मांगने के कारण निकाल दिया गया था. जिसके पश्चात आशाओं ने राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ दिया था.
ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री डा. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि आशाओं के राज्यव्यापी आंदोलन के दबाव में चम्पावत की आशाओं को काम पर बहाल करने का आदेश जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि अब सरकार को कोरोना योद्धा आशाओं को दस हजार रुपए लाॅकडाउन भत्ता देने की तत्काल घोषणा करनी चाहिए और बिना वेतन के काम कर रही आशाओं को मासिक वेतन देने की घोषणा करनी चाहिए.
3 जुलाई को आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन द्वारा केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय आह्वान पर विरोध दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया और आशाओं के मुद्दों को उठाया गया. विरोध कार्यक्रम हल्द्वानी, नैनीताल, गरमपानी, बेतालघाट, चम्पावत, पिथौरागढ़, बेरीनाग, गंगोलीहाट, थल, डीडीहाट, कनालीछीना, मूनाकोट, बाजपुर, काशीपुर, गदरपुर, अल्मोड़ा, स्याल्दे, भिकियासैंण, सल्ट, रानीखेत, ताड़ीखेत, द्वाराहाट, बागेश्वर, कपकोट आदि स्थानों पर किया गया और चम्पावत जिले में अपना हक मांग रही आशाओं की बर्खास्तगी का आदेश वापस लेने समेत तमाम मांगें उठाई गईं.
इस अवसर पर यूनियन पदाधिकारियों ने कहा कि अपनी न्यायसंगत मांगों को उठाने वाली आशाओं के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है – चम्पावत जिला प्रशासन ने 264 आशाओं को निकालने के आदेश जारी किए हैं और उधमसिंहनगर समेत अन्य जिले में भी ऐसी आशाओं की लिस्ट तैयार हो रही है जो अपने काम का मेहनताना मांग रही हैं. यदि ऐसी कार्यवाही की गई तो इसके खिलाफ पूरे प्रदेश की आशाएं एकजुट होकर लड़ेंगी.
6 जुलाई को भी इन्हीं मांगों पर विभिन्न आशा यूनियनों ने संयुक्त रूप से पूरे राज्य में धरना-प्रदर्शन संगठित किया जिसमें बड़ी संख्या में आशाएं मौजूद रहीं.