विगत 3 जुलाई 2020 को समूचे देश के ट्रेड यूनियन संगठनों व विभिन्न फेडरेशनों ने मोदी सरकार की मजदूर विरोधी, जन विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. देश के कोयला क्षेत्र के मजदूरों ने सरकारी नीतियों के खिलाफ 2 से 4 जुलाई तक हड़ताल की, ऑर्डनेन्स (प्रतिरक्षा उत्पादन) फैक्ट्रियों के कर्मचारी आन्दोलन की तैयारी कर रहे हैं और करोड़ों की संख्या में बेरोजगारी और भुखमरी की मार झेल रहे प्रवासी मजदूर रोजी-रोटी को लेकर परेशान हैं.
इस दिन दिल्ली में विभिन्न जिलों के श्रम कार्यालयों के अलावा रफी मार्ग पर स्थित श्रम शक्ति भवन पर 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों से जुड़े राष्ट्रीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ऐक्टू के राष्ट्रीय महासचिव राजीव डिमरी ने कहा कि मोदी सरकार लाॅकडाउन के आड़ में मजदूरों के सारे अधिकार छीनने के साथ-साथ, जनता की संपत्ति को निजी हाथों में बेच रही है. उन्होंने कहा रेल, कोयला, डिफेंस, बीमा जैसे महत्वपूर्ण सेक्टरों में निजी कंपनियों को लूट की छूट दी जा रही है. ऐक्टू उन सभी बहादुर मजदूरों को सलाम करता है, जिन्होंने कोयला क्षेत्र को अपनी एकता के बल पर पूरी तरह से बंद कर दिया.
मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ में प्रवासी मजदूरों को राशन के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. लाकडाउन के चलते करोड़ों मजदूरों की नौकरियां चली गई और मालिकों द्वारा वेतन भी हड़प लिया गया. राजधानी दिल्ली तक में कई सरकारी विभागों के कान्ट्रैक्ट कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं मिला. उन्होंने कहा कि कई मजदूर सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए तो कइयों ने श्रमिक ट्रेनों में जान गवा दी, अब तो भुखमरी और गरीबी से परेशान कई मजदूर आत्महत्या करने तक को मजबूर हैं!
कामरेड डिमरी ने कहा सफाई कर्मचारियों, स्कीम वर्कर्स और स्वास्थ्य कर्मचारियों से बिना ‘पीपीई’ के काम कराया जा रहा है. मोदी सरकार नफरत-हिंसा और राज्य दमन का सहारा लेकर मजदूरों की एकता को तोड़ने और उन्हें डराने की कोशिश कर रही है. हमें इसके खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना होगा. प्रदर्शन के उपरान्त श्रम मंत्री संतोष गंगवार को ज्ञापन भी सौंपा गया. प्रमुख मांगों में सभी प्रवासी मजदूरों को 7500 रुपए प्रतिमाह भत्ता, निजीकरण-कारपोरेटीकरण पर रोक आदि शामिल थे.
इस दिन देश भर में कई जगह प्रदर्शनकारी ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता और आंदोलनकारी मजदूर गिरफ्तार किये गए. कोलकाता के रानी राशमनि रोड से ट्रेड यूनियन के नेताओं को प्रदर्शन शुरू होने से पहले ही पुलिस ने उठा लिया और लाल-बाजार थाना ले गई. चित्तरंजन में रेल कारखाना मजदूरों ने भी आज के प्रदर्शन में हिस्सा लिया. इलाहाबाद के सिविल लाइन्स पर ट्रेड यूनियनों ने पुलिस-बल की भारी तैनाती के बीच संयुक्त प्रदर्शन किया. जिसमें रेल कर्मचारियों ने भी भागीदारी की.
बिहार के लगभग सभी जिलों में जोरदार प्रदर्शन हुए. इन प्रदर्शनों में आशा, रसोइया व निर्माण मजदूरों ने प्रमुख भूमिका निभाई. पटना के डाक बंगला चौराहा पर प्रधानमन्त्री मोदी का पुतला पफूंका गया और संयुक्त सभा की गई. गोपालगंज में बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ के नेतृत्व में दरभंगा के सिघवलिया पीएचसी में, मुजफ्फरपुर के गायघाट पीएचसी में ट्रेड यूनियनों का संयुक्त प्रदर्शन आयोजित किया गया. रोहतास के तिलौथू में भी कार्यक्रम हुआ.
