वर्ष - 29
अंक - 9
15-02-2020

आजमगढ़ के बिलरियागंज कस्बे के मौलाना जौहर अली पार्क मे 4 फरवरी 2020 को सीएए/ एनआरसी/ एनपीआर के विरोध में महिलाओं ने शांतिपूर्ण धरना शुरू किया था जिसमें मासूम बच्चे और वृद्ध महिलाएं भी शामिल थीं. 4-5 फरवरी को आधी रात के बाद करीब 3 बजे शांतिपूर्वक धरना कर रहीं महिलाओं पर पुलिस प्रशासन ने बर्बरतापूर्वक दमन किया, पुलिस द्वारा लाठीचार्ज व आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां दागी गईं जिसमें कई महिलाएं घायल हुंई और एक वृद्धा अभी भी अस्पताल में गम्भीर अवस्था में भरती है. उसके बाद निर्दोष लोगों की  गिरद्धतारी की गई  जिसमें नाबालिग छात्रों से लेकर 65 साल तक के मरीज शामिल हैं.

कई छात्र नेताओं को भगोड़ा घोषित कर इनाम घोषित कर दिया गया है. धरना पूर्ण रूप से शांतिपूर्वक था और पार्क में हाथों में तिरंगा लिये बच्चे व महिलाएं बैठी हुई थीं, न कोई सड़क जाम, न हिंसा न कोई उत्तेजक नारेबाजी. प्रदर्शन पूर्ण रूप से इलाकाई महिलाओं का था जिसमे हिन्दू-मुस्लिम सभी शामिल थे और जिसका न किसी संगठन न किसी दल से लेना देना था. प्रशासन स्वयं व क्षेत्र के कई गणमान्य व्यक्तियों के जरिये दिन में धरने को खत्म कराने की कोशिश करता रहा. परन्तु महिलाएं शांतिपूर्वक प्रदर्शन जारी रखने को अड़ी रहीं यह कह कर कि, “क्षेत्र के लोग दिसम्बर से बिलरियागंज में धरना प्रदर्शन की अनुमति मांग रहे हैं परन्तु प्रशासन टाल मटोल कर रहा है हम यहां से नहीं हटेंगे जब तक हमें धरना की लिखित परमिशन नही मिलती.”

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5 फरवरी को 3 बजे रात में तड़के पुलिस द्वारा महिलाओं पर बर्बर पुलिस दमन किया गया, जिसके बाद धरना स्थल पर अफरातफरी और चीख-पुकार हुई  जिसे सुन कुछ मर्द आस-पास से पहुंचे. उन पर भी बल प्रयोग किया गया और उन्हे भी गिरफ्तार कर लिया गया. इस बल प्रयोग में अनेक महिलाएं, बच्चे व पुरुष घायल हो गए और वहां भगदड़ मच गई. 19 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया जिसमें कक्षा 10 व 12 में पढ़ने वाले नाबालिग छात्र समेत, बी-टेक कर रहे छात्र व मजदूरी करने वाले युवा तथा 65 साल तक के बुजुर्ग मरीज भी शामिल हैं, जिसमें से कुछ ऐसे भी हैं जो नमाज पढ़ने निकले थे और उन्हें भी उठा लिया गया.

गिरफ्तार किये गए लोगो में राष्ट्रीय ओलमा कौन्सिल के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना ताहिर मदनी भी थे जो कि बिलरियागंज के निवासी भी हैं उन्हे जिला प्रशासन ने स्वंय ही अपनी मदद के लिए धरनारत महिलाओं को समझाने हेतु बुलाया था, जिसके तमाम सबूत हैं और मौलाना ने सुबह से शाम तक कई बार धरनास्थल पर जाकर महिलाओं के समझाया था. रात 1 बजे के आस-पास भी जिला के आला अधिकारियों के साथ उन्होंने महिलाओं को समझाया था, जिसकी खबरें, तस्वीर और वीडियों तमाम अखबार, न्यूज पोर्टल और सोशल मीडिया पर भी मौजूद हैं. जब रात 1 बजे के बाद जब मौलाना ताहिर मदनी के मनाने के बाद भी महिलाएं नही मानीं तो प्रशासन उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया और इसके बाद बल प्रयोग कर मैदान खाली करवा लिया और बर्बरता की तमाम हदें पार कर दीं.

देशद्रोह व धार्मिक उन्माद जैसी 18 गम्भीर धाराओं में 19 बेगुनाहों को बिना किसी पुख्ता तथ्य व सबूत के जेल भेज देना पूर्ण रूप से असंवैधानिक, अनैतिक व अमानवीय है. प्रशासन ने जनपद के दो युवा छात्र नेता नुरूल होदा व मिर्जा शाने आलम पर इस प्रकरण के सम्बन्ध में ईनाम की घोषणा कर दी जबकि दोनों का इस घटना से कोई लेना-देना या मौजूदगी नहीं थी.

