18 फरवरी 2020 को जनविरोधी बजट और संविधान विरोधी एनपीआर, एनआरसी और सीएए जैसे काले कानूनों के खिलाफ वाम दलों ने रांची में राजभवन के समक्ष धरना दिया. इसमें बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए. कार्यक्रम की शुरुआत इप्टा द्वारा प्रस्तुत नाटक व जनगीत से हुई.
धरना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) राज्य सचिव का. जनार्दन प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार धार्मिक आधार पर नागरिकता कानून लाकर देश और समाज को बांटने की साजिश कर रही है. एनपीआर से अवांछित तत्वों को खोजने की आड़ में 30 हजार शरणार्थियों के लिए सवा तीन सौ करोड़ देश की जनता को संकट में डालना कहीं से न्यायोचित नहीं है. सच है की भाजपा अपने हिन्दू राष्ट्र के एजेंडे के लिए सांप्रदायिक धुर्वीकरण कर रही है. फालतू मुद्दों पर लफ्फाजी के कारण ही झारखंड से लेकर दिल्ली तक भाजपा की दुर्गति हुई है. नफरत और हिंसा की राजनीति हम झारखंड में सफल नहीं होने देगें.
भाकपा राज्य सचिव का. भुवनेश्वर मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार का बजट जनविरोधी और निजीकरण को बढावा देने, सार्वजानिक उपक्रमों को बेचने और कार्पाेरेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए है. माकपा के राज्य सचिव जीके बख्शी ने कहा कि किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात छलावा साबित हुई है. कृषि, मनरेगा, शिक्षा समेत सभी बुनियादी क्षेत्रों के बजट में भारी कटौती से अब बेरोजगारी, पलायन और भुखमरी से मौत की घटनाओं में और ज्यादा इजाफा होगा. धरना को मासस के सुशांतो मुखर्जी,भाकपा के महेंद्र पाठक व अजय सिंह, माकपा के सुरजीत सिन्हा व सुखनाथ लोहरा व भाकपा(माले) के अजबलाल सिंह, जगरनाथ उरांव, महाबीर मुंडा समेत कई नेताओं ने भी संबोधित किया. अध्यक्षता भाकपा(माले) जिला सचिव का. भुवनेश्वर केवट, माकपा के प्रफुल्ल लिंडा, भाकपा के अजय सिंह ने किया.