वर्ष - 29
अंक - 6
01-02-2020

सीएए-एनपीआर-एनसीआर के खिलाफ ‘संविधान बचाओ मंच’ द्वारा आयोजित 72 घंटे के धरना-सत्याग्रह के समापन पर 28 जनवरी को भारत के माननीय राष्ट्रपति महोदय के नाम सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से ज्ञापन भेजा गया, जिसकी प्रतिलिपि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश महोदय को भी भेजी गई. इसके अलावा उत्तराखंड में एनपीआर की प्रक्रिया पर रोक लगाने और अन्य राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड की विधान सभा से भी सीएए को वापस लेने, धारा 144 हटाने, आंगनबाड़ी वर्करों की सेवा बहाल करने आदि मांगों से संबंधित ज्ञापन राज्य के मुख्यमंत्री को भेजा गया. संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक पाठ और तत्पश्चात राष्ट्रीय गान के साथ धरना-सत्याग्रह का समापन हुआ.

अंतिम दिन धरनास्थल पर की गई सभा में जामा मस्जिद हल्द्वानी के इमाम शाहिद अजहरी ने कहा कि धरना-सत्याग्रह में विभिन्न तबकों, क्षेत्रों, धर्मों, जातियों के हजारों लोगों ने भागीदारी की. यह दिखाता है कि जनता के भीतर देश के संविधान के प्रति बेहद सम्मान और देश के संविधान और लोकतंत्र की रक्षा का जज्बा गहरे रूप में मौजूद है.

भाकपा(माले) नेता राजा बहुगुणा कहा कि देश के सभी देशभक्त लोगों को यह सोचना जरूरी है कि पिछले सत्तर वर्षों में भारतीय गणतंत्र ने कभी इतनी ज्यादा गंभीर आंतरिक चुनौती का सामना नहीं किया जितना कि उसे आज उसी कार्यपालिका के हाथों झेलनी पड़ रही है जिसको संविधान के मुताबिक कानून का शासन प्रदान करने की शक्तियां और जिम्मेवारी सौंपी गई है. आज संविधान का बुनियादी ढांचा ही हमले का शिकार बन गया है. लेकिन सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ आम भारतवासियों की यह मुस्तैदी, एकता और जुझारू जोश – जिसकी अगली कतार में युवा और महिलाएं खड़ी हैं – आज संविधान की हिफाजत में सबसे बड़ी ताकत बन गई है.

dharna

 

बड़ी मस्जिद के इमाम सैयद इरफान रसूल ने कहा कि हम यहीं पैदा हुए हैं और यहीं सुपुर्दे-खाक होंगे और भारतीय होने के नाते ये हक हमसे कोई नहीं छीन सकता. उन्होंने कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर की समूची परियोजना ही बहुत बड़े झूठ पर आधारित है. सरकार के प्रत्येक झूठ का अब पर्दाफाश हो चुका है और सरकार द्वारा लोगों पर जो झूठ के गोले बरसाये जा रहे हैं उनकी सच्चाई को जनता समझने लगी है. इस सच को जनता के बीच व्यापक पैमाने पर ले जाने की जरूरत है.

माले नेता डा. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि सीएए-एनआरसी-एनपीआर पैकेज बिल्कुल गैरजरूरी है. नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में खुद साफ किया है कि विगत वर्षों में देश में बेरोजगारी, भुखमरी, असमानता में वृद्धि हुई है. मोदी सरकार इस पर फोकस करने के बजाय जनता का ध्यान बंटाने के लिए विभाजनकारी कानून और नीतियां ला रही है जिसके खिलाफ जुझारू संघर्ष जरूरी हो गया है. पार्षद शकील अंसारी ने कहा कि संघर्ष जारी रहेगा और संघर्ष की रणनीति बनाने के लिए 30 जनवरी को बैठक कर आगे की रूपरेखा तैयार की जायेगी.

धरना-सत्याग्रह में मौलाना शाहिद रजा, मौलाना अब्दुल बासित, जीआर टम्टा, तौफीक अहमद, नफीस अहमद खान,पीपी आर्य, प्रभात ध्यानी, बहादुर सिंह जंगी, विमला रौथाण, गोविंद राम गौतम, इकराम अंसारी, हिना, नूरजहां, नजमा, अशाबी, निर्मला, नसीम जहां, रजनी जोशी, मुमताज, मो. फुरकान, अहमद नबी, कासिम अली, नजीर अहमद, शबाना सहित सैकड़ों महिलाओं-पुरुषों की भागीदारी हुई. इस कार्यक्रम का संचालन पार्षद शकील अंसारी ने किया.

– डा. कैलाश पाण्डेय

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