तमिलनाडु के कई हिस्सों में मजदूरों ने आज के कार्यक्रम में हिस्सा लिया. आन्ध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में भी ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया. आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम, विशाखापत्तनम, येल्लेश्वरम, ईस्ट गोदावरी इत्यादि जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए.
गुजरात के वलसाड जिले में तालुका उमरगांव के मालखेत क्षेत्र में आल गुजरात जनरल मजदूर सेवा संघ (सम्बद्ध ऐक्टू) एवं तमाम मजदूर संगठनों की ओर से मोदी सरकार की जन-विरोधी नीतियों के विरोध में कार्यक्रम किया गया. कार्यक्रम की अगुवाई का. मोहनभाई खोखरिया, का. हरेशभाई, का. विष्णु भाई तथा का. बनिता बेन आदि कर रहे थे. महाराष्ट्र में पालघर, दहाणू जिले के बानगांव, जम्बाला इत्यादि जगहों पर प्रतिवाद हुए. इन प्रतिवादों में 3 जुलाई की अखिल भारतीय हड़ताल और 2-4 जुलाई की त्रिदिवसीय कोयला हड़ताल की मांगें उठाई गईं.
ऐक्टू से जुड़े मजदूर साथियों ने राजस्थान के उदयपुर, चित्तौड़, अजमेर, जयपुर, झुंझनु आदि जिलों में प्रदर्शन कियाउत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, पांडिचेरी, झारखंड आदि राज्यों में भी ऐक्टू से जुड़ी यूनियनों ने कहीं स्वतंत्र तो कहीं अन्य ट्रेड यूनियनों के साथ संयुक्त प्रदर्शन किए. हड़ताल के समर्थन में हरियाणा में के कई जिलों व ब्लाॅकों में प्रदर्शन किया गया.
त्रिपुरा के उदयपुर में तथा असम के गौहाटी, तिनसुकिया, डिब्रूगढ़ आदि विभिन्न जिलों में भी प्रदर्शन आयोजित किये गये. उड़ीसा के गुनुपुर व रायगड़ा जिलों में धर्मघाट और गुडारी प्रखंड में कार्यक्रम किये गये. जम्मू में भी ऐक्टू ने इस दिन प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित किया.
पंजाब में 3 जुलाई को ऐक्टू के राज्य अध्यक्ष के. राजविंदर राणा और राज्यस्तरीय नेता कृष्णा चौहान, सीटू के राज्य नेता कुलविंदर उदित, सीटू (पंजाब) के लीडर मेजर सिंह, पंजाब प्रदेश पल्लेदार यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष शिंदरपाल चकेरियन, स्कूल वैन एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष करमजीत सिंह मनसा और पंजाब किसान यूनियन के राज्य सचिव गुरनाम भीखी के नेतृत्व में नई अनाज मंडी में मोटरसाइकिलों की विशाल रैली का निकाली गई और कारों, जीपों, ट्रैक्टरों, स्कूल वैनों के बड़े काफिले को रवाना किया गया. बस स्टैंड पर पहुंचकर डीजल व पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि, श्रम कानूनों में मजदूर-विरोधी संशोधनों, किसान-विरोधी अध्यादेश और करोना महामारी के मद्देनजर मोदी द्वारा अघोषित आपातकाल लगाने के खिलाफ मोदी का ताबूत जलाया गया तथा केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए गए.