9 फरवरी को सीपीआई से जुड़े अधिवक्तागण सच्चिदानंद राय, अनिल कुमार राय, बीरबल, मोती यादव और भाकपा(माले) की राज्य स्थायी समिति के सदस्य ओमप्रकाश सिंह के नेतृत्व में वामपंथी पार्टियों, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता संदीप पांडेय की अगुवाई में सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरुद्ध गठित यूपी कोर्डिनेशन कमेटी कमेटी तथा इलाहाबाद उचच न्यायालय के एमिकस क्यूरी रमेश कुमार के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट अधिवक्ताओं की तीन अलग-अलग जांच दलों ने बिलरियागंज का दौरा किया.

वामदलों के जांच दल ने कहा कि गम्भीर रूप से घायलों का मेडिकल न कराना, नाबालिग बच्चों को जेल में डालना, एफआईआर में नाम न होने के बावजूद ईनाम घोषित करने जैसी कार्रवाइयां बताती हैं कि बिलरियागंज की पूरी घटना योगी सरकार, संघ-भाजपा और प्रशासन के नापाक गठजोड़ और सरकार की घोषित ‘बदला नीति’ का परिणाम है. वाम नेताओं ने नागरिकों से बिलरियागंज में हुए दमन के सवाल पर आगामी 20 फरवरी को आजमगढ़ पहुंचकर धरना-प्रदर्शन में शामिल होने अपील की.

संदीप पांडेय ने कहा कि बिलरियागंज में निहत्थी महिलाओं व बच्चों के अहिंसक धरने पर पुलिस हिंसा योगी सरकार की कायरतापूर्ण कार्यवाही है. निर्दोष महिलाओं और मासूम बच्चों पर रबर की गोलियां चलाना, आंसू गैस के गोले चलाना, बर्बर लाठीचार्ज करना लोकतंत्र की हत्या तो है ही यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर भी बड़ा हमला है. उन्होंने पुलिस की इस कहानी को मनगढ़ंत बताया कि महिलाओं ने पत्थर चलाये. जांच टीम में शामिल यूपी कोर्डिनेशन कमेटी के सदस्य अजीत सिंह यादव, साबिर व अलीमुल्लाह खान भी शामिल थे. सभी जांच दलों ने तत्काल फर्जी मुकदमे वापस लेने और निर्दोषों को रिहा करने, जारी दमन को तत्काल रोकने व महिलाओं के शांतिपूर्ण धरने पर बर्बर पुलिस दमन के दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग की.

हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे केके राय के साथ बिलरियागंज पहुंचे सीएए, एनआरसी व एनपीआर के विरोध में उत्तर प्रदेश में 19-20 दिसंबर और उसके बाद हुए जनता के विरोध प्रदर्शनों पर पुलिस हिंसा पर सुनवाई कर रही इलाहाबाद उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी रमेश कुमार गिरफ्रतार मौलाना ताहिर मदनी के आवास पर पीड़ितों से मिले. बड़ी संख्या में महिलाएं, नौजवानों समेत पीड़ित अपने बयान दर्ज कराने वहां पहुंचे. श्री रमेश कुमार ने कहा कि वे पुलिस हिंसा के मामले की रिपोर्ट तैयार कर 17 फरवरी को सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट में पेश करेंगे.

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13 फरवरी 2020 को पीलीभीत में सीएए-एनआरसी के खिलाफ सभा और प्रदर्शन करने पर पुलिस ने भाकपा(माले) केन्द्रीय कमेटी की सदस्य का. कृष्णा अधिकारी, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हरप्रीत सिंह चब्बा, किसान मजदूर यूनियन के युसूफ मलिक सहित 33 नामजद और 100 से अधिक अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. पुलिस ने छह लोगों को भी गिरफ्तार भी किया है. गिरफ्तार लोगों में अतुल वाल्मीकि (भीम आर्मी), पंकज नागबंशी (बहुजन क्रांति मोर्चा), इम्तियाज, बाबर, तसलीम रजा और जुबैर हैं.  सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 188, 332, 333, 342, 506 और 7 क्रिमिनल ला एमेडमेंट ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है. पुलिस का आरोप है कि बिना अनुमति सभा व प्रदर्शन किया गया और एक पुलिसकर्मी को पीटा गया.

पीलीभीत के शेर मोहम्मद मुहल्ले में हुए इस सीएए विरोधी सभा और प्रदर्शन में एक हजार से अधिक लोग शािमल हुए थे. यह आयोजन नागरिकों के समूह ने किया था और इसमें विभिन्न दलों के लोगों को आमंत्रित किया गया था. कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हरप्रीत सिंह चब्बा कार्यकर्ताओं के साथ सभा में शामिल होने पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया था. भाकपा(माले) के जिला सचिव देबाशीष ने पुलिस के आरोपों को झूठा बताते हुए कहा कि सभा व प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण था और खुद सिटी मजिस्टेट ने मौके पर आकर ज्ञापन लिया था. किसी भी पुलिस कर्मी से दुव्र्यवहार नहीं हुआ. शांतिपूर्ण आंदोलन का दमन करने के उद्देश्य से सभा के एक दिन बाद मुकदमा दर्ज किया गया.है और गिरफ्तारी की जा रही है.