सभा को संबोधित करते हुए ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा कि एसएडी-बीजेपी गठबंधन को तेल की बढ़ती कीमतों, श्रम कानूनों में संशोधनों और देश में किसान विरोधी तीन अध्यादेशों तथा अघोषित आपातकाल लागू करने के खिलाफ पंजाब की जनता के हित में सामने आना चाहिए. श्रीमती बादल को किसानों, मजदूरों और पंजाब के हित में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर एसएडी-बीजेपी गठबंधन सामने नहीं आया, तो सुखबीर बादल को तेल की कीमतों के खिलाफ जनता को मूर्ख बनाना बंद कर देना चाहिए. नेताओं ने मांग की कि लाॅकडाउन के महीनों के दौरानए बिजली के बिल, स्कूल की फीस और ऋण की किस्तें माफ की जानी चाहिए. नेताओं ने कहा कि अगर मजदूर-विरोधी और किसान-विरोधी फैसलों को वापस नहीं लिया गया और तेल की कीमतों में कमी नहीं की गई तो मेहनतकश लोग गांवों और शहरों में एसएडी-बीजेपी गठबंधन के खिलाफ अपना आंदोलन तेज करेंगे.
रैली और सभा में का. गुरजंट सिंह मानसा, रणजीत सिंह तामकोट, नरिंदर कौर, बुर्ज हमीरा, क्रांतिकारी युवा सभा के नेता बिंदर अलख, दर्शन पंधेर, काका सिंह, शहीद भगत सिंह एम्बुलेंस यूनियन के निर्मल नीमा, प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष धन्ना मल्ल गोयल, डीटीएफ के जिला अध्यक्ष गुरपीर सिंह कोटली, मुस्लिम मोर्चा पंजाब के अध्यक्ष हंस राज मोफ्फर, पंजाब टैक्सी यूनियन के जिला अध्यक्ष सुखदेव सिंह आदि ने भाग लिया.
उत्तर प्रदेश में इस दिन संयुक्त ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय आह्वान पर विभिन्न जिलों में जगह-जगह विरोध कार्यक्रम किए गए. लखनऊ में केंद्रीय ट्रेड यूनियन महासंघों -- ऐक्टू, सीटू, ऐटक, इंटक, एचएमएस से जुड़ी यूनियनों के मजदूरों ने उपश्रमायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री व मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन उपश्रमायुक्त के माध्यम से भेजा. वहां पर हुई सभा को अन्य नेताओं के अलावा ऐक्टू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य चंद्रभान गुप्ता, जिला संयोजक मधुसूदन मगन व निर्माण मजदूर यूनियन के जिला अध्यक्ष नौमीलाल ने संबोधित किया. कानपुर में दादानगर में ऐक्टू से जुड़ी यूनियनों के मजदूरों ने विरोध सभा की. शहर में महासंघों से जुड़ी यूनियनों ने मानव शृंखला बनाकर विरोध किया और उपश्रमायुक्त कार्यालय पर सभा करके ज्ञापन दिया. ऐक्टू की तरफ से सभा को जिला उपाध्यक्ष एसएएम जैदी व जिला सचिव राना सिंह ने संबोधित किया.
रायबरेली जिले में संयुक्त महासंघ यूनियनों की तरफ से जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया गया. प्रदर्शन-सभा को ऐक्टू के प्रदेश अध्यक्ष तथा जिला मजदूर यूनियन संघर्ष समिति के संयोजक कामरेड विजय विद्रोही ने संबोधित किया. सभा को एच.एम.एस. नेता अरविंद राठौर, इंटक नेता डी.एस. मिश्रा ने भी सम्बोधित किया. इसके अलावा का. हरिकेश के नेतृत्व में रेल कोच कारखाने में इंडियन रेलवे इंप्लाईज फेडरेशन ने प्रर्दशन किया. ऐक्टू से संबद्ध होम एप्लायंस यूनियन ने भी विरोध सभा की. संविदा बिजली कर्मचारी नेता श्रीराम यादव के नेतृत्व मे प्रदर्शन किया गया तथा होम अपलाएंस ऐशेसियेशन के नेता रियाज अहमद के नेतृत्व मे प्रदर्शन किया गया.
गाजीपुर जिले में भाकपा(माले), किसान महासभा तथा खेग्रामस की तरफ से कई केंद्रों पर धरना दिया गया. जमानियां तहसील पर प्रर्दशन व सभा कर ज्ञापन दिया गया. सभा को किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा ने संबोधित किया. गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ, गोरखपुर, अयोध्या, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, जालौन आदि जिलों में खेग्रामस समेत संयुक्त महासंघ की यूनियनों की तरफ से धरना प्रदर्शन करके ज्ञापन भेजा गया.
इलाहाबाद में महासंघों से जुड़ी संयुक्त यूनियनों की तरफ से सिविल लाइंस चौराहे पर प्रर्दशन व सभा की गई. सभा को इंडियन रेलवे इंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड मनोज पाण्डेय, एक्टू के राष्ट्रीय सचिव कमल उसरी व जिला अध्यक्ष ने संबोधित किया.
राजस्थान के उदयपुर में इस दिन केन्द्रीय श्रमिक संगठनों के सयुक्त आह्वान पर केंद्र सरकार के गरीब मजदूर कर्मचारी विरोधी रवैये के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के तहत कलेक्टर कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया गया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया. सभा को संबोधित करते हुए ऐक्टू राज्य सचिव सौरभ नरुका ने कहा कि लाॅकडाउन अवधि में देश में करीब 14 करोड़ लोगों का रोजगार जा चुका है और इस समय बेरोजगारी दर 27 प्रतिशत है. जो मजदूर देश के लिये उत्पादन कर जीडीपी का निर्माण करते हैं और देश को सेवायें उपलब्ध कराते हैं अचानक उनको बेकार, भूख से पीड़ित और पूरी तरह से दया पर जीने को मजबूर होना पड़ा. लाखों प्रवासी श्रमिकों को सैकड़ोंझारों किलोमीटर पैदल चल कर घर जाने को मजबूर होना पड़ा. इसकी जिम्मेदार पूरी तरह से नरेन्द्र मोदी सरकार की है. कोरोना वारियर्स को थाली-ताली से धन्यवाद देने को प्रधानमंत्री से हम पूछना चाहते है क्या अगली कतार मे काम करने वाली आशा-आंगनबाड़ी-सफाई कर्मचारियों को आप नियमित करेंगे और सरकारी कर्मचारी का दर्जा देंगे?
सीटू के जिला अध्यक्ष राजेश सिंघवी ने कहा केन्द्र सरकार आपदा को अवसर बनाने के नाम पर सरकारी व सार्वजनिक संस्थानों की संपति परिसम्पतियों को निजी हाथों में बेचने पर लगी है. दूसरी तरफ लाकडाउन का आर्थिक बोझ देश के गरीबों मजदूरों पर डाला जा रहा है. ऐटक के जिला अध्यक्ष सुभाष श्रीमाली ने कहा कि केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय आपदा अधिनियम का उपयोग विरोध को दबाने, राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगाने तथा राज्य सरकारों को अपने नियंत्रण में किया है. इस तानाशाही और मजदूर अधिकारों पर हमले के खिलाफ देश की जनता को एकजुट होना होगा. सभा को इंटक के वरिष्ट उपाध्यक्ष सतीश व्यास ने भी सम्बोधित किया.
इस देशव्यापी प्रतिवाद की प्रमुख मांगें थीं:
1. कोयला खदानों की नीलामी वापस लो!
2. रेलवे, कोल, भेल, सेल, बीएसएनएल, डिपफेंस, बैंक, बीमा सहित सार्वजनिक क्षेत्र का विनिवेशीकरण व निजीकरण बंद करो!
3. देश के प्राकृतिक संसाधनों को कारपोरेट को सौंपना बंद करो!
4. श्रम कानूनों को स्थगित करने का फैसला रद्द करो!
5. काम के घण्टे 8 से बढ़ाकर 12 करने का आदेश वापस लो!
6. प्रवासी मजदूरों के वेतन व रोजगार की गारंटी करो!
7. मनरेगा में 200 दिन काम और मजदूरी 500 रुपया प्रतिदिन दो!
8. डीजल, पेट्रोल की मूल्यवृद्धि वापिस लो!
9. दस हजार रुपया लाकडाउन भत्ता प्रतिमाह दो!
10. कोरोना की आड़ में जनविरोधी व राष्ट्र-विरोधी फैसले थोपना बंद करो!